साहित्य

“ननद रानी बड़ी सयानी”

Komal Kumari
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विषय __ ” ननद रानी बड़ी सयानी “
शीर्षक— छोटी ननद

छोटी भाभी! आप भी अजीब हैं आपको तनिक भी तमीज नहीं कि बाबूजी के सामने जाने से पहले सर पर पल्लू रखकर जाना चाहिए, और तो और उनके सामने ही बैठ चाय पीने लगती हैं , खाना भी ले के बैठ जाती हैं । बेशर्मी की भी हद होती है, सब शर्म लिहाज मायके छोड़ आयी हैं क्या ? बड़े ही खड़ूस अंदाज में विनीता की ननद बबली बोल रही, बेबाक और लड़ाकी स्वभाव की है बबली, उसकी बात से चिढ़ जाती है विनीता, लेकिन कुछ कहती नहीं है ? क्योंकि सास है नहीं, दो भाई और एक बहन है, सबसे छोटी है इसलिए नकचढ़ी और मनमौजी । बबली की शादी लोकल घर परिवार में हुई है और बबली के पति बैंक में हैं, सुबह दस से पाँच बैंक चले जाते, तब महीने में एकाध बार बबली को सुबह छोड़ते हुए बैंक चले जाते थे, कभी रूक जाती, कभी उसी दिन शाम में चली जाती । हर महीने बबली आती है, दोनों भाभियाँ बहुत आदर सत्कार करती हैं, बड़ी भाभी से बबली ज्यादा कुछ नहीं कहती, क्योंकि उन्होंने ने ही बबली के शादी का सारा रस्म रिवाज को निभाया था, बबली की माँ गुजर गई थीं उस समय महज दस बरस की रही होगी और भैया की उम्र अठारह की थी, बबली के पापा ने पच्चीस साल के हो चुके बड़े भाई मोहन की शादी मीनू से कर दी थी ताकि कोई घर सँभालने वाली औरत आए और घर गृहस्थी सुचारू रूप से चल सके । मीनू बहुत ही नेक और शांत स्वभाव की है, सारा काम मन से करती , बबली और देवर मुन्ना को अपने छोटे भाई बहन जैसा लाड़ दिखाती थी, दोनों भाई बहन मीनू को माँ का दर्जा देते थे । वाकई मीनू स्नेहमयी स्त्री की भांति है, ठीक विपरीत मुन्ना की पत्नी विनीता है , जो कि आजकल की नारी है और फालतू बकबक और बकवास करनेवाली ननद की बातें सुन लेती है, पर दूसरे कान से निकाल देती है ।।विनिता का मानना है कि ननद भाभी के रिश्ते में थोड़ी बहुत नोकझोंक चलती है, सास भी नहीं है ऐसे में छोटी ननद को झिड़की देना ठीक नहीं ?

आज हद हो गई है, बबली अपने पापा के सामने ही विनीता को सुनाने लगी है, चरित्र और आचरण की बात तक जा पहुंची बबली की नुक्ताचीनी ने विनीता के अभिमति को चोट लगी है । ससुर जी का ही कहना था कि दोनों बहुएं बेटी जैसी हैं और घर में आराम से रहें, औपचारिकता निभाने की जरूरत नहीं है ? इसलिए विनीता ससुर के साथ बोलती बतियाती । देखिए बबली जी, पापा तो हमारे पिता जैसे हैं , फिर पापा जी को कोई एतराज नहीं तो फिर आप क्यों कूद रही हैं ? हम सब एक दूसरे से साथ कम्फर्ट फील करते हैं, पापा जी के साथ हम सब उठते बैठते हैं ताकि माँ की याद ना आए, कितना अच्छा लगता है एक साथ खाना, बातचीत करना, पर आप तो रंग में भंग डालती रहती हैं । आपका भी घर है ये और ससुराल भी । दोनों जगह में सामंजस्य बनाए रखा करिए , यही आपके लिए बेहतर है, कहकर विनीता वहाँ से उठकर अपने कमरे में चली गई और बबली अपना मुँह लेकर रह गई।

पापा अब से मैं यहाँ नहीं आऊंगी, बड़ी भाभी आजतक मुझे उच्च स्वर में नहीं बोलीं, छोटी भाभी की आवाज सुनिए जरा ! ये तो हमारे ही सिर पर डांस कर रही है ? ये क्या बोल रही हो बबली ? तमीज और संस्कार को ताक पर रख आई हो, वो भाभी है तुम्हारी ! जिस तरह तुम्हारी माँ नहीं है, वैसे ही उसके पिता इस संसार में नहीं है, इसलिए मैने उसे पापा जैसा स्नेह देता हूँ, क्रोधित स्वर में बबली के पापा बोल पड़े ।

बड़ी भाभी के ऊपर इतनी जिम्मेदारियाँ थीं कि वो कभी भी कुछ ना कह, सभी जिम्मेदारी को निभाई और तुम्हारी शादी, मुन्ना की शादी में एक विवाहित जोड़ा ही चौक चालन (बिहार के विवाह समारोह में मंडप के नीचे दूल्हा-दुल्हन को किया जानेवाला रस्म, जिसे एक सुहागन पति के साथ साथ करेगी । विधवा/ विधुर नहीं कर सकते ।) करेगा , मैं विधुर ठहरा इसलिए तेरे भैया भाभी ने सब कुछ किया । विनीता जब से आई है, सारे घर के कामकाज को करती है और बड़ी भाभी का भी बहुत ख्याल रखती है । कितना भाग्यवान हूँ कि मुझे संस्कारी सलीकेदार सभ्य सुशील बहुएं मिलीं । तुम अपना घर बार सँभालो बेटा और भाभियों के जीवन में हस्तक्षेप ना करो ,? मुझे जब किसी बात की आपत्ति नहीं, फिर तुम क्यों चौधराइन बनती हो ? तुम्हारी कोई छोटी ननद तो है नहीं ? रहती ना , और ऐसा ही आचरण करती तेरह साथ? तब समझती तुम ! अपने पापा के तंज से बबली बौखला गई और पैर पटकते अपने ससुराल चली गई ।

विनिता अपने ससुर जी के अतिशयप्रेम दुलार व ममता की बात सुनकर आह्लादित हो गई और मन ही मन प्रसन्नचित्त है, गदगद है कि इतना नेक दिल पापा जी हैं, कितनी खुशकिस्मत हूँ कि इतने अच्छे और भले ससुर मिले हैं , ससुर ही नहीं सास भी हैं!