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ध्यान रखिये, जैसे ही सिघाड़े उबल जाये उन्हें तुरंत पानी से अलग कर दे!

अरूणिमा सिंह
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कुछ दिनों पहले सिघाड़े की पोस्ट हमने किया था जिसमे हमने भईया को पूरी तरह छीलकर न बेचने के बजाय कुछ यू काटकर बेचने की सलाह दिया था ताकि जो लोग पुरे छिले हुए सिघाड़े पर धूल मिट्टी पड़ने के डर से नहीं खरीदते है लेकिन बिन मुँह गंदा (मुँह से छिलने पर काला रंग लगता है) किये तुरंत खाना चाहते है उनके लिए यू काटकर बेचिये इससे सिघाड़े भी अधिक गंदे नहीं होते और खाने पर मुँह भी नहीं गंदा होता है।

मेरी इस सलाह के बदले में हमने उनसे सिघाड़े उबालने की विधि सीखी थी क्योंकि हम सब जब सिघाड़े उबालते है तो पिलपिले हो जाते है। चूंकि पोस्ट में विधि नहीं लिखी थी तो बहुत से लोगों की शिकायत आयी थी इसलिए सोचा वो उबालने का राज आज बता दू।

आधे भगोने पानी लीजिये लेकिन सिघाड़े से पूरा भगोना भर दीजिये मतलब इतना पानी लेना है कि सिघाड़ा उबालते समय सिघाड़ा जले न इतना ज्यादा पानी रहे और सब सिघाड़े डूबे भी न इतना कम भी रखिये।

जैसे पानी में उबाल आये तुरंत नीचे के सिघाड़े ऊपर और ऊपर के नीचे कर दे ताकि सब में आंच अच्छी तरह से लग जाये और सब अच्छी तरह से पक जाये।

चूंकि सिघाड़े भाप लगते ही पक जाते है इसलिए ज्यादा न पके बस इतना ध्यान रखिये और जैसे ही सिघाड़े उबल जाये उन्हें तुरंत पानी से अलग कर दे।

हम उबालते समय गलती ये करते है कि सिघाड़े डूबने तक पतीला पानी से भर लेते है और उबालते भी अधिक देर तक है इसलिए सिघाड़े पानी पी लेते है और पिलपिले हो जाते है इस विधि से उबालिये जो सिघाड़े कच्चे और बच्चे भी होंगे वो भी पिलपिले नहीं लगेंगे बाकी जो सख्त हो गए है वो तो अच्छे लगते ही है।

अरूणिमा सिंह