साहित्य

धब्बा तो लग ही गया हैं पूरे ख़ानदान पर….मीनाक्षी सिंह की कलम से

धब्बा लगना (कलंकित करना )
मंजू …. समझदारी से काम ले… मत मार जवान छोरी को … धब्बा तो लग ही गया हैं पूरे खानदान पर….

क्या करूँ माँजी … मेरा तो सर फटा जा रहा हैं सोच सोचकर… मोडर्न बनाने के चक्कर में मैने इसे इतनी छूट दे दी.. आप कितना मना करती थी हर चीज की.. पर मैं कहां मानती … छोटे छोटे महंगे कपड़े , कटे हुए खुले बाल… आँखों में काजल… आई लाईनर , हर महीने पार्लर ले जाना… हाथों में महंगा फ़ोन… हर चीज इसके मुंह से निकालने से पहले हाज़िर कर देना…. 16 साल की उम्र में मैने इसे दुनिया को देखकर इसकी उम्र से ज्यादा बड़ा बना दिया… मेरी ही परवरिश में कमी रह गयी माँ जी.. तभी तो आज मुंह काला कराकर आयी हैं ये … आपने कल भी मना किया था इतनी दूर रात में सहेली के जन्मदिन में मत भेज… पर मैं इसकी ज़िद के आगे मान गयी कि चलो ये ले आयेंगे रात को जब फ़ोन करेगी . .. क्या पता था जन्मदिन के बहाने से इसके स्कूल के लड़का लड़की पब चले जायेंगे… उफ़ शराब पीना ,, पत्ते खेलना सब आता है इसे तो… मैं तो इसे बहुत सीधा समझती थी. … मैं क्या करूँ माँजी य़ा तो इसे मार दूँ य़ा खुद ही मर जाऊँ … इनसे क्या बताऊंगी कि तुम ज़िसे अभी छोटी सी अपनी लाडो समझते हो वो तो लड़कों की बाहों में झूमती हैं…

तू इतना क्यूँ सोच रही हैं बहू… अभी इतनी देर नहीं हुई हैं… ये तो शुक्र मना इसे सामने वाले राजू ने ही देखा था.. भला हो उसका कि ये वहीं काम करता हैं… तुरंत बबलू (बेटे) को फ़ोन ना कर तुझे किया… तू समय से चली गयी…. तो सब अपनी आँखों से देख आयी… मुझे अपने राजू पर पूरा भरोसा हैं… उसे बचपन से देखा हैं… बहुत सीधा हैं…
माँ जी अगर राजू भईया ने सबको बता दिया होगा तो??

अगर बताया होता तो अब तक मोहल्ले की दस औरतें आ जाती मिर्च मसाला लगाने… समझी ??

भाभी जी… मैं आपके देवर समान हूँ … और छुटकी मेरी भतीजी … आप टेंशन ना ले… मेरे घर की बात हैं ये … घर की बात कोई बाहर बताता हैं क्या … सामने से आता राजू बोला…

राजू भईया… आपने इस घर पर धब्बा लगने से बचा लिया… बहुत बहुत शुक्रिया आपका….

नहीं बहू… अभी तो शुरुआत हुई हैं… अब तुझे और मुझे मिलकर छुटकी को सही रास्ते पर लाना हैं…. आजकल के माँ बाप बच्चों को ज़रूरत से ज्यादा छूट दे देते हैं… जब बच्चे हाथ से निकल ज़ाते हैं तब दोष बच्चों को देतें हैं… जबकि गलती पूरी पूरी माँ बाप की होती हैं…

सही कह रही हैं माँ जी आप… माँ वो शक्ति हैं जो गलत राह पर गए अपने बच्चे को सही राह पर लाने की हिम्मत भी रखती हैं… अपने आंसू पोंछ बहू तेज कदमों से बेटी के कमरें में गयी…. उसे गले से लगाया… उसका सारा सामान अपने कमरें में रखना शुरू किया…तू अभी इतनी बड़ी नहीं हुई कि तुझे अलग कमरा दिया जायें … तेरी माँ तेरे नाना के घर शादी के समय तक एक ही कमरे में नाना नानी के साथ रहती थी…..

यह देख दूर से सासू माँ बहू को देख मुस्कुरा दी …

मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा