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देश में चरम पर हिन्दुत्वादी कट्टरपंथी संगठनों का आतंक, धर्म के नाम पर अब प्रशासन भी क़ानून की धज्जियां उड़ाने लगा : रिपोर्ट

भारत में धर्म के नाम पर पहले कट्टरपंथी संगठनों द्वारा मारपीट और हत्या की ख़बरें सामने आती थी, लेकिन अब पुलिस प्रशासन समेत सरकारी तंत्र भी धर्म के नाम पर भारतीय क़ानून और संविधान की सड़कों पर खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, गुजरात के खेड़ा ज़िले में एक मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध करने वाले मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ द्वारा कथित तौर पर कार्यक्रम स्थल पर किए गए हमले में एक पुलिसकर्मी सहित सात व्यक्ति घायल हो गए। यह जानका स्वयं स्थानीय पुलिस ने मंगलवार को री दी थी। वहीं पुलिस ने इस मामले में गिरफ़्तार संदिग्ध हमलावरों को अदालती कार्यवाही से पहले ही उनपर लगे आरोपों पर फ़ैसला सुनाते हुए आरोपियों को गांव के चौराहे पर बिजली के एक खंभे से लगाकर खड़ा करके सबके सामने लाठी से पीटा। वहीं एक और बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में एक गरबा पंडाल में दो समूहों के बीच विवाद होने के बाद पथराव हो गया। पुलिस ने 19 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है, जिनमें से तीन लोगों के घरों को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया गया। इस मामले में भी न कोई अदालती कार्यवाही न सुनवाई और न ही आरोपियों को अपनी सफ़ाई में कुछ कहने का मौक़ा दिया गया। तुरंत कार्यवाही करते हुए उनके घरों पर बिल्डोज़र चलवा दिया गया।

मध्यप्रदेश की घटना के बारे में जो जानकारी सामने आई है वह आपसी विवाद का मामला बताया जा रहा है, जिसे धार्मिक रंग दिया गया। शिवलाल पाटीदार नाम के एक व्यक्ति ने सलमान खान के पिता से मोटरसाइकिल चलाने के तरीक़े के बारे में शिकायत की थी। इस पर दोनों के बीच विवाद हो गया। उसके बाद दो अक्टूबर की रात सलमान अपने साथियों के साथ एक गरबा आयोजन स्थल पर उस पाटीदार की तलाश में पहुंचा। स्थानीय मीडिया के अनुसार, वहां लड़ाई हुई जिसमें सलमान ने शिवलाल के एक साथी महेश को फर्सी से मारा। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे ही अधिक लोग एकत्र हुए, सलमान और उनके सहयोगियों ने गरबा कार्यक्रम स्थल पर पथराव किया, जिसमें एक महिला घायल हो गई। वहीं कई स्थानीय समाचार पत्र ने प्रारंभिक घटना के हिंसक विवाद का उल्लेख किए बिना, मुसलमानों द्वारा एक गरबा स्थल पर पथराव किए जाने के मामला बताकर इस घटना की बड़ा बना दिया और देखते ही देखते आपसी विवाद हिन्दू मुस्लिम विवाद में परिवर्तित हो गया। इसी तरह का मामला गुजरात में भी सामने आया है। वहीं प्रशासन ने एक पक्ष के ख़ुश करने के लिए दूसरे पक्ष के ख़िलाफ़ बिना अदालती कार्यवाही के स्वयं ही कार्यवाही कर दी। वैसे भारत में अब यह धीरे-धीरे यह आम बात बनती जा रही है।