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दुनिया की आबादी आज 15 नवंबर-2022 को आठ अरब का आंकड़ा पार कर गई : रिपोर्ट

सयुंक्त राष्ट्र ने बताया है कि दुनिया की आबादी सात अरब का आंकड़ा पार करने के 11 साल बाद ही आठ अरब का आंकड़ा पार कर गयी है.

बीसवीं सदी के दूसरे हिस्से में जनसंख्या जिस रफ़्तार से बढ़ी है, वो अब धीमी पड़ती दिख रही है.

दुनिया की आबादी आठ से नौ अरब होने में अब 15 सालों का वक़्त लगेगा. पर दुनिया की जनसंख्या 2080 तक दस अरब के आंकड़े को पार नहीं करेगी.

दुनिया में मौजूद लोगों की ठीक-ठीक गणना करना काफ़ी मुश्किल काम है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह आने वाले एक दो सालों में एक सटीक आकलन दे पाएगा.

यही नहीं, ये भी एक अनुमान ही है कि दुनिया की आबादी 15 नवंबर को आठ अरब का आंकड़ा पार कर गई है.

इससे पहले जब-जब दुनिया की आबादी ने पांच, छह और सात अरब का आंकड़ा पार किया तो यूएन ने पांच, छह और सात अरबवें बच्चे के प्रतीक के रूप में कुछ बच्चों का चयन किया था.

ये बच्चे आज कहां हैं और इनकी कहानियां वैश्विक जनसंख्या में प्रगति के बारे में क्या बताती हैं?

कौन था पांच अरबवां बच्चा
साल 1987 के जुलाई महीने में अपने जन्म के कुछ लम्हों बाद ही मेताज गास्पर की नन्हीं आंखों पर कैमरों के फ़्लैश चमकने लगे. उनके साथ उनकी माँ थी और चारों ओर सूट-बूट पहने अधिकारी और राजनेता थे.

इनमें स्थानीय नेताओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नेता भी शामिल थे. इन नेताओं के बीच मौजूद ब्रितानी यूएन अधिकारी एलेक्स मार्शल ने ज़ाग्रेब के मैटरनिटी अस्पताल में मची इस भगदड़ के लिए ख़ुद को आंशिक रूप से ज़िम्मेदार माना है.

एलेक्स कहते हैं, “हमने गणनाओं को देखा और पाया कि दुनिया की आबादी पांच अरब का आंकड़ा 1987 में पार करेगी. और इसके लिए 11 जुलाई की तारीख़ दी गयी.”

इसके बाद तय किया गया कि एक बच्चे को दुनिया का पांच अरबवां बच्चा घोषित किया जाएगा.

जब एलेक्स ये योजना लेकर संयुक्त राष्ट्र के डेमोग्राफ़र्स के पास पहुंचे तो वे ये सुनकर भड़क गए.

एलेक्स कहते हैं, “उन्होंने हम जैसे अनभिज्ञ लोगों को समझाया कि हम नहीं जानते कि हम क्या करने जा रहे हैं और हमें ढेर सारे बच्चों में से किसी एक को नहीं चुनना चाहिए.”

लेकिन एलेक्स और उनकी टीम ने इसके बाद भी ऐसा ही किया.

वह कहते हैं, “ये (पांच अरब के) आंकड़ों को एक मानवीय चेहरा देने की कोशिश थी. हमने पता लगाया कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव उस दिन कहां थे और क्या कर रहे थे और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास है.”

अपने जन्म के 35 साल बाद दुनिया का पांच अरबवां बच्चा अपने जन्म पर मची अफ़रा-तफ़री को भूलने की कोशिश कर रहा है.

उनका फेसबुक पेज़ बताता है कि वह अभी भी ज़ाग्रेब में रहते हैं और पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं.

लेकिन वह मीडिया से बात करने से बचते हैं और उन्होंने बीबीसी को भी इंटरव्यू देने से इनकार कर दिया है.

मेताज गास्पर के जन्म पर मची अफ़रा-तफ़री को याद करते हुए एलेक्स कहते हैं, “मैं उन्हें इसके लिए (मीडिया को लेकर रुख) दोष नहीं देता.”

इसके बाद से अब तक दुनिया की आबादी में तीन अरब की बढ़त हो गयी है.

लेकिन अगले 35 सालों में ये बढ़त सिर्फ दो अरब ही होगी जिसके बाद दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दर में स्थिरता आने की संभावना है.

कौन थी सात अरबवीं बच्ची?
ढाका में रहने वाली सादिया सुल्ताना ओइशी घर के कामकाज में अपनी मां की मदद करती हैं. उनकी उम्र मात्र 11 साल की है.

उन्हें अपने उम्र के बच्चों के साथ बाहर खेलना चाहिए. लेकिन ओइशी के घरवालों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है.

उनका परिवार साड़ी और कपड़े बेचने का व्यापार करता है जिस पर कोरोना महामारी का बहुत ही बुरा असर पड़ा.

इसकी वजह से ओइशी के परिवार को ढाका आना पड़ा. गांव में जीवनयापन इतना महंगा नहीं है. और ओइशी के मां-बाप अपनी तीन लड़कियों के लिए स्कूल फीस का बंदोबस्त कर सकते थे.

ओइशी अपनी तीनों बहनों में सबसे छोटी हैं और अपने परिवार के लिए लकी चार्म हैं. साल 2011 में उन्हें दुनिया की सात अरबवीं बच्ची घोषित किया गया था.

ओइशी की माँ को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि इसके बाद क्या होने वाला है. वह उस दिन बच्चे को जन्म नहीं देने वाली थीं. लेकिन डॉक्टर के यहां जाकर सी-सेक्शन के ज़रिए ओइशी का जन्म 12 बजकर 1 मिनट पर हुआ.

और इस वक़्त भी उनकी माँ के चारों ओर टीवी कैमरों के साथ-साथ ढेरों अधिकारियों और राजनेताओं का जमावड़ा लगा हुआ था.

वे सभी ओइशी को देखना चाहते थे. लेकिन उनके परिवार के लिए ये चौंकाने और ख़ुश करने वाला मौका था.

ओइशी के पिता बेटा चाहते थे, लेकिन अब वह अपनी तीनों लड़कियों के साथ ख़ुश हैं. ओइशी की सबसे बड़ी बहन यूनिवर्सिटी में हैं और वह ख़ुद डॉक्टर बनना चाहती थीं.

ओइशी के पिता कहते हैं, “हमारे पास ज़्यादा पैसा नहीं है और कोविड ने हमारी आर्थिक स्थिति को बद से बदतर कर दिया है. लेकिन मैं उसका सपना पूरा करने के लिए कुछ भी करूंगा.”

ओइशी के जन्म के बाद से बांग्लादेश की जनसंख्या में 1.7 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति
दुनिया की जनसंख्या में जिस तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है, वो स्वास्थ्य के क्षेत्र में हासिल की गयी बेहतरीन प्रगति की कहानी बयां करता है.

लेकिन बांग्लादेश की जनसंख्या वृद्धि दर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. साल 1980 में महिलाएं औसतन छह से ज़्यादा बच्चों को जन्म देती थीं. अब ये संख्या दो से कम पर सिमट गयी है.

और ये बांग्लादेश सरकार का शिक्षा के क्षेत्र में निवेश का नतीजा है. क्योंकि महिलाएं शिक्षित होने के साथ ही परिवार को छोटा रखने को तरजीह देती हैं.

दुनिया की आबादी में वृद्धि की संभावनाओं को समझने के लिहाज़ से ये काफ़ी अहम है.

दुनिया में वैश्विक जनसंख्या का आकलन करने वाली संस्थाओं में संयुक्त राष्ट्र, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉशिंगटन के इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्युएशन और आईआईएएसए विटिंग्सटाइन सेंटर शामिल हैं.

इन तीनों संस्थाओं के जनसंख्या वृद्धि दर पर शिक्षा के असर को लेकर अनुमान अलग-अलग हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वैश्विक जनसंख्या अपने चरम 10.4 अरब का आंकड़ा 2080 के दशक में छुएगी.

लेकिन आईएचएमई और विटिंग्स्टाइन मानती हैं कि ये आंकड़ा 2060 या 2070 तक सामने आ सकता है.

लेकिन ये सिर्फ़ अनुमान मात्र हैं.

ओइशी के जन्म के बाद से दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है. और डेमोग्राफ़र्स इन बदलावों को लेकर अचंभित हैं.

आईआईएएसए से जुड़े एक डेमोग्राफ़र समीर केसी कहते हैं, “हमें इस बात का अनुमान नहीं था कि एड्स की मृत्युदर इतनी गिर जाएगी और एड्स के ट्रीटमेंट से इतने लोगों की जान बचेगी.”

इन बदलावों की वजह से समीर केसी को अपने मॉडल में बदलाव करना पड़ा है.

क्योंकि शिशु मृत्युदर में सुधार के प्रभाव दीर्घकालिक होते हैं क्योंकि पैदा होने वाले बच्चे एक दिन अपने बच्चों को जन्म देते हैं.

प्रजनन दर में भारी गिरावट
यही नहीं, प्रजनन दर में गिरावट भी डेमोग्राफ़र्स के लिए चिंता की वजह बनी हुई है.

दक्षिण कोरिया में जब प्रति महिला प्रजनन दर 0.81 रह गयी तो डेमोग्राफ़र्स हैरान रह गए.

समीर केसी कहते हैं, “इससे कितना नीचे जाएगा. हम लोगों के लिए ये बड़ा सवाल है.”

ये एक ऐसी चीज है जिससे आने वाले समय में कई देशों को जूझना होगा.

हालांकि, दुनिया की जनसंख्या में अगले एक अरब लोगों में से आधे लोग आठ देशों से आएंगे जिनमें से ज़्यादातर अफ़्रीकी देश हैं.

इनमें से ज़्यादातर देशों में प्रजनन दर 2.1 से कम रहेगी जो जनसंख्या में भारी गिरावट नहीं आने देगा

किस बात से चिंतित है छह अरबवां बच्चा
हालांकि, यूरोपीय देश बोस्निया-हर्ज़ेगोविना में रहने वाले 23 वर्षीय अदनान मेविक इस बात को लेकर काफ़ी चिंतित हैं. क्योंकि उनके देश में जनसंख्या तेजी से घट रही है.

वह कहते हैं, “आने वाले सालों में सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन के लिए पैसा देने वाला कोई नहीं रहेगा. सभी युवा लोग चले जाएंगे.”

अदनान ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है और वो इस वक़्त नौकरी की तलाश में हैं. आने वाले दिनों में यूरोपीय संघ जा सकते हैं. पूर्वी यूरोप के तमाम देशों की तरह उनका देश भी इमिग्रेशन की ऊंची दर और घटती प्रजनन दर का शिकार हुआ है.

अदनान साराजेवो में अपनी मां फातिमा के साथ रहते हैं जिन्हें आज भी अदनान के जन्म का दिन याद है.

वह कहती हैं, “मुझे कुछ देर में ही एहसास हो गया कि कुछ अजीब हो रहा है. डॉक्टर और नर्स मेरे आसपास जुटने लगे थे. लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि हुआ क्या है.”

जब अदनान का जन्म हुआ तो तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान अदनान को दुनिया का सात अरबवें बच्चे के रूप में घोषित करने के लिए वहां मौजूद थे.

अदनान इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि मात्र 23 सालों में दुनिया की आबादी में दो अरब की बढ़ोतरी हो गयी है.

वह कहते हैं, “ये काफ़ी ज़्यादा है. मुझे नहीं पता कि हमारा ख़ूबसूरत गृह इसे कैसे बर्दाश्त करेगा.”

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स्टेफ़नी हेगार्टी
पदनाम,बीबीसी पॉपुलेशन संवाददाता