सेहत

दाल बाटी या लिट्टी चोखा : एक पारंपरिक राजस्थानी और पूर्वांचल का व्यंजन!

Avdhesh Singh
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दाल बाटी या बाटी चोखा जो लिट्टी चोखा भी कहा जाता है एक पारंपरिक राजस्थानी और पूर्वांचल का व्यंजन है, जो अपनी अनोखी तैयारी और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश के नीमाड, मालवा परिक्षेत्र महाराष्ट्र के खांडेस और विदर्भ की बाटी प्रसिद्ध है। मालवा परिक्षेत्र में बाटी का नया रूप बाफला देखने को मिलता है।
यहाँ दाल बाटी की कुछ खास बातें हैं:

# सामग्री और तैयारी
1. *दाल*: दाल बाटी में उरद अरहर दाल या मूंग दाल का उपयोग किया जाता है, जो प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है।
2. *बाटी*: बाटी एक प्रकार की गोला रोटी होती है, जो आटे, घी और पानी से बनाई जाती है। यह भरवन और बिना भरवन की बनती है। भरवन के लिए सत्तू का इस्तेमाल होता है।
3. *मसाले*: दाल बाटी में विभिन्न मसालों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि जीरा, हींग, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और गरम मसाला पाउडर।

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# विशेषताएं
1. *स्वाद*: दाल बाटी का स्वाद अनोखा और स्वादिष्ट होता है, जो दाल और बाटी के मिश्रण से बनता है।
2. *पौष्टिकता*: दाल बाटी एक पौष्टिक व्यंजन है, जो प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर होता है।
3. *पारंपरिक महत्व*: दाल बाटी एक पारंपरिक पूर्वांचल छत्तीसगढ राजस्थानी व्यंजन है, जो संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

# परोसने का तरीका
1. *दाल और बाटी का मिश्रण*: दाल बाटी को दाल और बाटी के मिश्रण के रूप में परोसा जाता है।
2. *चटनी और सलाद के साथ*: दाल बाटी को चटनी और सलाद के साथ परोसा जाता है, जो इसके स्वाद को बढ़ाता है।