Asif Mansuri Shahi
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दंगल कुश्ती का शौक कायमगंज में .खत्म सा……
”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””’ मुझे कुश्ती देखने का बचपन से लगाव रहा । जब मेरे पिता कायमगंज पोस्ट ऑफिस में कार्यरत थे उनके साथ दशहरा के अवसर पर ग्राम चिलौली ताडो के पास कुश्ती देखने का अवसर मिला ।कायमगंज में कुछ लोगो को पहलवानी का शौक रहा ।साल में एक बार दंगल भी होता था तो शहर से ज्यादा ग्रामीण लोगो को एक मौका मिलता था पहलवानों से मिलने का , उनके खाने पीने के बारे में तब बच्चों को लगता था कि व्यायाम कितना जरूरी हैं और मज़बूत शरीर में कोई बीमारी जल्दी नही लगती । फिर किन्ही कारणो से दंगल बन्द हो गया ।दौर बदलता गया छात्र क्रिकेट के दीवाने होते गए ।धीरे धीरे दौर बदला सब मोबाइल में ब्यस्त ।
फरवरी 2020 में मेरे सभासद साथी नरेश शर्मा Naresh Sharma Bjp , बंटी गंगवार ज़ीशान खान ने सुनील चक खटीक चेयरमैन साहब , Mithlesh Agarwal जी के पति सत्यप्रकाश अग्रवाल जी और अन्य लोगो से मिलकर एक शानदार दंगल करवाया ।कई नामी पहलवान आये जिसमे नेपाल से देवा थापा भी ….

ऐसे ही कश्मीर से जावेद गनी पहलवान भी बहुत ही लोकप्रिय है।पंजाब से मौसम अली पहलवान का भी कोई जबाब नही है। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहाँ उनकी माता ने उन्हें संघर्ष और मेहनत की सीख दी। बचपन से ही मौसम अली ने कुश्ती की बारीकियाँ सीखनी शुरू कर दी थीं। उनके गाँव के छोटे से अखाड़े में वे नियमित रूप से अभ्यास करते थे। एक दिन उन्हें राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिला।
वहाँ उन्होंने अपने कौशल और तकनीक से सबको प्रभावित किया और स्वर्ण पदक जीता। इस जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और उन्होंने अपने खेल को और भी निखारा। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया और उन्होंने अपने देश का नाम रोशन किया। उनकी कहानी यह दिखाती है कि अगर आपमें जुनून और समर्पण है, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
सभी लोगो ने अभी जनवरी में सुंदर क्रिकेट टूर्नामेंट देखा तो क्या पुनः कायमगंज में दंगल नही हो सकता?