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त्रिपुरा में फैला सांप्रदायिक तनाव, पूरा मामला जानिए!

12 जुलाई को 21 साल के आदिवासी छात्र परमेश्वर रियांग की मौत के बाद त्रिपुरा के धलाई ज़िले के गंडतविसा इलाक़े में सांप्रदायिक तनाव फैल गया.

7 जुलाई को एक भीड़ के हमले में रियांग बुरी तरह से घायल हो गए थे, हमले में लगी चोट की वजह से उनकी मौत हो गई.

छात्र की मौत के बाद इलाक़े में धारा 144 लागू होने के बावजूद हिंसा भड़क गई और कई घरों, दुकानों में आग लगा दी गई. हालांकि स्थानीय प्रशासन ने दावा किया है कि स्थिति धीरे धीरे सामान्य हो रही है.

हालात तब बिगड़ने लगे जब परमेश्वर रियांग की मौत की ख़बर उनके गृह नगर में फैल गई.

परमेश्वर के पिता खर्गराम रियांग के मुताबिक़, गंडतविसा में एक मेले के दौरान रियांग को बेरहमी से पीटा गया था.

ऐसा तब हुआ जब रियांग ने एक मानसिक रूप से अस्थिर ग़ैर-आदिवासी युवक को बचाने की कोशिश की, जिसे कई ग़ैर-आदिवासी लोग पीट रहे थे.

खर्गराम रियांग का कहना है कि हमलावरों ने उनके बेटे को रॉड से पीटा और करंट भी दिया. बाद में उन्हें अगरतला के जीबीपी हॉस्पिटल ले जाया गया और शुक्रवार को परमेश्वर की मौत हो गई.

परमेश्वर की मौत की ख़बर से इलाक़े में गुस्सा फैल गया और हिंसा भड़क गई.

देर शाम गुस्साई भीड़ ने कई घरों, दुकानों को आग लगा दी. भीड़ ने ख़ासकर गैर-आदिवासियों की संपत्तियों को निशाना बनाया.

गंडतविसा में फ़िलहाल हालात गंभीर बने हुए हैं, कई स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़कर पास के जंगल में शरण ले रहे हैं. भारी पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद भीड़ काफ़ी आक्रोशित दिख रही थी.

चश्मदीद क्या कह रहे हैं?
गंडतविसा के हरिपुर बिश कार्ड इलाके के रहने वाले राकेश सरकार बताते हैं कि चार झोपड़ियों वाला उनका घर पिछली रात जलकर खाक हो गया.

उन्होंने बताया कि घर में आग लगाने से पहले उपद्रवियों ने उनके घर में लूटपाट मचाई, बर्तन, मुर्गियां और मवेशी सब लूटकर ले गए.

राकेश का आरोप है कि घटना के वक्त पुलिस मौजूद थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

हिंसा की एक और पीड़ित सीमा सरकार, जो इसी इलाक़े में रहती हैं, वो बताती हैं कि कैसे उनके पोल्ट्री फार्म को बर्बाद कर दिया गया, जिसमें 70 मुर्गियां थीं. कई बकरियां भी आग में जलकर खाक हो गईं.

सीमा ने यह भी बताया कि इलाक़े में स्थित कई घरों को लूटा गया और जला दिया गया है और आसपास के लोग छिपकर इस बर्बादी को देखते रहे.

प्रशासन का क्या कहना है?
धलाई ज़िले के डीएम साजू वाहिद का कहना है कि सांप्रदायिक तनाव की आशंका को देखते हुए धारा 144 पहले से ही लागू कर दी गई थी और इंटरनेट को अस्थायी तौर पर सस्पेंड किया गया था.

आग लगने की घटना होने पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

डीएम वाहिद ने बताया कि परमेश्वर रियांग की हत्या से जुड़े चार संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया है.

इलाक़े में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए एसपी और एडीएम समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अतिरिक्त बलों के साथ मौके़ पर मौजूद हैं.

धलाई ज़िले के पुलिस अधीक्षक अविनाश राय ने ये भी दावा किया है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और दिन में कोई घटना नहीं हुई है.

इतने उपाय होने के बावजूद, हालात अब भी अस्थिर हैं. स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों की कथित निष्क्रियता पर निराशा जताई है. कई लोगों ने सवाल किए हैं कि आख़िर पुलिस की मौजूदगी के बावजूद हिंसा को इस हद तक कैसे बढ़ने दिया गया.

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी पार्टियां सीपीआईएम और कांग्रेस, राज्य सरकार की आलोचना कर रही हैं. इन पार्टियों का कहना है कि सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है.

पूर्व सांसद और विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी का कहना है कि इस मामले में लापरवाही और कुप्रबंधन हुआ है, इसके लिए वो बीजेपी के नेतृत्व वाली ”डबल इंजन” सरकार को ज़िम्मेदार बता रहे हैं.

जितेंद्र चौधरी ने ‘आनंद मेला’ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए स्थानीय बीजेपी नेताओं की आलोचना की है. उन्होंने दावा किया कि ये कार्यक्रम शराब पीने और जुए का केंद्र बन गया है, जिससे ऐसी हिंसा हो रही है.

सीपीआईएम के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने त्रिपुरा के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है.

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि प्रशासन शांति बैठकें आयोजित करे और प्रभावित क्षेत्रों में फिर से व्यवस्था बहाल की जाए.

चौधरी ने ये भी मांग की है कि मृतक के परिवार को सरकारी नौकरी दी जाए और हिंसा से प्रभावित सभी लोगों को मुआवज़ा दिया जाए.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने भी सरकार पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं, उन्होंने हालात को क़ाबू कर पाने में नाकाम होने पर राज्य सरकार की आलोचना की है.

आशीष ने जल्द से जल्द पीड़ितों को सुरक्षा और मुआवज़ा देने की भी मांग की है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीब भट्टाचार्य ने भी परमेश्वर के परिवार के लिए इंसाफ़ की मांग की है.

उन्होंने कहा कि सरकार हिंसा से पीड़ित लोगों को सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है.

भट्टाचार्य का कहना है कि मुख्यमंत्री माणिक साहा पूरे हालात पर क़रीबी नज़र बनाए हुए हैं और उन्होंने त्वरित कार्रवाई के लिए टॉप पुलिस अधिकारियों को मौके पर भेजा है.

बीजेपी की सहयोगी पार्टी टिपरा मोथा के सुप्रीमो प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने परमेश्वर रियांग के परिवार से मुलाक़ात की और उन्हें इंसाफ़ दिलाने का वादा किया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि क़ानून को अपने हाथ में नहीं लिया जाना चाहिए.

उन्होंने शांति स्थापित करने की बात कही है और कम्युनिटी को साथ आकर इस संकट से उबरने के लिए काम करने का आग्रह किया है.

शांति बहाली की कोशिशें
हालात को सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं और गंडतविसा में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया.

पीड़ितों के परिवार ने सुरक्षा और मुआवजे़ की मांग को लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया.

प्रशासन ने पीड़ितों के लिए अस्थायी आश्रय स्थल के तौर पर गंडतविसा हाईस्कूल खोला है.

इस बीच, परमेश्वर के पिता समेत सभी प्रभावित परिवार इंसाफ़ की गुहार लगा रहे हैं और हिंसा के लिए ज़िम्मेदार लोगों को कड़ी सज़ा देने की मांग कर रहे हैं.

हालात सुधारने के लिए आगे क्या-क्या हो सकता है

गंडतविसा में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की जा रही है. इसमें समुदाय के नेताओं के साथ नियमित तौर पर शांति बैठकें आयोजित करना शामिल है.

साथ ही ये भी सुनिश्चित करना शामिल है कि आगे कोई हिंसा न हो इसके लिए पर्याप्त सुरक्षाबल तैनात हों. ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए घटना की जांच की मांग भी की जा रही है.

परमेश्वर रियांग की मौत और उसके बाद हुई हिंसा ने इलाक़े में पसरे गहरे तनाव को उजागर कर दिया है.

चूंकि, राज्य आगामी पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहा है, इसलिए सरकार और समुदाय के नेताओं को हिंसा को रोकने और शांतिपूर्ण, निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए मिलकर काम करना होगा.

इस बीच, पीड़ित परिवार न्याय और नुक़सान के लिए मुआवजे़ की मांग कर रहे हैं. ये देखना होगा कि राज्य सरकार कैसे इनकी चिंताओं को दूर करती है और हालात को फिर से सामान्य करती है.

इसलिए आने वाले दिन काफी अहम होंगे, जो ये तय करेंगे कि केवल एक दशक पहले दशकों पुराने उग्रवाद को झेलकर आए समुदाय में किस तरह फिर से शांति बहाल की जाती है.

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पिनाकी दास
पदनाम,अगरतला से, बीबीसी हिन्दी के लिए