धर्म

तौहीद और शिर्क : उन्हें इस भूल में नहीं रहना चाहिए कि वे अपने कर्मों की सज़ा और प्रतिफल से बच जाएंगे : पार्ट-11

قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ (27) قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ (28)

फ़िरऔन ने (अपने दरबारियों से) कहा, “निश्चय ही तुम्हारा यह पैग़म्बर, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिल्कुल पागल है।” (26:27) मूसा ने कहा, “वह पूरब और पश्चिम और जो कुछ उनके बीच है उसका भी पालनहार है, यदि तुम चिंतन करो तो।” (26:28)

قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ (29) قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ (30) قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (31)

फ़िरऔन ने कहा यदि तुमने मेरे अतिरिक्त किसी अन्य को पूज्य बनाया, तो मैं तुम्हें बन्दी बना दूंगा। (26:29) मूसा ने कहा, क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ (चमत्कार स्वरूप) ले आऊँ तब भी? (26:30) फ़िरऔन ने कहाः यदि तुम सच्चे हो तो वह (चमत्कार) ले आओ। (26:31)

فَأَلْقَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ (32) وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ (33)

तो मूसा ने अपनी लाठी (ज़मीन पर) डाल दी, तो सहसा ही वह एक प्रत्यक्ष अजगर हो गई। (26:32) और उन्होंने (अपने गरेबान से) अपना हाथ बाहर निकाला तो सहसा ही वह देखने वालों के सामने चमक रहा था। (26:33)

قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ (34) يُرِيدُ أَنْ يُخْرِجَكُمْ مِنْ أَرْضِكُمْ بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ (35)

(फ़िरऔन) ने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, निश्चय ही यह एक बड़ा ही जानकार (व दक्ष) जादूगर है। (26:34) यह अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करना चाहता है, तो अब तुम क्या कहते हो? (26:35)

قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ (36) يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ (37)

उन दरबारियों ने कहा, इन्हें और इनके भाई को अभी रोके रखिए (और इनके मामले को विलंबित कर दीजिए) और एकत्र करने वालों को नगरों में भेज दीजिए। (26:36) ताकि वे प्रत्येक दक्ष जादूगर को आपके पास ले आएँ। (26:37)

فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ (38) وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنْتُمْ مُجْتَمِعُونَ (39) لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِنْ كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ (40)

तो एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्रित किए गए। (26:38) और लोगों से कहा गया, क्या तुम भी एकत्रित होते हो? (26:39) कि यदि जादूगर विजयी हुए तो हम उन्हीं का अनुसरण करें। (26:40)

قَالَ آَمَنْتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آَذَنَ لَكُمْ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ (49)

फ़िरऔन ने कहा कि क्या इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता तुम उस पर ईमान ले आए? निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है तो शीघ्र ही तुम्हें (अपनी सज़ा के बारे में) ज्ञात हो जाएगा। निश्चय ही मैं तुम्हारे हाथ और पाँव दाहिने बाएं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा। (26:49)

قَالُوا لَا ضَيْرَ إِنَّا إِلَى رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ (50) إِنَّا نَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَنْ كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ (51)

उन्होंने कहा, कोई डर नहीं; हम तो अपने पालनहार ही की ओर पलटकर जाने वाले हैं। (26:50) हमें आशा है कि हमारा पालनहार हमारी ग़लतियों को क्षमा कर देगा क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाने वालों में से थे। (26:51)

وَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ (52)

और हमने मूसा की ओर की ओर अपना विशेष संदेश वहि भेजा कि मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात (मिस्र से) निकल जाओ कि निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा। (26:52)

فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ (53) إِنَّ هَؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ (54) وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ (55) وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ (56)

तो फ़िरऔन ने एकत्र करने वालों को नगरों में भेजा (ताकि वे लोगों को एकत्र करें।) (26:53) (और कहला भेजा कि) निश्चय यह कुछ मुट्ठी भर लोगों का एक गुट है। (26:54) और ये हमें क्रुद्ध कर रहे हैं। (26:55) और हम सदैव (लड़ने के लिए) तैयार रहने वाले हैं। (26:56)

فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (57) وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ (58) كَذَلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (59)

फिर हम उन्हें बाग़ों और जल स्रोतों (26:57) और ख़जानों और अच्छे स्थान (अर्थात वैभवशाली महलों) से निकाल लाए। (26:58) यह तो उनके साथ हुआ और (दूसरी ओर) हमने बनी इस्राईल को उनका उत्तराधिकारी बना दिया। (26:59)

فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ (60) فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَى إِنَّا لَمُدْرَكُونَ (61) قَالَ كَلَّا إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ (62)

तो सुबह-तड़के फ़िरऔन की सेना ने उनका पीछा किया। (26:60) फिर जब दोनों गुटों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, निश्चित रूप से हम पकड़े जाएंगे। (26:61) मूसा ने कहा, कदापि नहीं, निश्चय ही मेरा पालनहार मेरे साथ है, वह शीघ्र ही मुझे मार्ग दिखा देगा।

فَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ (63) وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآَخَرِينَ (64) وَأَنْجَيْنَا مُوسَى وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ (65) ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآَخَرِينَ (66)

फिर हमने मूसा की ओर अपना विशेष संदेश वहि भेजा कि अपनी लाठी को सागर पर मारो तो सहसा ही वह फट गया और उसका हर टुकड़ा एक बड़े पर्वत जैसा बन गया। (26:63) और हम दूसरों (फ़िरऔन की सेना) को भी (उसी स्थान के) निकट ले आए। (26:64) और हमने मूसा को और उन सबको जो उनके साथ थे, बचा लिया (26:65) फिर दूसरों को डूबो दिया। (26:66)

إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (67) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (68)

निःसंदेह इसमें एक बड़ी निशानी (और पाठ) है। और फिर भी उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे। (26:67) और (हे पैग़म्बर!) निश्चय ही आपका पालनहार अजेय और अत्यन्त दयावान है। (26:68)

وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ (69) إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ (70) قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ (71)

और (हे पैग़म्बर!) उन्हें इब्राहीम का (भी) वृत्तान्त सुनाइये। (26:69) जब उन्होंने अपने बाप और अपनी जाति के लोगों से कहा कि तुम किस चीज़ की उपासना करते हो? (26:70) उन्होंने कहा कि हम मूर्तियों की पूजा करते हैं, तो हम सदैव उन्हीं की उपासना में लगे रहते हैं। (26:71)

قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ (72) أَوْ يَنْفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ (73) قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آَبَاءَنَا كَذَلِكَ يَفْعَلُونَ (74)

इब्राहीम ने कहा, जब तुम इन्हें पुकारते हो तो क्या ये तुम्हारी बात सुनते हैं? (26:72) या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते हैं? (26:73) उन्होंने कहा, (नहीं) बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है। (26:74)

قَالَ أَفَرَأَيْتُمْ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ (75) أَنْتُمْ وَآَبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ (76) فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ (77)

इब्राहीम ने कहा, क्या तुमने उस पर विचार भी किया है जिसे तुम पूजते हो? (26:75) तुम भी और तुम्हारे पहले के बाप-दादा भी? (26:76) तो ये सब मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसार के (एकमात्र) पालनहार के। (26:77)

الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ (78) وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ (79) وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ (80)

जिसने मुझे पैदा किया और वही मेरा मार्गदर्शन करता है। (26:78) और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है। (26:79) और जब मैं बीमार होता हूँ तो वही मुझे अच्छा करता है। (26:80)

وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ (81) وَالَّذِي أَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ (82)

और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा। (26:81) और वही है जिससे मुझे आशा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ग़लती क्षमा कर देगा। (26:82)

رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ (83) وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآَخِرِينَ (84)

हे मेरे पालनहार! मुझे तत्वज्ञान प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ शामिल कर। (26:83) और बाद में आने वालों में मुझे भला नाम प्रदान कर। (26:84)

وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ (85) وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ (86)

और (हे ईश्वर!) मुझे नेमत से भरे स्वर्ग के उत्तराधिकारियों में शामिल कर। (26:85) और मेरे बाप को क्षमा कर दे कि निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है। (26:86)

وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ (87) يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ (88) إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ (89)

और उस दिन मुझे अपमानित न करना जिस दिन लोग (जीवित करके) उठाए जाएँगे। (26:87) जिस दिन न माल काम आएगा और न संतान। (26:88) सिवाय उसके कि जो पवित्र हृदय के साथ ईश्वर के पास आया हो। (26:89)

وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ (90) وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ (91) وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ (92) مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ (93)

और (उस दिन ईश्वर का) डर रखने वालों के लिए स्वर्ग निकट ले आया जाएगा। (26:90) और (नरक की) भड़कती आग पथभ्रष्ट लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी। (26:91) और उनसे कहा जाएगा, कहाँ है वे जिनकी तुम ईश्वर को छोड़ कर उपासना करते थे? (26:92) क्या वे तुम्हारी सहायता कर रहे हैं या अपना ही बचाव कर सकते हैं? (26:93)

فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ (94) وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ (95) قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ (96) تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (97) إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ (98)

फिर वे और बहके हुए लोग नरक में औंधे मुंह डाल दिए जाएँगे। (26:94) और (इसी प्रकार) इबलीस के सभी सैनिक भी (नरक में डाले जाएंगे।) (26:95) वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे, (26:96) ईश्वर की सौगंध! निश्चय ही हम खुली पथभ्रष्टता में थे। (26:97) क्योंकि हम तुम्हें ब्रह्मांड के पालनहार के बराबर समझ रहे थे। (26:98)

وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ (99) فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ (100) وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ (101)

और हमें तो बस अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया। (26:99) तो (परिणाम स्वरूप आज) न हमारा कोई सिफ़ारिशी है (26:100) और न ही कोई घनिष्ट मित्र। (26:101)

فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (102) إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (103) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (104)

तो काश हमारे लिए एक बार फिर (संसार में) वापसी होती तो हम भी मोमिनों में से हो जाते! (26:102) निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है किंतु उनमें से अधिकतर इस पर भी ईमान लाने वाले नहीं थे। (26:103) और निःसंदेह तुम्हारा पालनहार ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली व अत्यन्त दयावान है। (26:104)

كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ (105) إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ (106) إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (107)

नूह की जाति ने रसूलों को झुठलाया। (26:105) जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, क्या तुम (ईश्वर से) नहीं डरते? (26:106) निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ। (26:107)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (108) وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ (109)

तो ईश्वर से डरो और मेरा आज्ञापालन करो। (26:108) और मैं (पैग़म्बरी के) इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं चाहता कि मेरा बदला तो बस ब्रह्मांड के पालनहार के ज़िम्मे है। (26:109)