धर्म

तौहीद और शिर्क : उन्हें इस भूल में नहीं रहना चाहिए कि वे अपने कर्मों की सज़ा और प्रतिफल से बच जाएंगे : पार्ट-10

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ. طسم (1) تِلْكَ آَيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ (2) لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ (3)

ईश्वर के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। ता सीन मीम (26:1) ये स्पष्ट करने वाली किताब की आयतें हैं। (26:2) शायद आप इस (दुःख) में कि वे (अनेकेश्वरवादी) ईमान नहीं लाते, आप अपने प्राण ही खो बैठेंगे। (26:3)

إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آَيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ (4)

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से (चमत्कार की) एक निशानी उतार दें ताकि उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ। (26:4)

وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ (5) فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ (6)

उनके पास दयावान (ईश्वर) की ओर से (आयत के रूप में) कोई नया उपदेश नहीं आता सिवाय इसके वे उससे मुँह फेर लेते हैं। (26:5) तो उन्होंने (ईश्वरीय आयतों को) झुठला दिया तो शीघ्र ही उन तक उसकी सूचना पहुंच जाएगी, जिसका वे परिहास करते थे। (26:6)

أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ (7) إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (8) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (9)

क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें हर प्रकार की कितनी उत्तम वस्तुएं पैदा की हैं? (26:7) निश्चय ही इस (सृष्टि) में एक (बड़ी) निशानी है, किंतु उनमें से अधिकतर इस पर ईमान लाने वाले नहीं हैं। (26:8) और निश्चय ही तुम्हारा पालनहार वही है जो अजेय और अत्यन्त दयावान है। (26:9)

وَإِذْ نَادَى رَبُّكَ مُوسَى أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ (10) قَوْمَ فِرْعَوْنَ أَلَا يَتَّقُونَ (11)

और (हे पैग़म्बर! याद कीजिए उस समय को) जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि अत्याचारी जाति के पास जाओ। (26:10) फ़िरऔन की जाति के पास (जाओ) कि क्या वे (लोग ईश्वर से) नहीं डरते? (26:11)

قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ (12) وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَى هَارُونَ (13)

मूसा ने कहा, हे मेरे पालनहार! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे। (26:12) और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं खुलती। अतः (मेरे भाई) हारून को भी पैग़म्बरी दे दे (ताकि वह मेरे सहायता कर सकें।) (26:13)

فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ (21) وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدْتَ بَنِي إِسْرَائِيلَ (22)

फिर जब मुझे तुम लोगों का भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे पालनहार ने मुझे तत्वदर्शिता प्रदान की और मुझे पैग़म्बरों में रखा। (26:21) और (हे फ़िरऔन) तूने जो बनी इस्राईल को (अपना) दास बना रखा है (क्या) यही वह अनुकंपा है जिसका उपकार तू मुझ पर जता रहा है? (26:22)

قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ (23) قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ (24)

फ़िरऔन ने कहा, “और यह सारे संसार का पालनहार क्या होता है?” (26:23) मूसा ने कहा, “आकाशों और धरती और जो कुछ इन दोनों का मध्य है सबका पालनहार, यदि तुम लोगों को विश्वास हो तो।” (26:24)

قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ (25) قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آَبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ (26)

फ़िरऔन ने अपने आस-पास वालों से कहा, “क्या तुम सुन नहीं रहे हो? (कि यह क्या कह रहे हैं) (26:25) मूसा ने कहा, तुम्हारा (भी) पालनहार और तुम्हारे पूर्वजों का (भी) पालनहार है। (26:26)