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इस अभाव और ग़रीबी से निकलना है, तो शिक्षा की मशाल जलानी होगी, अन्यथा यहीं छटपटाते हुए जीवन व्यर्थ हो जाएगा
Madhu Singh ==================== “मम्मीजी, आप ज़रा चाचाजी को कुर्सी पर बैठने को कहिए, देखिए तो, लॉन में कैसे बैठे हैं.” बहू सुप्रिया के कहने पर मालती ने लॉन की ओर देखा काका भैरोमल आराम से घुटने तक धोती खिसकाए मूंगफली टूंगते हुए धीरे-धीरे तेल से घुटने की मालिश कर रहे थे. वो कुछ कहती उससे […]
हे बापू ! इहाँ समाजबाद हिन्द स्वराज कहलायेगा और वह किसानों के ग्राम स्वराज और पंचायती राज के रस्ते आगे बढ़ेगा!
Kavita Krishnapallavi ================= एक बार फिर दे रही हूँ! अनुरोध है, पढ़िएगा ज़रूर! पहले पढ़ा हो, तो भी! देवतुल्य रास्ट्रपिता गान्ही बाबा को हम भारतीय कमनिस्टों का सादर परनाम और लाले लाले लाल सलाम !! हे बापू ! हमने ‘रघुपति राघव राजाराम’ और ‘बैस्नव जन तो तेने कहिए’ याद कर लिया है और चरखा कातना […]
कुछ दोहे….कौन किसी को दे सका, पल भर को आराम, सबकी अपनी जिंदगी, सबके अपने काम!
चित्र गुप्त =============== कुछ दोहे ******** चिंता बोली चिता से, मैं जंगल तू रेह तू मुर्दे को बारती, मैं जिंदे की देह सपने डिजिटल इंडिया, के देकर सरकार कटवा देगी एक दिन इंटरनेट के तार। इक पलड़े में दुःख सभी, तह से कर दो सेट फिर भी भारी ही लगी, मोबाइल बिन नेट चित्रगुप्त कारण […]