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तुर्की की अर्थव्यव्सथा बहुत तेज़ी से ख़राब होती जा रही है : रिपोर्ट

तुर्की की अर्थव्यव्सथा के बारे मेंं विशेषज्ञ कह रहे हैं कि वह तेज़ी से ख़राब होती जा रही है।

तुर्की की अर्थव्यवस्था को संभालने में रजब तैयब अर्दोग़ान के लगातार विफल रहने के बाद इस समस्या के समाधान के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने एक व्यवहारिक प्रस्ताव पेश किया है।

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि तुर्की के आर्थिक संकट को हल किया जा सकता है और इसके लिए वहां के केन्द्रीय बैंक को अधिक स्वतंत्र किया जाना चाहिए। आईएमएफ के बयान में कहा गया है कि तुर्की की आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए पहले मंहगाई को रोकना होगा उसके बाद ब्याज की दर को बढ़ाकर इस देश के केन्द्रीय बैंक को अधिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।

हालांकि तुर्की के राष्ट्रपति ने आईएमएफ के सुझाव के विपरीत रास्ता अपना रखा है। अर्दोग़ान के आदेश पर तुर्की के केन्द्रीय बैंक ने पिछले तीन महीनों में बैंक के ब्याज को 3.51 से घटाकर कम कर दिया है। डाॅलर के मुक़ाबले मे तुर्की की मुद्रा लीरा की क़ीमत लगातार कमज़ोर हो रही है। इस वर्ष इसमें 29 प्रतिशत की कमी आई है। तुर्की में प्रतिवर्ष मंहगाई की दर अक्तूबर में बढ़कर बहुत अधिक हो चुकी थी।

ब्लोमबर्ग के आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि आर्थिक क्षेत्र में अर्दोग़ान की ग़लत नीतियां ही तुर्की की अर्थव्यवस्था के पतन की ओर जाने का कारण है। उन्होंने नव अर्थव्यवस्था की नीति अपनाई है जिसमें डाॅलर को लगभग अनदेखा किया गया है। ब्लोमबर्ग के आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति की आर्थिक नीतियों के ही कारण इस देश की राष्ट्रीय मुद्रा गिरती जा रही है।

अर्दोग़ान द्वारा तुर्की के केन्द्रीय बैंक के मैनेजर को बर्ख़ास्त करने जैसी कार्यवाही ने वहां पर बैंकों की आज़ादी को ख़तरे में डाल दिया है। इस वजह से भी तुर्की में आर्थिक स्थति ख़राब हो रही है। इस काम से वहां से पूंजी निवेश बहुत तेज़ी से बाहर जा रहा है। तुर्की के भीतर से देशी और विदेशी पूंजी निवेश का बाहर चला जाना निश्चित रूप में इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं है।

तुर्की में राष्ट्रपति पद के चनुाव निकट हैं। जून 2023 में वहां पर नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने जा रहा है। अपने एक चुनावी भाषण में अर्दोग़ान ने तुर्की की जनता से वाद किया है कि निकट भविष्य में देश की आर्थिक स्थति सुधरेगी। रजब तैयब अर्दोग़ान के वादों के बावजूद तुर्की की अर्थव्यवस्था हर दिन कमज़ोर होती जा रही है। वास्तव में एक व्यक्ति की ग़लत नीतियों के कारण एक देश की जनता नाना प्रकार की समस्याओं का सामना कर रही है।