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तुर्की,चीन के बाद जर्मनी भी आया ईरान के समर्थन में-अमेरिका नाक रगड़ने पर हुआ मजबूर

नई दिल्ली: ईरान की बढ़ती ताक़त अमेरिका के लिये मुश्किल का कारण बनती रही है,अमेरिका चाहता है दुनिया पर उसकी चौधराहट बनी रहे और दुनिया के तमाम राष्ट्र उससे ख़ौफ़ खाएँ,हर कोई उससे दबकर रहे और उसके नाजायज़ कामों पर खामोश रहे,अमेरिका ने शाँति स्थापना के नाम पर अफगानिस्तान,इराक़ को तबाह किया है,जबकि इज़राईल के आतँकवाद को उससे मिटाया नही जारहा है।

ईरान की परमाणु डील रद्द करने के बाद अमेरिका के सिर का दर्द और बढ़ गया है,अब जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने गुरुवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में 2015 के समझौते के बाद ईरान के साथ मौजूदा परमाणु समझौते में चाइना और जर्मनी ईरान के साथ खड़े है। अरब न्यूज़ के मुताबिक, चीन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी प्रीमियर ली केकियांग के साथ संयुक्त समाचार ब्रीफिंग के दौरान मेर्केल ने टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने परमाणु समझौते के हट कर बहुत बड़ी गलती की है, अमेरिका को इस समझौते से हटने पर कुछ हासिल नहीं होने वाला है। परमाणु समझौते को वापिस लेना अमेरिका की सबसे बड़ी गलती है।

अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु समझौते को रद्द करने के बाद अब तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप ने ईरान के साथ बहुपक्षीय परमाणु समझौते के लिए समर्थन की आवाज़ उठायी है। एर्दोगान ने एक बार अमेरिका के खिलाफ ईरान को समर्थन दिया है।

राष्ट्रपति एर्दोगान ने आगे कहा कि, “हमारे देश और क्षेत्र के खिलाफ मुख्य खतरा परमाणु हथियार हैं.”उन्होंने कहा कि, “कम से कम 15,000 परमाणु हथियार वाले लोग अब दुनिया को धमकी दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि, पूरी दुनिया को परमाणु हथियार से मंजूरी दे दी और कहा कि तुर्की का मानना है कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, ना की हमला करने के लिए।

आपको बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 8 मई को ईरान के साथ परमाणु समझौते से वापस लेने का फैसला लिया इसके ऊपर, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ ने 21 मई को सैन्य दबाव और आर्थिक प्रतिबंधों के साथ ईरान को “कुचलने” की कसम खाई थी।

हालांकि, जर्मनी, फ्रांस और यूके के नेताओं ने 17 मई को बुल्गारिया में ईयू शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी बैठक के बाद ईरान के साथ समझौते को कायम रखने पर सहमति ज़ाहिर की।