विशेष

“तुम मुझे बेवकूफ़ बना रही हो? तेरी जैसी कई लड़कियां आईं और चली गईं”

Glory Andradee
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लव तो बस एक नाम है, सेक्स भी तो एक गेम है, तो सोच क्या रहे हो, भूल जाओ नाम, और खेलो गेम.वर्षा की शादी को पंद्रह दिन हुए थे। हनीमून से लौटने के बाद, वह ससुराल जाने की तैयारी कर रही थी। नकुल, उसका पति, काम की वजह से साथ नहीं जा पाया, इसलिए वर्षा ने अकेले गाँव जाने का फैसला किया। उसे खुशी थी कि वह ससुराल में अपनी सास और ननद सुनैना के साथ समय बिताएगी और शादी की रस्मों को अच्छे से समझ सकेगी।

गाँव पहुँचने पर वर्षा का स्वागत बड़े प्यार और अपनत्व से हुआ। उसकी सास कमला और ननद सुनैना ने उसे परिवार का हिस्सा होने का पूरा एहसास कराया। अगले दिन, गाँव की औरतें मुँह दिखाई के लिए आईं, और खूब मिठाई व नाश्ते का दौर चला। भारी खाने की वजह से वर्षा की तबीयत खराब हो गई, और पेट दर्द की शिकायत पर सास उसे डॉक्टर विनोद के क्लिनिक ले गईं।

डॉक्टर के क्लिनिक पर काफी भीड़ थी। जब वर्षा का नंबर आया, तो वह डॉक्टर के चेंबर में गई। डॉक्टर ने जांच के बहाने उसे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। इस हरकत से आहत वर्षा ने तुरंत उसे तमाचा मारा और कमरे से बाहर निकल आई। डॉक्टर ने उसे धमकी दी कि उसके पास गाँव की कई महिलाओं की वीडियो और फोटो हैं, और वह उन्हें सार्वजनिक कर देगा।

डरी हुई वर्षा ने यह बात घर लौटकर नकुल को बताई। सुनैना ने भी साहस जुटाकर बताया कि उसके साथ भी डॉक्टर ने ऐसा किया था, लेकिन समाज के डर से वह चुप रही। नकुल ने समझदारी से काम लिया और डॉक्टर को पकड़वाने की योजना बनाई। उसने वर्षा को एक बार फिर डॉक्टर के पास जाने को कहा।

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वर्षा ने हिम्मत दिखाते हुए डॉक्टर से बातचीत के दौरान उसका फोन चुरा लिया और तुरंत क्लिनिक से बाहर निकल आई। नकुल और वर्षा ने वह फोन पुलिस को सौंप दिया। फोन में कई महिलाओं के आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें मिलीं, जो डॉक्टर के अपराध को साबित करने के लिए काफी थीं। पुलिस ने डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया।

जब गाँव वालों को डॉक्टर की सच्चाई का पता चला, तो वे गुस्से और शर्म से भर गए। नकुल की बहन सुनैना ने कहा, “भाभी ने ना केवल मेरे साथ हुए अन्याय का अंत किया, बल्कि गाँव की हर महिला को न्याय दिलाया है।”

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सास कमला ने गर्व से कहा, “वर्षा, तुमने सूझबूझ और हिम्मत से हमारी इज्जत बचाई है। तुम हमारे घर की शान हो।”

डॉक्टर विनोद को उसके कुकर्मों के लिए सख्त सजा मिली। वर्षा की बहादुरी ने न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे गाँव को एक नई दिशा दी। ननद की शादी के बाद, नकुल और वर्षा शहर लौट गए, लेकिन वर्षा का नाम गाँव में बहादुर बेटी के रूप में हमेशा याद किया गया।

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Esa Digital Agency & Film Studio is in Mumbai
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प्यार की खातिर करवाया जेंडर चेंज, महिला टीचर ने कर ली स्टूडेंट से शादी, देखें अनोखी तस्वीरें
भरतपुर के डीग तहसील में एक अनोखी प्रेम कहानी ने सबका ध्यान खींचा है। प्यार में सब कुछ जायज होने की मिसाल पेश करते हुए एक महिला ने अपने प्यार को पाने के लिए जेंडर चेंज करवा लिया। सरकारी स्कूल की शारीरिक शिक्षिका मीरा ने अपने ही स्कूल की छात्रा कल्पना से प्यार किया। यह प्यार इतना गहरा था कि मीरा ने जेंडर चेंज करवाकर खुद को लड़का बना लिया और दो दिन पहले अपनी छात्रा कल्पना से शादी कर ली।
मीरा, जो अब आरव बन चुकी हैं, ने बताया कि वे सरकारी स्कूल में शारीरिक शिक्षक हैं। कल्पना, जो स्कूल की एक होनहार खिलाड़ी थीं, से उनके प्रेम की शुरुआत खेल-कूद के दौरान हुई। मीरा को हमेशा यह महसूस होता था कि वे लड़की के रूप में जन्मीं, लेकिन अंदर से खुद को लड़का मानती थीं। इस आत्म-संवेदनशीलता के चलते उन्होंने जेंडर चेंज का फैसला किया और अपने प्यार को हासिल करने के लिए यह साहसी कदम उठाया।
कल्पना ने अपनी शादी को लेकर खुशी जताते हुए कहा कि मीरा, जो अब आरव बन चुकी हैं, उनकी स्कूल की शारीरिक शिक्षिका थीं। दोनों के बीच गहरा प्यार था और इस प्रेम को निभाने के लिए उन्होंने शादी करने का फैसला लिया। खास बात यह है कि इस शादी में दोनों परिवारों की रजामंदी शामिल थी, जिससे शादी पूरे रीति-रिवाजों और गाजे-बाजों के साथ संपन्न हुई।
शादी में स्थानीय रस्मों को निभाया गया, और यह समारोह दोनों परिवारों के लिए बेहद खुशी का पल साबित हुआ। भरतपुर के डीग तहसील में हुई इस शादी ने यह साबित किया कि प्यार सामाजिक सीमाओं और परंपराओं से परे होता है। आरव और कल्पना की यह प्रेम कहानी साहस, स्वीकृति और समाज में बदलाव की अनोखी मिसाल है।…

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Anuj Yadav

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उत्तर प्रदेश के कन्नौज में दो सहेलियां एक-दूसरे को
दिल बैठीं. फिर इस कदर प्रेम परवान चढ़ा कि उन्होंने
आपस में शादी करने का फैसला कर लिया. ऐसे में
एक सहेली ने करीब 7 लाख रुपये खर्च कर अपना
जेंडर चेंज करवा लिया. वह लड़की से लड़का बन गई
और फिर ब्यूटी पार्लर संचालिका सहेली से शादी के
बंधन में बंध गई. इलाके में ये शादी चर्चा का विषय
बनी हुई है. सोशल मीडिया पर कपल की तस्वीरें
वायरल हो रही हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कन्नौज जिले के
सरायमीरा निवासी एक सर्राफा कारोबारी की बेटी ने
अपनी सहेली से 25 नवंबर को शादी रचा ली. शादी
रचाने के लिए कारोबारी की बेटी ने जेंडर चेंज
करवाया, जिसमें उसने करीब 7 लाख रुपये खर्च
किए. इसके बाद उसने अपना नाम भी बदल लिया
वह पूरी तरह से लड़का बन गई
बताया जा रहा है कि सर्राफा कारोबारी की बेटी और
ब्यूटी पार्लर संचालिका की मुलाकात 2020 में
ज्वैलरी शॉप पर हुई थी. उस वक्त ब्यूटी पार्लर
संचालिका वहां ज्वैलरी खरीदने पहुंची थी. तभी दोनों
में जान-पहचान हो गई. फिर उनके बीच मुलाकात का
सिलसिला शुरू हुआ. धीरे-धीरे उन्हें प्यार हो गया
उनकी जिद के आगे परिवार वाले भी कुछ ना कर
सके और दोनों को साथ रहने की इजाजत देदी
कन्नौज में दो सहेलियों ने शादी की है. इस शादी में एक सहेली ने अपना जेंडर चेंज कराकर लड़का बन गई. दोनों परिवारों की रज़ामंदी से हुई इस शादी की चर्चा जोरों पर है.
ये रही इस शादी से जुड़ी कुछ खास बातें:
यह शादी कन्नौज के सरायमीरा स्थित देविन टोला मोहल्ले में हुई थी.
दोनों सहेलियों के बीच प्रेम इतना परवान चढ़ा कि उन्होंने आपस में शादी करने का फ़ैसला किया.
एक सहेली ने करीब 7 लाख रुपये खर्च कर अपना जेंडर चेंज करा लिया.
शादी के बाद दोनों ही परिवार खुश हैं.
विधि-विधान के साथ मांगलिक कार्यक्रम पूरे हुए.
एक सहेली ने शूट-बूट और सेहरा बांधकर दूल्हा का किरदार निभाया.
दूसरी सहेली लहंगा पहनकर दुल्हन बनी.
दोनों ने विवाह की सभी रश्में निभाईं

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Surendra Kalyana Nokha

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एक दिन की बात है , जब एक काम से मुझे 16 सितंबर को कोलकाता जाना पड़ा। मैंने तत्काल स्लीपर टिकट लिया ट्रेन से रवाना हो गया। मेरे बैठने के ठीक तीन घंटे बाद , एक सलवार सूट पहने हुए गोरी सी लड़की, एक बैग लिए हुए मेरी सीट पर एक किनारे बैठ गई।
मैं उस समय हाथ में एक मैगजीन पढ़ रहा था। वह लड़की बार-बार इधर-उधर देख रही थी और बीच-बीच में मुझे भी देख रही थी। शायद उसे लग रहा था कि कहीं मैं उसे अपनी सीट से उठने के लिए न कह दूं।
मैंने मैगजीन रखते हुए पूछा, “कहां जाना है ?”
लड़की ने जवाब दिया , “कोलकाता।”
फिर उसने पूछा , “आप कहां तक जाएंगे ?”
मैंने कहा , “मुझे भी कोलकाता ही जाना है। और आपकी सीट कहां है ?”
उसने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “मेरे पास जनरल टिकट है।”
मैंने कहा, “तो अभी टीटी आएगा, तो टिकट बनवा लेना। शायद सीट भी मिल जाए।”
लड़की ने कहा, “जी ठीक है। मैं बनवा लूंगी। लेकिन तब तक आप हमें बैठने दीजिए।”
मैंने कहा , “कोई बात नहीं। बैठी रहो।”

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कुछ देर बाद टीटी आया। उसने लड़की को स्लीपर का टिकट तो बना दिया, लेकिन कोई सीट नहीं दी। उसने कहा, “कोई सीट खाली नहीं है।”
मैंने लड़की से पूछा, “आप करती क्या हो ?”
उसने कहा , “कुछ नहीं।”
मैंने कहा , “मेरा मतलब पढ़ाई से है।”
उसने जवाब दिया , “जी , मैं ग्यारहवीं क्लास में पढ़ती हूं।”
मैंने पूछा , “और आपके घर में कितने लोग हैं ?”
उसने कहा, “मम्मी-पापा, भाई-बहन सब हैं।”
थोड़ी देर बाद, उसने मोबाइल निकाला, उसमें सिमकार्ड लगाया और किसी से बात करने लगी। उधर से कौन था और क्या बात हुई, यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन उसने अपना लोकेशन जरूर दे दिया।
मैंने पूछा, “पापा से बात कर रही थीं, स्टेशन से रिसीव करने के लिए ?”
लड़की ने कहा, “जी नहीं, पापा तो गांव में हैं।”
मैंने कहा, “फिर भैया रहे होंगे।”
लड़की ने जवाब दिया, “नहीं, वो…मेरे…वो थे।”

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मैंने पूछा, “ओ थे मतलब ? मुझे तो नहीं लगता कि आपकी शादी हो चुकी है।”
लड़की मुस्कुराते हुए बोली, “जी, अभी तो नहीं हुई है, लेकिन दो-तीन दिन में हो जाएगी।”
मैंने कहा , “ओ, अब समझा। इसका मतलब प्रेम विवाह करने वाली हो।”
लड़की ने जवाब दिया, “जी,” और मुस्कुराने लगी।
मैंने पूछा, “लड़का क्या करता है ?”
लड़की बोली, “कोलकाता में नौकरी करता है और कह रहा है कि मुझे भी नौकरी दिला देगा। फिर हम दोनों मौज से रहेंगे।”
मैंने कहा , “काफी स्मार्ट लड़का होगा।”
लड़की ने कहा, “जी, बहुत स्मार्ट है और बहुत अच्छे स्वभाव का है।”
मैंने कहा, “मैंने भी प्रेम विवाह किया है।”
लड़की ने उत्सुकता से पूछा, “आप भी भागकर शादी किए थे ?”
मैंने कहा , “नहीं! जिस लड़की को मैं पसंद करता था, वह भी मुझसे भागकर शादी करने को कह रही थी। लेकिन मैंने उससे कहा कि हम तुम्हें पसंद करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अपने मां-बाप, जिन्होंने हमें पाला-पोसा, उनकी इज्जत को ठुकरा दें। मैंने कहा कि शादी तो तुमसे ही करूंगा, लेकिन मां-बाप को मना कर। और आखिरकार माता-पिता मान गए, और हमारी शादी हो गई।”
मैंने लड़की से पूछा, “वैसे आप जिससे प्रेम करती हैं, उसे आपके घर वाले जानते हैं ?”
लड़की ने कहा , “जी नहीं , कोई नहीं जानता।”
मैंने पूछा, “आपने उसका घर देखा है और उसके घर वाले आपको जानते हैं ?”
लड़की ने जवाब दिया, “नहीं।”
मैंने कहा, “फ्रॉड! तुम्हारे साथ फ्रॉड होने वाला है।”

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लड़की ने कहा, “नहीं , वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है। वह मुझसे बहुत प्यार करता है।”
मैंने कहा, “जो प्यार करता है, वह जताने की कोशिश नहीं करता। और तुम्हारे धन या सुंदरता से प्रेम करने वाला असली प्रेमी नहीं हो सकता।”
लड़की बोली, “नहीं, वह ऐसा नहीं कर सकता।”
मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन मैं तुम्हें एक तरीका बताता हूं। क्या तुम उसकी परीक्षा लेना चाहोगी ?”
लड़की ने पूछा , “कैसे ?”
मैंने कहा, “उसे फोन करो और कहो कि मेरे मम्मी-पापा मान गए हैं और शादी के लिए तैयार हैं। वे कोलकाता आ रहे हैं और उसके माता-पिता को भी बुलाने के लिए कहो।”
लड़की ने वैसा ही किया। लड़के ने उसकी बातें सुनकर गुस्से में आकर कहा, “तुम मुझे बेवकूफ बना रही हो ? तेरी जैसी कई लड़कियां आईं और चली गईं।”
फिर उसने फोन काट दिया।
लड़की ने दोबारा फोन किया, लेकिन फोन स्विच ऑफ हो चुका था। मैंने कहा, “अब उसका फोन कभी नहीं लगेगा। ऐसे लड़के अलग-अलग लड़कियों के लिए अलग-अलग सिमकार्ड का उपयोग करते हैं।”
लड़की रोने लगी। मैंने कहा, “रोने से कुछ नहीं होगा। अभी कुछ नहीं बिगड़ा है। अपने घर फोन करो और सब सच बता दो।”
लड़की ने अपने पापा को फोन किया। उसने रोते हुए सब कुछ बताया। उसके पापा ने कहा, “बिटिया , तुम सुरक्षित घर आ जाओ। बाकी सब हम संभाल लेंगे।”
लड़की ने मुझे धन्यवाद दिया और अगले स्टेशन पर उतरकर घर के लिए रवाना हो गई।
सीख: भावनाओं में बहकर जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर नुकसानदेह होते हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने परिवार का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
धन्यवाद।

 

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Dev Kumar 

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जवानी चढ़ते ही अपने प्रेम के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की ठसक सर पर चढ़ने लगती है
नवंबर में मेरी शादी हुई थी। सबकुछ अच्छा था—प्यार करने वाला पति, खुशहाल परिवार, और जीवन के सुनहरे सपने। शादी के शुरुआती साल गुलाबी सपनों की तरह थे। हम दोनों एक-दूसरे का साथ पाकर बेहद खुश थे। हर दिन रोमांटिक, हर पल खास। हाथों में हाथ डालकर घूमना और अनगिनत बातें करना हमारे जीवन का हिस्सा बन गया था।
लेकिन वक्त तो रेत की तरह फिसलता है। धीरे-धीरे हमारी जिंदगी में जिम्मेदारियां आने लगीं। शादी के दो साल बाद हमारे घर एक नन्हा मेहमान आया। बच्चे के आने से पूरा ध्यान उसकी देखभाल में चला गया। रात-दिन उसके लाड-प्यार में बीतने लगे। इस बीच, कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, और कब हमारी बातें और साथ में बिताया गया समय कम हो गया, पता ही नहीं चला।

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जीवन आगे बढ़ा। बच्चा बड़ा होने लगा। उसकी पढ़ाई, घर की किस्तें, गाड़ी का लोन, और बैंक में शून्यों को बढ़ाने की चिंता ने हम दोनों को अपने-अपने काम में व्यस्त कर दिया। मैं अपनी नौकरी में खो गया, और वह घर-परिवार में।

35 की उम्र तक आते-आते सब कुछ होते हुए भी दिल में एक खालीपन था। घर, गाड़ी, और बैंक में पैसे तो थे, पर वह खुशी कहीं खो गई थी। उसने अपनी चिड़चिड़ाहट को बढ़ा लिया, और मैं अपनी उदासीनता को। हम दोनों एक साथ होकर भी अलग हो चुके थे।

समय का पहिया घूमता रहा। बेटा बड़ा हुआ, और उसका अपना संसार बन गया। हम दोनों पैंतालीस के हो गए। मैंने एक दिन उससे कहा, “चलो, कहीं घूमने चलते हैं, हाथों में हाथ डालकर।” उसने मुझे अजीब नजरों से देखा और कहा, “तुम्हें फुर्सत है, पर मेरे पास बहुत काम है।” यह सुनकर मैं चुप हो गया।

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वक्त के साथ बाल सफेद होने लगे, आंखों पर चश्मा लग गया। बेटा अपनी पढ़ाई पूरी करके परदेश चला गया। घर की दीवारें अब खाली लगने लगीं। वह भी उम्रदराज हो गई थी। हमारी जिंदगी अब दवाइयों और डॉक्टरों के चक्कर में सिमट गई थी।

एक दिन बेटा फोन करता है और कहता है, “पिताजी, मैंने शादी कर ली है। अब यहीं रहूंगा। आपके लिए वृद्धाश्रम में जगह देख ली है। बैंक में जो पैसे हैं, उन्हें वहीं दान कर दीजिए।”
फोन रखते हुए मैं ठंडी हवा में सोचने लगा कि जिंदगी ने हमें कहां लाकर खड़ा कर दिया है। मैं सोफे पर बैठा था, और उसने दिया-बाती खत्म कर ली। मैंने उसे पुकारा, “आज फिर से हाथों में हाथ डालकर बातें करें?”

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वह मुस्कुराई और बोली, “अभी आई।” मेरे चेहरे पर चमक आ गई, लेकिन वह पल आखिरी था। मैं निस्तेज हो गया, हमेशा के लिए।
वह मेरे पास आई, मेरे ठंडे हाथों को अपने हाथ में लिया। पूजा घर में जाकर भगवान को प्रणाम किया और लौटकर बोली, “चलो, अब बताओ, क्या बातें करनी हैं?” उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उसने मुझे एकटक देखा।

अब ठंडी हवा का झोंका चल रहा था। वह मेरी ठंडी देह के पास बैठी सोच रही थी, “क्या यही जिंदगी है?”
जिंदगी को जीने का यही सच है—खुशियों के छोटे-छोटे पलों को सहेजना और उन्हें अपने तरीके से जीना।