साहित्य

तुम्हारे सिवा कुछ दिखा ही नहीं है, हुआ क्या हमें ये पता ही नहीं है…. **अंशू पांडेय** की तीन ग़ज़लें आपकी नज़र!

अंशू पांडेय ·
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फिल से प्राप्त ग़ज़ल और आपकी नज्र
मतला –
तुम्हारे सिवा कुछ दिखा ही नहीं है
हुआ क्या हमें ये पता ही नहीं है
हमारी खता क्या ज़रा तुम बताओ
मिली जो सजा वो वज़ह ही नहीं है
बहुत लेके आते हैं नेता तो वादे
बहुत सुन चुके कुछ नया ही नहीं है
कई बार हमसे वो उल्झे हैं लेकिन
वजह उलझनों की पता ही नहीं है
चली आज नदिया भी सागर से मिलने
कहां फिर वो खोई पता ही नहीं है
#स्वरचित✍️ अंशू पांडेय प्रयागराज

अंशू पांडेय
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122 122 122 122
तुम्हें देखकर हम तड़पते रहेंगे
कि अरमां हमारे मचलते रहेंगे
बड़ी आस थी तुमसे मिलने की मेरी
जो मिलना हुआ ना अधूरे रहेंगे
निगाहों में तेरी वफ़ा ढूंढते हैं
वफ़ा ना मिले तो सुलगते रहेंगे
बहारों का मौसम भी आया है लेकिन
कि बिन तेरे हम तो सूखे रहेंगे
जलालो दिये और बढ़े रोशनी भी
उठा लो नज़र तो अंधेरे रहेंगे
करे जो भी मेहनत बड़ी ही लगन से
कि संघर्ष के फल तो मीठे रहेंगे
पड़े आन संकट जो सारे जहां पर
गरल को महादेव पीते रहेंगे
भले लाख घर में मेले लगें हों
बिना हम तुम्हारे अकेले रहेंगे
गये टूट गर हम दुनिया में यारों
वही श्याम अपने सहारे रहेंगे
बड़ी तेज़ लगती है बातें हमारी
सही कह रहे हैं कि तीखे रहेंगे
#स्वरचित✍️ अंशू पांडेय प्रयागराज


अंशू पांडेय
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एक ग़ज़ल और आपकी नज़र….
जीत जाते हैं हम तो गैरों से
बात अपनों की आयी हारें हम
चल दिए थे कभी जो साथ तेरे
ढूंढते हैं वहीं से राहें हम
सामने कह न पाए हम तुमसे
बात कहनी है क्या बताएं हम
लिख दिया है दिल पे नाम तेरा
और कैसे इसे मिटाएं हम
कल जो देखा था हमने ख्वाब तेरा
अब तलक भी न जाग पाएं हम
ये झुकी सी नज़र कमाल तेरी
बोल कैसे नज़र मिलाएं हम
जब भी दिल शायरी सुनाता है
उसको शब्दों में खूब ढालें हम
बस गए हैं हमारी यादों में
उनको कैसे भला भुलाएं हम
कल दिखा चांद आसमानों में
गीत मन के बहुत ही गाएं हम
#स्वरचित✍️ अंशू पाण्डेय प्रयागराज