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तुम्हारे जाने के बाद…संजय नायक ‘शिल्प’ की एक सुन्दर रचना
संजय नायक ‘शिल्प’ =========== तुम्हारे जाने के बाद…. कुछ खास नहीं बदला तुम्हारे जाने के बाद। न जाने तुम्हें क्यों लगता था, कि तुम्हारे जाने के बाद बहुत कुछ बदल जायेगा। हमारी अंतिम मुलाकातों के दौर में हमेशा तुम्हारी यही बात दोहराव के साथ सामने आती थी, “देखना तुम बदल जाओगे, वक़्त अच्छे अच्छों […]
दफ़्तर-ए-लौह ओ क़लम या दर-ए-ग़म खुलता है…होंट खुलते हैं तो इक बाब-ए-सितम खुलता है—-वहीद अख़्तर
दफ़्तर-ए-लौह ओ क़लम या दर-ए-ग़म खुलता है होंट खुलते हैं तो इक बाब-ए-सितम खुलता है हर्फ़-ए-इंकार है क्यूँ नार-ए-जहन्नम का हलीफ़ सिर्फ़ इक़रार पे क्यूँ बाब-ए-इरम खुलता है आबरू हो न जो प्यारी तो ये दुनिया है सख़ी हाथ फैलाओ तो ये तर्ज़-ए-करम खुलता है माँगने वालों को क्या इज़्ज़त ओ रुस्वाई से देने वालों […]
पापा का प्रेम जीत गया और ताई जी हार गई
Madhu Singh =========== अंतरा आज बहुत नर्वस थी। घर मे काफी मेहमान भी आये हुऐ थे। अंतरा की सगाई थी आज। अंतरा तू अभी तक तैयार नही हुई तेरी यही आदत मुझे पसन्द नही है।सारा सामान फैला कर रखा है तूने मम्मी गुस्सा कर रही थी अंतरा पर या शायद खुद को काम मे व्यस्त […]