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तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया, आगे क्या हुआ, जानिये!
Hukam Singh ============== प्रश्न ये था कि तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया। आगे क्या हुआ? तो साहब हुआ ये कि तपते रेगिस्तान में एक गीदड़ को मरा हुआ ऊंट मिल गया। गीदड़ की बांछे खिल गई और काफ़ी सोच विचार कर उसने ऊंट को अंदर ही अंदर खाने की […]
हम चाहते कुछ और हैं, होना कुछ और चाहिये, होता कुछ और है। जैसे सब गड्डमगड्ड है….By-सर्वेश तिवारी श्रीमुख
Sarvesh Kumar Tiwari ============ और अंततः एक बरस और बीत गया। बीतता साल यदि राम के बनवास की तरह बीत जाय तो क्या बात हो, पर जीवन बीतता दशरथ की आयु की तरह ही है। यूँ ही चलते चलते पता चलता है कि हाथ से कुछ पल और सरक गए… ‘बिहारी’ मेरे प्रिय कवि हों, […]
बस इतना है अपराध मेरा…मनस्वी अपर्णा की कविता!
मनस्वी अपर्णा =========== #कविता बस इतना है अपराध मेरा मैंने जीवन जीना चाहा हंसना चाहा, रोना चाहा अपने जैसा, होना चाहा हिम्मत रक्खी सब खोने की सब खोकर, कुछ पाना चाहा इतनी कोशिश के बाद भी मैं हाथों को खाली पाती हूॅं मैं रोज़ यही दुहराती हूॅं बस इतना है अपराध मेरा मैंने जीवन जीना […]