साहित्य

#तुम्हारे #नाम #___हलो #___सुनो…!!

Arvind Tamrkar ·
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#___तुम्हारे #नाम #___हलो #___सुनो…!!
मैं चाहता था कि एक ख़त लिखूँ तुम्हारे नाम
और तुम्हें भेजूँ। मुझे पता है कि अगर वो ख़त
तुम्हारे हाथ में होगा तो यक़ीनन
तुम उस ख़त को भिगो दोगी।
तुम्हारी आँखें मेरे शब्दों का बोझ नहीं सहन
कर पाएंगीं और पूरे ख़त को पढ़ते पढ़ते भिगो दोगी।
लेकिन फिर भी लिख रहा हूँ मैं चाहता हूँ कि
आख़िरी बार ही सही कम से कम इस ज़िन्दगी में
तुमसे बता तो सकूँ कि क्या चाहता था मैं,
क्या ख़्वाहिशें हैं जो मेरे अंदर ही घुट घुट कर
मरी जा रही हैं..
तमाम ख़्वाब तो कतरा कतरा करके बह गए।
ये ख़्वाब इतने नुकीले थे कि मानों काँच से
किसी ने मेरी आँख की पुतलियों के किनारे
काट दिये हों। चलो तो मैं तुम्हें बता दूँ कुछ…
तुम्हारा आना किसी मन्नत की तरह था मेरे लिये, अचानक से आई और न मैं चाहता था कि कोई ऐसे आये लेकिन आरज़ू भी थी कहीं न कहीं दबी हुई।
धीरे धीरे तुम आदत ही बन गए…
तुम्हें पता नहीं होगा लेकिन फिर भी
बताना फ़र्ज़ है मेरा..
हर रोज़ सुबह सुबह तुम्हारी आवाज मुझे
सुनाई पड़ती है।
मोबाइल के कोरे स्क्रीन पर भी मिस्डकॉल
दिखाई पड़ते हैं, लगता है कि दस मैसेज पड़े हैं
और तुम कल रात के मैसेज के रिप्लाई न मिलने पर गुस्सा भी हो। लेकिन हमेशा की तरह तुम्हारे सुबह के पहले मैसेज में लिखा हुआ है
जय माता दी🙏
तुम्हें मालूम नहीं है कि मैं किस हद तक जा सकता था,
मैं ख़ून के रिश्तों के बराबर की अहमियत में रखता था। ख़ून के रिश्ते का मतलब समझती हो.?
माँ-पिता, भाई-बहन के बराबर ही यानी ज़रूरत
पड़ने पर जिनके लिए आप बिना झिझक किसी भी
समय जान दे और ले सकते हो।
तुमसे आख़िरी बार न मिल पाने का मलाल तो रह ही जाता है पर अच्छा ही हुआ कि नहीं मिल पाए हैं
नहीं तो ये कलेजा और न जाने कितने टुकड़ों में
बिखर जाता।
जितने टुकड़े उतना ज़्यादा चुभन..
जितना चुभन उतने आँसू।
दिमाग काम तो बहुत कर रहा है
पर बस पुरानी बातें ही घुमाकर महसूस करवा रहा है
और आँखों के आगे वो किसी वीडियो को auto play पर लगा रखा है।
एक तुम्हारे दूर चले जाने से ही मुझ में
तमाम बुराई आ रही है,
तमाम बुरी लत मेरा हाथ पकड़ने को आतुर हैं
पर मेरे हाथ में आज भी कोई एक हाथ महसूस होता है.. वो तुम्हारा है..!
ओह्ह नहीं तुम चले गए हो न..
तुम्हारी याद आती है और लौट आने की उम्मीद
लगे तो जैसे लगता है कि सफ़ेद बर्फ़ की चादर से
ढके हुए हल्के से दिखते हुई पहाड़ के पीछे से
सूरज उग रहा है और पूरी बर्फ़ चमक उठी है।
जब आवाज सुनाई पड़ती है तो मुझे लगता कि
किसी बहती हुई #सरिता के किनारे बैठा हूँ
आस पास पड़े हैं और बहता हुआ पानी पत्थरों से टकराकर एक हल्का प्यारा सा शोर कर रहा है..
चिड़ियाँ बीच बीच में आकर अपनी बातें सुना रही हैं
कि तुम्हें उससे बात करनी चाहिए थी,
उसको ऐसे तो नहीं जाने देना चाहिए था पर अफ़सोस मुझे बहुत देर बाद इन चिड़ियों की भाषा समझ आई।
तब तलक मेरे हाथों में रखी हुई सिगरेट ने मेरा हाथ जला दिया था यानी किसी ने झटके से मुझे जगा दिया हो..
मेरा ख़्वाब वहीं चकनाचूर हो जाता है।
बची रहती है तो एक मायूसी और बेबस सी मुस्कान, ख़्वाब के बग़ैर जी रही इन सूनी आँखों में थोड़े आँसू। और फिर लग जाता हूँ इधर उधर..
बस ज़िन्दा रहने…
मुझे याद आता है कि “
हर किसी को मुक़म्मल जहां नहीं मिलता ,,
याद रखना..
अब शायद लौटने के रास्ते तो लगभग बन्द ही हो चुके हैं। लेकिन मेरे शब्द में तुम्हारी एक ख़ास जगह रहेगी।
मेरे “ तब ,, का जवाब “फिर ,, या “ तब क्या ,,
से जाने कौन देगा अब…
तुम जानती हो कि मैं तुम्हारा क्या था अभी तक…
चलो सब छोड़ो और बताओ कैसी हो.?
अच्छी हो न.. तो मुस्कुरा दो अब।
हो सकता