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तीन धर्मों की धार्मिक भूमि ”CANAAN”

Kranti Kumar
@KraantiKumar
तीन धर्मों की धार्मिक भूमि CANAAN – आधुनिक समय का इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन है.

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तीन धर्मों के पितामह अब्राहम के आगमन से पहले भी कनान आबाद भूमि थी – कनान पर किसी एक जनजाति नही, कई जनजातियों का निवास था. विभिन्न प्रकार की बोली भाषा का समाज था. जहां हर जनजाति में मृत्यु बाद को दफन करने का रिवाज अलग था.

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कनान की भूमि पर पहला विवाद ‘अब्राहम’ और उनके भतीजे ‘लोट’ के बीच चारागाह के विषय में हुआ. आपस का मसला था. बिना रक्तपात के अब्राहम ने इस विषय को सुलझाया. अब्राहम ने कहा प्रिय भतीजे ‘लोट’ तुम अपनी हज़ारों भेड़ भकरियों को पूरब की ओर ले जाओ और मैं दक्षिण की ओर जाता हूँ. लूट ने अपने चाचा की बात मानते हुए पूरब की ओर प्रस्थान कर दिया, जहां पानी और चारागाह की कोई कमी नही थी !

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कनान में अब्राहम के वंशजों और कनान मूलनिवासियों में भूमि अधिग्रहण के लिए खूब संघर्ष हुआ. अपना वर्चस्व स्थापित करने और ज़मीन हड़पने के लिए अब्राहम के वंशजों ने कनान की भूमि में बहुत रक्तपात किया.

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ऐसा समय भी आया जब कनान में भयंकर अकाल पड़ा. भूख प्यास से जानवर ही नही इंसान भी मरने लगे. कनान के मूलनिवासियों ने अकाल से जूझना स्वीकार किया. लेकिन अब्राहम के वंशज अपनी जान बचाते हुए मिस्र भाग गए.

अब्राहम के वंशज कई सदी बाद वापस कनान लौटे – उन्हें अपनी खोई हुई ज़मीन वापस चाहिए थी जो कभी उनकी थी ही नही. कनान में भूमि विवाद ने गृह युद्ध की शक्ल अख्तियार कर ली.

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यहूदियों ने लिखा है – शैतानों को परास्त कर हमने अपनी खोई हुई भूमि वापस जीत ली. इस जीत ने शक्तिशाली यहूदी राष्ट्र इजरायल को जन्म दिया.

इस्लाम के उदय के बाद यहूदियों ने इजरायल से पलायन करना शुरू किया. कृषि पर भारी कर और गृह युद्ध ने पलायन में इजाफा किया. यहूदी पूरी दुनिया में फैल गए.

जर्मनी में नाज़ियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने इजरायल जो फिलिस्तीन बन चुका था वहां यहूदी राष्ट्र बनाने की रूपरेखा तैयार की.

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यहूदी दुबारा अपनी छोड़ी हुई भूमि पर वापस आने लगे जहां अब किसी ओर लोगों की बसाहट थी. यहूदियों ने वही किया जो उनके पूर्वजों ने 5000 हज़ार साल पहले मूलनिवासी जनजातियों के साथ किया था. अब यहूदियों ने फिलिस्तीनी मुसलमानों को खदेड़ कर उनकी भूमि पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया.

अब्राहम के आगमन से पहले इजरायल पर जो जनजाति रहती थी उसके बारे में कोई खास जानकारी नही है, उनकी भाषा, संस्कृति और रहन सहन पर कोई रिकॉर्ड नही है. इजरायल में पुराने कंकाल मिले हैं जो यहुदियों के डीएनए से मैच नही करते. इतिहासकारों के अनुसार कंकाल कनान के मूलनिवासियों के हैं. जिनका नरसंहार कर यहूदी राष्ट्र की स्थापना की गई.

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इतिहास में पराजित होने वालों का कम या ना के बराबर जानकारी है. सारी जानकारी विजेता सभ्यता और राजाओं की है.

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