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तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए विश्व समुदाय किसी जल्दबाज़ी में नहीं है : यूरोपीय संघ के राजदूत

अफ़ग़ानिस्तान के मामलों में यूरोपीय संघ के दूत का कहना है कि विश्व समुदाय फ़िलहाल तालिबान की सरकार को औपचारिकता प्रदान नहीं करने के अपने फ़ैसले पर अटल है।

अफ़ग़ानिस्तान के लिए यूरोपीय संघ के राजदूत एंड्रियास वोन ब्रांत ने कहा है कि इस देश में लोकतंत्र की स्थापना और एक राष्ट्रीय समावेशी सरकार के गठन की ज़रूरत है, ताकि तालिबान की सरकार को मान्यता प्रदान की जा सके।

अफ़ग़ानिस्तान की जनता के लिए विश्व समुदाय की सहायता के जारी रखने पर बल देते हुए ब्रांत ने कहाः अफ़ग़ान जनता को मदद की सख़्त ज़रूरत है, लेकिन यह मदद तालिबान के हाथ नहीं लगनी चाहिए।

यूरोपीय संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहाः इस देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विश्व समुदाय में इस बात पर सहमति है कि तालिबान शासन को औपचारिकता प्रदान नहीं की जाए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अफ़ग़ानिस्तान के लिए वैश्वक सहायता रोक दी जाए।

यूरोपीय संसद के सामने दिए गए यूरोपीय संघ के राजनयिक बयान से यह बात तो स्पष्ट है कि पश्चिमी देश और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में उनके सहयोगी तालिबान के शासन को आधिकारिक रूप से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। यूरोपीय संघ द्वारा स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखने से तालिबान को भी चिंतित होना चाहिए।

वास्तव में यूरोपीय संसद ने अपने राजदूत को पिछले एक साल में तालिबान शासन के दौरान अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण के लिए आमंत्रित किया था। अफ़ग़ानिस्तान से अमरीका के सैनिकों के निकलने के बाद, तालिबान ने पिछले साल अगस्त में काबुल की सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया था।

हालांकि विश्व समुदाय ने तालिबान शासन को मान्यता प्रदान नहीं की है। विश्व समुदाय का कहना है कि तालिबान देश में एक समावेशी सरकार का गठन करें और महिलाओं समेत अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करें, तो उनके शासन को औपचारिकता प्रदान करने के लिए क़दम आगे बढ़ाया जा सकता है।

तालिबान ने सुधारों के वादे के बावजूद, अभी तक कोई व्यवहारिक क़दम नहीं उठाया है, जिसकी वजह से विश्व समुदाय को उन पर भरोसा नहीं है।