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हम इतने बेवकूफ़ नही…..जाओ मौज करो…..
Tajinder Singh ============== हम इतने बेवकूफ नही….. एक दिन एक मित्र दो नारियल खरीद कर घर जा रहा था। एक बड़ा नारियल घर मे चटनी बनाने के लिए और एक छोटा नारियल ऊपरवाले पर चढ़ाने के लिए। आपने भी देखा होगा धर्म स्थलों के बाहर कभी अच्छे और बड़े नारियल नही मिलते। यही हाल देसी […]
बचपन में पूरी सर्दियों में हम सबके घरों में दोनों समय साग और सगपाहिता वाली दाल ही बनाई खाई जाती थी
अरूणिमा सिंह =========== · दिन जब ढलना शुरू हो जाता था लगभग ढाई तीन बजे तक घर के सारे काम बर्तन धोने, झाड़ू लगाकर रसोई साफ करने, चूल्हे पर खाना बनता था तो लकड़ी उपले की व्यवस्था करने के बाद, हाथ मुँह धोकर, सुंदर सी चुटिया बनाकर, सुंदर मुखड़े को थोड़ा और संवार कर, हाथ […]
बस यही सुनते सुनते बचपन बीत रहा था….By-Ravindra Kant Tyagi
Ravindra Kant Tyagi ============= · ———– टाइमिंग ——— मैं, मेरा दोस्त नायडू और ऑल्विन कई महीने से नासा में रोबोट से सम्बंधित एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. पिछले तेरह घंटे से तो किसी ने चाय तक नहीं पी थी. नायडू ने अंगड़ाई लेते हुए कहा “चलो यार, कैंटीन में चलकर चाय पीते हैं.” […]