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मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन चारों युग आते हैं, इस प्रकार राष्ट्रगान पूरी तरह भारतीय संस्कृति का संवाहक है : #लक्ष्मी_सिन्हा का लेख पढ़िये
Laxmi Sinha ============= हमारे राष्ट्रगान का प्रभाव ‘जन_ गण_ मन’ से होता है। मानव शरीर जहां विविध जनों का सूचक है तो मनुष्य की प्रवृतियां और सोच_विचार उनके गण हैं। इन्हीं गाणों के अधीन मनुष्य जीवनपर्यंत रहता है, जोमन को प्रभावित करता है।मन को नियंत्रण करने की साधना ऋषियों ने भी बताई है, जिससे मनुष्य […]
”फिर उधार के पैसे से अम्मा की विदाई…न न ये नहीं हो सकता”
दो लफ्ज ============== “पापा… पापा… जल्दी चलो मम्मी आपको बुला रही हैं. सात वर्षीय रोहन ने आकर राकेश से कहा. “क्या हुआ, क्यों बुला रही हैं?” राकेश ने बेटे से पूछा. “वो दादी कुछ बोलती नही.” रोहन बोला. “क्या!” राकेश परेशान हो अम्मा के कमरे की ओर भागा. “क्या हुआ अम्मा को?” उसने अपनी पत्नी […]
कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर,,,,कभी उन के दर कभी दर -बदर….BY-परवीन शाकिर
कभी रुक गए कभी चल दिए कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़र गई यूँ ही ज़िन्दगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में तू जहाँ मिला तुझे देख कर न नज़र मिली न ज़ुबां हिली यूँ ही सर झुका के गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर कभी […]