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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से दुनियां में क्या असर पड़ेगा : ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही विवेक रामास्वामी हुए बाहर : बीजेपी नेता ने भारतीय विदेशमंत्री को बताया ”वेटर”

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालते ही लिए ये बड़े फ़ैसले

क्रिस्टल हेएस और फिल मैककॉसलैंड
पदनाम,बीबीसी न्यूज़

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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के फ़ौरन बाद आप्रवासन, जलवायु समझौते और सज़ा माफ़ी समेत कई बड़े कार्यकारी आदेश जारी किए हैं.

कार्यकारी आदेश संसद से पास क़ानून के बराबर ही होते हैं लेकिन इन्हें बाद में आने वाले राष्ट्रपति या कोर्ट पलट भी सकते हैं.

कुछ आदेशों को क़ानूनी चुनौती का सामना भी करना पड़ सकता है.

नीचे ऐसे ही कुछ नीतिगत बदलावों के संबंध में दिए कार्यकारी आदेशों के बारे में जानेंगे, जिन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के कुछ घंटों के अंदर ही ट्रंप ने हरी झंडी दे दी है.

आप्रवासन

सीमा पर लगाई इमरजेंसी

ओवल ऑफ़िस में ट्रंप ने अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर आपातकाल घोषित करने के निर्देश पर हस्ताक्षर कर दिए. इसके बाद ट्रंप ने कहा, “ये बड़ी बात है”.

उन्होंने अप्रवासियों के अमेरिका में जन्में बच्चों को खुद-ब-खुद मिलने वाली अमेरिकी नागरिकता के प्रावधान पर भी निशाना साधा.

ट्रंप ने उस आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिससे अमेरिका की शरणार्थियों के पुनर्वास से जुड़ी योजना पर चार महीने के लिए रोक लग जाएगी. हालांकि, इससे जुड़ी स्पष्ट जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.

सीमा बंद करने का आदेश

ट्रंप ने सेना को आदेश दिया है कि वह ‘सीमाओं को सील’ कर दे. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों से अवैध ड्रग्स लाया-ले जाया जा रहा है, मानव तस्करी के साथ ही अन्य अपराधों को अंजाम दिया जा रह है.

कई समूहों और गिरोह आतंकवाद से जुड़ी सूची में शामिल

राष्ट्रपति ने उस निर्देश पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसमें ड्रग्स कार्टेल्स और अंतरराष्ट्रीय गिरोहों को विदेशी आतंकवादी संगठन का दर्जा दिया गया है. अल-साल्वाडोर के आप्रवासियों का गुट एमएस-13 और वेनेज़ुएला का गिरोह ट्रेन डि-अराग्वा को अब उस सूची में डाला जाएगा जिसमें अल-क़ायदा, इस्लामिक स्टेट और हमास पहले से हैं.

मेक्सिको की सीमा पर फिर बनेगी दीवार

अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर आपताकाल के एलान के तहत ट्रंप ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे ‘दक्षिणी सीमा पर अतिरिक्त बैरियर के निर्माण’ के लिए दोबारा प्रयास शुरू कर दें. ये निर्देश हालांकि, एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर नहीं है और ये भी स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के प्रयासों के लिए पैसे कहां से आएंगे. ये मुद्दा ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी सबसे बड़ी अड़चनों में से एक साबित हुआ था.

ट्रंप जब साल 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे, उन्होंने मेक्सिको की सीमा पर एक दीवार बनाने का आदेश दिया था. इस बैरियर का थोड़ा हिस्सा बन भी गया था लेकिन अधिकांश हिस्से का निर्माण अधूरा रह गया था.

‘मेक्सिको में ही रहें’

ट्रंप ने मेक्सिको से आने वाले शरणार्थियों के लिए भी एग्ज़ीक्यूटिव आदेश जारी किए हैं. पहले कार्यकाल के दौरान इसी प्रावधान के तहत शरण मांगने वाले करीब 70 हज़ार गैर-मेक्सिकन लोगों को वापस लौटा दिया गया था.

आप्रवासियों पर रोक

इसी आदेश में ट्रंप ने बाइडन के कार्यकाल के दौरान आप्रवासियों के लिए लाई गई बड़ी योजना पर भी रोक लगा दी है. इस योजना के तहत क्यूबा, हैती, निकारगुआ और वेनेज़ुएला से करीब 30 हज़ार आप्रवासियों को अमेरिका आने की मंज़ूरी दी गई थी.

इस पॉलिसी को सीएचएनवी के नाम से जाना जाता है. बाइडन प्रशासन का कहना था कि इसे सीमा पार से अवैध तरीके से आ रहे लोगों की संख्या घटाने के मक़सद से लाया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन

अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर भी ट्रंप ने हस्ताक्षर किए हैं.

इसे साइन करते हुए ट्रंप ने कहा, “ओह, ये एक बड़ा फ़ैसला है.” ये दूसरी बार है जब ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से हटने के आदेश दिए हैं.

ट्रंप कोरोना महामारी से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ के उठाए कदमों की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने इस महामारी के दौरान ही डब्ल्यूएचओ से हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हालांकि, बाद में जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनते ही ये आदेश पलट दिया था.

टिकटॉक
ट्रंप ने चीनी स्वामित्व वाली सोशल मीडिया कंपनी टिकटॉक को अमेरिका में प्रतिबंधित करने वाले क़ानून पर भी एक निर्देश पर हस्ताक्षर किया है. अब टिकटॉक पर प्रतिबंध 75 दिनों के लिए टल गया है.

टिकटॉक ने इस मुद्दे पर किए गए ट्रंप के वादे का स्वागत किया है और अमेरिका में अपनी सेवाएं बहाल कर दी हैं. ट्रंप के शपथग्रहण से पहले कुछ समय के लिए टिकटॉक अमेरिका में बंद कर दिया गया था.

ट्रंप ने कहा है कि उनके आदेश में टिकटॉक की पैरेंट कंपनी को अमेरिका में पार्टनर खोजने के लिए और समय दिया जाएगा, जो इस कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी खरीदेगा.

डोनाल्ड ट्रंप पहले टिकटॉक पर पाबंदी के समर्थन में थे. लेकिन अपने चुनावी प्रचार अभियान के दौरान उनके वीडियो को अरबों व्यूज़ मिलने के बाद उन्होंने अपनी नीति में बदलाव के संकेत देने शुरू कर दिए थे.

सरकारी सुधार

डीओजीई और एलन मस्क

ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफ़िशिएंसी (डीओजीई) बनाने से जुड़े निर्देश पर हस्ताक्षर किए हैं. ये एक नया विभाग होगा, जो सरकारी खर्चे को कम करने के लिए सुझाव देगा. इसकी अगुवाई एलन मस्क कर सकते हैं.

ट्रंप ने कहा कि टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक को 20 कर्मचारियों के साथ कार्यालय मिलेगा.

सरकारी नियुक्तियां रुकीं

ट्रंप ने सैन्य और कुछ अन्य भर्तियों के अलावा सभी संघीय नियुक्तियों पर रोक लगाने वाले आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं. ये रोक ट्रंप प्रशासन के पूरे तरीके से कामकाज संभालने तक जारी रहेगी.

संघीय कर्मियों के लिए नहीं होगा वर्क फ्रॉम होम

ट्रंप ने उस दस्तावेज़ को भी हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत सभी संघीय कर्मियों को दफ़्तर आकर ही काम करना होगा और उन्हें घर से काम करने की इजाज़त नहीं होगी.

सेंसरशिप

ट्रंप ने वह आदेश भी जारी कर दिया है जो अटॉर्नी जनरल को न्याय मंत्रालय, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन और फ़ेडरल ट्रेड कमीशन जैसी एजेंसियों के अधिकारियों की जांच करने का निर्देश देता है. ये आदेश ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भी जारी किया गया था.

सियासी विरोधियों पर आदेश

अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने एक ऐसे दस्तावेज़ पर भी साइन किए हैं, जिसमें ‘राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के ख़िलाफ़ सरकारी शक्तियों के हथियार बनाने’ पर रोक की बात है. हालांकि, इससे जुड़ी और कोई जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.

बाइडन की नीतियों को पलटने वाले आदेश

राष्ट्रपति पद संभालते ही अपने पूर्ववर्ती जो बाइडन के लिए करीब 80 नियम-क़ानूनों को निष्प्रभावी बनाने के दस्तावेज़ पर ट्रंप ने हस्ताक्षर किए हैं. ट्रंप ने हालांकि, ये नहीं बताया है कि कौन से नियम इसमें शामिल हैं.

इसके साथ ही ट्रंप ने सभी संघीय एजेंसियों को नए नियम जारी करने से रोकने वाले निर्देश भी दिए हैं, जो ट्रंप प्रशासन के पूरी तरह कामकाज संभालने तक प्रभावी रहेगा.

जेंडर पर ट्रंप क्या बोले?

ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश के ज़रिए ये भी घोषणा कर दी है कि अमेरिका में केवल दो जेंडर को मान्यता होगी- पुरुष और महिलाएं. इस आदेश से पासपोर्ट और वीज़ा जैसे सरकारी दस्तावेज़ों पर असर देखने को मिलेगा.

एक अलग कार्यकारी आदेश में ट्रंप ने संघीय सरकार के अंदर ‘डाइवर्सिटी, इक्विटी और इनक्लूज़न (डीईआई)’ जैसी योजनाओं पर रोक लगा दी है. इस आदेश के दायरे में सभी संघीय एजेंसियां आती हैं. वे भी जिन्हें सरकारी खर्च मिलता है या जिनका सरकार से कोई अनुबंध है.

मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदला
ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश में गृह मंत्री को मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर ‘अमेरिका की खाड़ी’ करने का आदेश दिया है.

इसी आदेश के तहत अलास्का के माउंट देनाली का नाम बदलकर अमेरिका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैकिन्ली के सम्मान में माउंट मैकिन्ली करने का भी निर्देश दिया गया है.

मैकिन्ली की टैरिफ़ से जुड़ी नीतियों को ट्रंप काफ़ी सराहते हैं. बराक ओबामा ने राष्ट्रपति रहते हुए माउंट मैकिन्ली को माउंट देनाली नाम दिया था. उन्होंने कहा था कि यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी को इसी नाम से पुकारते हैं.

जलवायु और ऊर्जा

ट्रंप ने बढ़ते वैश्विप तापमान से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए अहम पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के अलग होने वाले आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं.

शपथ लेने के बाद जिन दस्तावेज़ों पर ट्रंप ने सबसे पहले साइन किए, ये उनमें से एक है.

ट्रंप साल 2017 में पहली बार पेरिस समझौते से हटे थे. हालांकि, 2021 में जो बाइडन ने ये फ़ैसला पलट दिया था और अमेरिका फिर से इस समझौते में शामिल हो गयाथा.

इस समझौते से बाहर होने के साथ ही ट्रंप ने एक चिट्ठी पर भी साइन किए हैं जो संयुक्त राष्ट्र को भेजा जाएगी. इसमें अमेरिका के समझौते से हटने के पीछे की वजह विस्तार से बताई गई हैं.

कैपिटल हिल हिंसा

राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने छह जनवरी 2021 को हुई कैपिटल हिल हिंसा के आरोप में गिरफ़्तार हुए अपने करीब 1500 समर्थकों की सज़ा माफ़ कर दी है.

ट्रंप इस मामले में गिरफ़्तार हुए लोगों को कई मौकों पर ‘बंधक’ बताते रहे हैं. इस हिंसा के बाद करीब 600 लोगों पर सरकारी अधिकारियों से मारपीट करने या उनका रास्ता रोकने से जुड़े आरोप लगे थे.

जिन 1500 लोगों की सज़ा माफ़ हुई है उनमें धुर-दक्षिणपंथी समूह ओथ कीपर्स और प्राउड बॉयज़ के सदस्य भी हैं. इनके सदस्य कैपिटल हिंसा से जुड़े केस में देशद्रोह की साज़िश जैसे मामलों के दोषी क़रार दे दिए गए हैं.

प्राउड बॉयज़ के पूर्व नेता हेनरी तारिय को इस हिंसा में 22 साल की सज़ा सुनाई गई थी. अब उनके वकील ने कहा है कि हेनरी भी रिहा हो सकते हैं.

अर्थव्यवस्था

ट्रंप ने उस निर्देश पर भी साइन किए हैं जिसमें अमेरिकी संघीय विभागों और एजेंसियों से आम लोगों के जीवनयापन की महंगी होती दर पर ध्यान देने को कहा गया है.

हालांकि, इस दस्तावेज़ से जुड़ी अधिक जानकारी सामने नहीं आई है.

एनर्जी इमरजेंसी

डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल एनर्जी इमरजेंसी की भी घोषणा की है, ताकि अपने रणनीतिक तेल भंडार को भरा जा सके.

उन्होंने अलास्का में तेल और गैस समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े एक आदेश पर भी साइन किए. उन्होंने अमेरिका में ईंधन के लिए अधिक खुदाई करने का भी वादा किया.

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन के दौरान लाए गए ‘ग्रीन न्यू डील’ पर भी रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि अमेरिका विंड फार्म्स को लीज़ पर देना बंद करेगा.

विवेक रामास्वामी ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही क्यों हुए बाहर, किसकी नाराज़गी पड़ी भारी

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएन्सी (डीओजीई) के गठन की घोषणा की थी और इसकी ज़िम्मेदारी टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क के साथ विवेक रामास्वामी को दी थी.

ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए एलन मस्क को ‘ग्रेट एलन मस्क’ कहा था और विवेक रामास्वामी को ‘देशभक्त अमेरिकी’ बताया था. यह ज़िम्मेदारी मिलने पर विवेक रामास्वामी ने लिखा था- हम लोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं.

लेकिन ट्रंप के शपथ लेते ही डीओजीई ने पहला फ़ैसला ख़ुद को लेकर लिया है. अब डीओजीई को केवल मस्क देखेंगे और विवेक रामास्वामी इससे बाहर हो गए हैं.

डीओजीई को ज़िम्मेदारी दी गई है कि वह सरकारी खर्चे में कटौती करे. ट्रंप के राष्ट्रपति की कमान संभालते ही डीओजीई से विवेक रामास्वामी के बाहर होने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

विवेक रामास्वामी के डीओजीई से बाहर होने की ख़बर पर कहा जाने लगा था कि एलन मस्क से उनके संबंध ठीक नहीं हैं. इस बीच ख़ुद विवेक रामास्वामी ने भी डीओजीई से बाहर होने पर प्रतिक्रिया दी है

स्पेक्ट्रम न्यूज़ डीसी के पॉलिटिकल रिपोर्टर टेलर पॉर्पिलार्ज ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, ”ट्रंप-वांस ट्रांजिशन की प्रवक्ता अना केली ने एक बयान में मुझसे कहा- विवेक रामास्वामी ने डीओजीई को बनाने में अहम भूमिका निभाई है. विवेक एक निर्वाचित ऑफिस को हैंडल करने का इरादा रखते हैं. ऐसे में विवेक को डीओजीई से बाहर रहना होगा. पिछले दो महीने में डीओजीई को बनाने में विवेक की जो भूमिका रही, उसके लिए हम धन्यवाद देते हैं. उम्मीद है कि अमेरिका को फिर से महान बनाने में विवेक की भूमिका अहम होगी.”

विवेक रामास्वामी ने क्या कहा?

विवेक रामास्वामी ने इसी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा है, ”यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैंने डीओजीई को बनाने में मदद की. मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि एलन और उनकी टीम नई सरकार के साथ जटिलताओं को ख़त्म करने में कामयाब होंगे. ओहायो में अपने भविष्य की योजनाओं को लेकर जल्द ही विस्तार से बताऊंगा. सबसे अहम यह है कि अमेरिका को फिर से महान बनाने में हम राष्ट्रपति ट्रंप को मदद करेंगे.”

रामास्वामी एक बायोटेक उद्यमी हैं. 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में विवेक रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की रेस में भी शामिल थे, लेकिन कोई भी कॉकस या प्राइमरी जीतने में नाकाम रहे थे.

इसके बाद विवेक रामास्वामी ने ट्रंप का समर्थन किया था. विवेक रामास्वामी अगले साल ओहायो के गवर्नर का चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. जेडी वांस के उपराष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सीनेट की सीट खाली हुई है और विवेक उनकी जगह ले सकते हैं.

ट्रंप ने डीओजीई को एक ग़ैर-सरकारी टास्क फोर्स के रूप में बनाया है, जिसका काम है कि सरकारी खर्चे कम करने की राह तलाशे और ग़ैर-ज़रूरी सरकारी एजेंसियों को बंद करने पर रिपोर्ट तैयार करे. विवेक रामास्वामी तो एफ़बीआई तक को बंद करने की वकालत करते रहे हैं. रामास्वामी महज़ 39 साल के अमेरिकी नागरिक हैं.

अमेरिकी न्यूज़ नेटवर्क सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने ही जेडी वांस के उपराष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सीनेट सीट खाली होने पर विवेक रामास्वामी को नियुक्त करने की बात कही थी. 2026 में विवेक रामास्वामी ओहायो के गवर्नर का चुनाव लड़ सकते हैं. अपनी एक्स पोस्ट में भी विवेक ने इसके संकेत दिए हैं. लेकिन इससे पहले विवेक सीनेट सीट पर भी जा सकते हैं.

विवेक की कौन सी बात पसंद नहीं आई?

अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि विवेक रामास्वामी अगले हफ़्ते ओहायो के गवर्नर के चुनाव में जाने की घोषणा कर सकते हैं. एनवाईटी ने लिखा है, ”ट्रंप ने जब डीओजीई की ज़िम्मेदारी एलन मस्क के साथ विवेक रामास्वामी को दी थी, तब से ही कहा जा रहा था कि मस्क और रामास्वामी में बहुत ज़्यादा ग़ैर-बराबरी है. विवेक की तुलना में मस्क के पास बहुत ज़्यादा संपत्ति है और प्रोफाइल भी बहुत ऊपर है.”

विवेक रामास्वामी की कुल नेटवर्थ एक साल पहले 96 करोड़ डॉलर थी जबकि मस्क की कुल नेटवर्थ 449 अरब डॉलर है. विवेक रामास्वामी और एलन मस्क ने डीओजीई के ज़रिए अमेरिका के फेडरल बजट में दो ट्रिलियन डॉलर की कटौती की घोषणा की थी. हालांकि कई लोग इस कटौती को हक़ीक़त से ज़्यादा कल्पना के रूप में देखते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”ट्रंप के क़रीबियों का कहना है कि रामास्वामी कंजर्वेटिव्स से सोशल मीडिया पर एच-1 बी वीज़ा को लेकर उलझ रहे थे और यह ट्रंप को पसंद नहीं आया. रामास्वामी हाई स्किल्ड वर्कर्स को एच-1 बी वीज़ा देने का समर्थन कर रहे थे, लेकिन ट्रंप के कई समर्थक इसका विरोध कर रहे हैं.

विवेक रामास्वामी ने दिसंबर में एक्स पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें कहा था कि अमेरिकी संस्कृति प्रतिभाशाली लोगों की तुलना में औसत दर्जे के लोगों को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में एच-1 बी वीज़ा ज़रूरी है.

रामास्वामी ने लिखा था, ”हम मैथ ओलंपियार्ड चैंप की जगह प्रोम क्वीन को ज़्यादा तवज्जो दे रहे हैं या पढ़ाई-लिखाई से ज़्यादा जोक में लगे हुए हैं. ऐसे में हम बेस्ट इंजीनियर नहीं पैदा कर सकते. हमें साइंस पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है न कि वीकेंड में कार्टून पर. ज़्यादा किताबें और कम टीवी की नीति अपनानी चाहिए. हमें मॉल की संस्कृति से दूर होने की ज़रूरत है.”

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि विवेक रामास्वामी की इस टिप्पणी को दूसरों को नीचा दिखाने के रूप में देखा गया था.

कौन हैं विवेक रामास्वामी

वोक किताब के लेखक, करोड़ों के मालिक और उद्यमी विवेक रामास्वामी का कहना है कि वो नए अमेरिकी सपने के लिए एक सांस्कृतिक आंदोलन शुरू करना चाहते हैं.

उनका मानना है कि अगर एक-दूसरे को साथ लाने के लिए कुछ बड़ा नहीं है तो विविधता का कोई मतलब नहीं है.

39 साल के रामास्वामी का जन्म ओहायो में हुआ था. उन्होंने हार्वर्ड और येल से पढ़ाई की और बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करोड़ों रुपये कमाए. इसके बाद उन्होंने एसेट मैनेजमेंट फर्म बनाई.

उन्होंने बायोटेक कंपी रोयवेंट साइंसेज की स्थापना की जो अब सात अरब डॉलर की हो चुकी है.

वो एक इन्वेस्टमेंट फर्म के भी सह-संस्थापक हैं.

विवेक की शादी अपूर्वा से हुई है और वो ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर में सर्जन और असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. विवेक अपने परिवार के साथ कोलंबस में रहते हैं. उनके दो बेटे हैं.

विवेक रामास्वामी का जन्म प्रवासी भारतीय माता-पिता के परिवार में हुआ.

‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ उनका परिवार केरल से अमेरिका गया था.

उनके पिता वी गणपति रामास्वामी ने कालीकट के नेशनल इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन के बाद इंजीनियर के तौर पर काम किया. उनकी मां ने अमेरिका में एक मनोचिकित्सक के तौर पर काम किया.

2023 में अयोवा स्टेट फेयर में विवेक ने बताया था कि उनकी मां ने अमेरिकी नागरिकता ली है जबकि उनके पिता के पास अब भी भारतीय पासपोर्ट है.

रामास्वामी पहले रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार पद की दौड़ में थे. लेकिन अयोवा कॉकस में चौथे नंबर पर आने के बाद उन्होंने अपना अभियान छोड़ दिया था.

ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध को पहले दिन रुकवाने के दावे पर क्या कहा

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने उस पुराने दावे पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद पहले दिन ही रूस- यूक्रेन युद्ध को रुकवा देने की बात की थी.

राष्ट्रपति कार्यालय में ट्रंप से जब पत्रकारों ने इस मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, “अभी आधा दिन ही गुज़रा है. अभी मेरे पास आधा दिन बचा हुए है. हम देखेंगे कि क्या होता है.”

ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “मैं समझता हूं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए समझौता करना चाहते हैं.”

“ज़्यादातर लोग समझते थे कि रूस-यूक्रेन युद्ध एक सप्ताह में ख़त्म हो जाएगा. मैं मानता हूं कि यह युद्ध समाप्त होना ज़ेलेंस्की के लिए बहुत बेहतर होगा.”

ट्रंप का दावा पनामा के राष्ट्रपति ने किया ख़ारिज, दिया जवाब

पनामा के राष्ट्रपति होसे राउल मुलिनो ने डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने पनामा नहर का नियंत्रण वापस अमेरिका को दिलाने की बात कही थी.

डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा था कि वह पनामा नहर की फीस कम करे, वरना नहर का नियंत्रण वापस अमेरिका को दे दे.

ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है.

राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि ये अहम रास्ता जिसके ज़रिए बड़े पैमाने पर व्यापार होता है वो उन्हीं के देश के हाथों में है और रहेगा.

ट्रंप ने अपने उद्घाटन भाषण में दावा किया कि, “पनामा ने अपने निष्पक्ष रहने के वादे को तोड़ा है और पनामा नहर का संचालन चीन कर रहा है.”

पनामा के राष्ट्रपति होसे राउल मुलिनो ने जवाब में कहा, “हमारे प्रशासन में दुनिया के किसी देश का दख़ल नहीं है.”

पनामा नहर अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों में से एक है. अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच अमेरिका के लगभग 40 फ़ीसदी मालवाहक जहाज इसी जलमार्ग से होकर जाते हैं.

ट्रंप ने अपने भाषण में पनामा नहर पर क्या कहा

अपने दूसरे कार्यकाल के पहले संबोधन में ट्रंप ने दावा किया, “अमेरिका के मालवाहक जहाज़ों से ज्यादा फ़ीस वसूली जाती है और उनके साथ किसी भी तरीके से न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता है इसमें अमेरिका की नौसेना भी शामिल है.”

“इन सब के अलावा पनामा नहर को चीन ऑपरेट कर रहा है और हमने इसे चीन को नहीं दिया था, हमने इसे पनामा को दिया था और अब हम इसे वापस ले रहे हैं.”

पिछले महीने भी डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा था कि वो पनामा नहर में अमेरिकी जहाज़ों पर लगाई जाने वाली फ़ीस कम करे या तो उसका नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे.

इससे पहले ट्रंप ने ये भी कहा था कि वह ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कब्ज़ा चाहते हैं.

ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र हैं.

डेनमार्क ने ग्रीनलैंड को छोड़ने के किसी भी सुझाव को ख़ारिज किया है.

हालांकि ट्रंप ने अपने उद्घाटन भाषण में ग्रीनलैंड का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने अगले चार वर्षों के लिए अपने विस्तारवादी विज़न को पेश किया.

उन्होंने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका एक बार फिर से ख़ुद को एक बढ़ता हुआ राष्ट्र मानेगा. ऐसा राष्ट्र जो हमारी संपत्ति बढ़ाएगा, हमारे क्षेत्र का विस्तार करेगा, हमारे शहरों का निर्माण करेगा, हमारी अपेक्षाओं को बढ़ाएगा और हमारे झंडे को नई और सुंदर सीमाओं तक लेकर जाएगा.”

पनामा नहर समझौता

20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने पनामा नहर का निर्माण किया था. लेकिन सालों के विरोध के बाद, साल 1977 में तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पनामा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत इस नहर का नियंत्रण धीमे-धीमे पनामा को सौंपना था.

ट्रंप ने इस समझौते को ‘एक बड़ी ग़लती’ क़रार दिया.

साल 1999 में, पनामा नहर का पूरा नियंत्रण पनामा ने ले लिया. इसके तहत किए गए समझौते के मुताबिक़ पनामा ने वादा किया कि वो पनामा नहर का संचालन निष्पक्ष तरीक़े से करेगा और ये सभी देशों के जहाज़ों के लिए खुली रहेगी.

हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है. इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं

ट्रंप के भाषण के बाद, पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया.

उन्होंने कहा, “यह नहर किसी ने हमें ख़ैरात में नहीं दी. हमारे लोगों ने इसके लिए कई पीढ़ियों तक संघर्ष किया. तब जाकर ये हमें 1999 में मिली.”

हांगकांग की कंपनी हचिसन व्हामपोआ जलमार्ग के दो बंदरगाहों को ऑपरेट करती है. जिसमें प्रशांत महासागर पर स्थित बाल्बोआ बंदरगाह और अटलांटिक छोर पर क्रिस्टोबल बंदरगाह शामिल है.

दुनिया का लगभग पांच प्रतिशत समुद्री व्यापार 51 मील लंबी पनामा नहर के ज़रिए होता है.

पिछले हफ्ते मार्को रुबियो (ट्रंप प्रशासन में विदेश मंत्री पद के लिए नामांकित) ने कहा था, “सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि ये कंपनियां इस नहर के दोनों छोरों को नियंत्रित करती हैं और यदि तनाव के समय में चीन कह दे कि इसे बंद कर दो और अमेरिका को यहां से गुजरने मत दो तो हमें एक बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा. ये एक बड़ी आर्थिक और राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी.”

अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, कि वो ‘शांतिदूत बनना चाहते हैं.’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओबामा प्रशासन के दौरान रूस में रहे अमेरिकी राजदूत माइकल मैकफॉल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आप शांतिदूत भी बन जाएं और पनामा नहर भी वापस ले लें, ऐसा नहीं हो सकता.”

चीन का पनामा नहर पर रुख़

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़, दिसंबर 2024 में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माउ निंग ने कहा था कि चीन लगातार पनामा की संप्रभुता का सम्मान करता है और साथ ही इसे एक स्थायी रूप से तटस्थ अंतर्राष्ट्रीय मार्ग के रूप में मान्यता देता है.

साल 2017 में पनामा ने ताइवान से राजनयिक संबंध ख़त्म कर चीन से संबंध कायम किए थे.

चीन की नीति के मुताबिक़ जो देश ताइवान से राजनयिक संबंध रखते हैं, उनसे वो संबंध नहीं रखता है क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है.

चीन के भारी निवेश के कारण वो पनामा का अहम सहयोगी बन गया है.

President Trump officially declares that the US government recognizes only two genders: male and female.

राष्ट्रपति बनते ही डॉनल्ड ट्रंप ने… जो बाइडन सरकार के लगभग 78 फैसलों को पलट दिया। वो भी महज़ 6 घंटों में!!

– Third Gender से जुड़े बाइडेन के आदेश को पलट दिया
अमेरिकी सरकार के लिए सिर्फ दो जेंडर पुरुष और महिला

– कैपिटल हिल हिंसा के 1600 आरोपियों को रिहा करेंगे

– पेरिस एग्रीमेंट और WHO से अमेरिका बाहर

– नौकरियों में भर्ती (सेना को छोड़कर),वर्क फ्रॉम होम पर रोक

– कनाडा और मेक्सिको पर नए टैरिफ लागू

– पड़ोसी देशों पर 25% तक टैरिफ लगाएंगे

– गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम अब गल्फ ऑफ अमेरिका

– Donald Trump says transgender athletes will not be allowed to participate in women’s sports.

– President Trump signs executive order to officially rename the Gulf of Mexico to the “Gulf of America.”

– President Trump says Ukrainian President Zelensky told him he wants to make a deal and end the war with Russia.

– Vladimir Putin congratulates US President Trump on his inauguration and says Russia is ready for peaceful relations with the United States.

-Vladimir Putin calls for long-term peace with Ukraine and says Russia is “open for dialogue” with US President Trump on the conflict in Ukraine.

-President Trump says god saved him from being assassinated to Make America Great Again.

-President-elect Trump to issue executive order to delay TikTok ban.

-Donald Trump plans to visit China as President.

-US President Trump suspends foreign aid to all countries for 90 days.

– US President Trump says I’m not confident the Gaza ceasefire will last. That’s not our war, it’s their war.

– Donald Trump officially signed executive orders to change the name of the Gulf of Mexico to the Gulf of America.

– US President Donald Trump declares that the United States government officially recognizes only two genders: male and female.

-Pope Francis slams Donald Trump for his plan to conduct mass deportations of immigrants.

If it is true, it will be a disgrace, because it makes the poor wretches who have nothing pay the unpaid bill. It won’t do. This is not the way to solve things.

Subramanian Swamy
@Swamy39

Why does Waiter now make a silly claim that he got the “ first row” in Trump’s Inauguration when he was merely seated with all the other Foreign Ministers and Ambassadors? It was, in fact, bad taste because Prime Minister Modi was not even invited but Waiter sat with other FMs !!

Subramanian Swamy
@Swamy39
Why was Waiter hanging around when Trump was taking his oath of Office. Modi who appointed him as Foreign Minister was not invited and was perceived as insulted. Waiter should have therefore declined to go to the Function.

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