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डूंगरपुर न्यू हाउसिंग बोर्ड में त्रि-दिवसीय सत्संग एवं भजन संकीर्तन का आयोजन हुआ : कुशलगढ़ ज़िला बांसवाड़ा से धर्मेंद्र सोनी की रिपोर

धर्मेन्द्र सोनी
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कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा रिपोर्टर धर्मेंद्र सोनी

डूंगरपुर न्यू हाउसिंग बोर्ड में त्रि दिवसीय सत्संग एवं भजन संकीर्तन का आयोजन।

डूंगरपुर न्यू हाउसिंग बोर्ड सेक्टर- 5 माताजी मंदिर मैदान में श्रीमान रामचंद्र जी परमार द्वारा दिनांक 21 22,23 फरवरी तक दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा त्रि दिवसीय सत्संग एवं भजन स कीर्तन का आयोजन हो रहा है जिसमें सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या विदुषी निलेशा भारती ने कहा कि मनुष्यतन अति दुर्लभ है ऋषि मुनियों ने भी मनुष्य तन का गुणगान गया है। इस संसार में इंसान आकर मोह माया में उलझ गया है, व्यक्ति इस संसार में भाग रहा है किंतु भाग कर कहां जाना है यह पता ही नहीं है ,व्यक्ति धन कमा सकता है किंतु धन से श्वास नहीं खरीद सकता है इंसान जब ईश्वर की शरणागत होता है तब ईश्वर उसे पार लगा देते हैं। साध्वी विदुषी चिन्मया भारती ने सत्संग के माध्यम से बताया कि हमारे संत महात्मा बताते हैं की सत्संग के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है, जो बार-बार बदलता है वह ईश्वर नहीं है और ईश्वर कभी बदलता नहीं है, सत्संग एक तत्व वैता गुरु के माध्यम से हमारे अंतर जगत में होता है ,शंकराचार्य जी कहते हैं कि आज हर इंसान मन के अधीन होकर अपने जीवन को व्यतीत कर रहा है संत कहते हैं जो जो भी मन के अधीन होकर चला वह अपने आप का विनाश कर बैठता है । साध्वी विदुषी प्रपूर्णा भारती ने बताया कि जिसने अपने मन को वश में कर लिया वह सबसे बड़ा विजेता है जब मन को ईश्वर का आधार मिल जाता है तब वह उर्दव गामी बन जाता है मन ऊपर की ओर उठाना शुरू हो जाता है । जीवन में अज्ञानता है तब तक हम दुखी हैं किंतु जिस समय हम ईश्वर से जुड़ जाएंगे हमारी अज्ञानता खत्म होकर सत्य से जुड़ जाएंगे हम सुख आनंद की अनुभूति करेंगे, दुनिया में हम सब वस्तुओं से जुड़े हैं किंतु सत्य रूपी ईश्वर से तो जुड़े ही नहीं है, गुरु के बिना ज्ञान मुक्ति मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकते, भक्ति में दृढ़ता लाने के लिए ईश्वर को जानना बहुत ही जरूरी है, इस मानव तन का वास्तविक लक्ष्य ईश्वर को जानना है धर्म ग्रंथो में स्पष्ट है कि परमात्मा को प्रत्येक मानव देख सकता है और परमात्मा को केवल मानो मत अपितु जानो भी और परमात्मा से मिलने के लिए एक तत्व वैता गुरु की अनिवार्यता आवश्यक है ,सभी धर्म ग्रंथ शास्त्रों में पूर्ण गुरु की पहचान भी बताई गई है। समारोह में विभिन्न भजन- जन्म तेरा अनमोल रे माटी में ना रोल रे, सुख दाता है एक नाम जय रघुनंदन जय सियाराम, छोड़ कर संसार जब तू जाएगा साथ में तेरे ना कोई आएगा ,भक्ति करने का सोच जरा पल दो पल गुजर जाएगा, सांझ सवेरे जिस दिन सिमरु उस दाता का नाम राम, कृष्ण हरे गोपाल कृष्ण हरे भजनों के साथ श्रोतागण झूम उठे तबले पर संगत गुरु भाई ओमप्रकाश जेठवा ने की अंत में आरती प्रसाद के साथ समारोह को विराम दिया गया।