आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग करने वाले ही नहीं, कहानियां लिखने वाले भी डरे हुए हैं. बहुत से लेखकों को लगता है कि एआई उनकी आजीविका के लिए खतरा हो सकता है.
हाल ही में अमेरिका के ऑथर्स गिल्ड ने एक खुला खत लिखा, जिसका दस हजार से ज्यादा लेखकों ने समर्थन किया. इस पत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियों से आग्रह किया गया कि वे कॉपीराइट के तहत सुरक्षित सामग्री का बिना इजाजत और भुगतान इस्तेमाल ना करे.
हालांकि एआई अपने आप में एक कहानी है, और यह अब सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं बल्कि सच्ची कहानी है. राजनीति, महामारी या जलवायु परिवर्तन की तरह एआई भी अब कहानियों में एक अहम मुद्दा बन गया है और बड़ी संख्या में उपन्यासकार और कहानीकार अब उसे अपनी कहानियों में शामिल कर रहे हैं.
हेलेन फिलिप्स एक उपन्यासकार हैं. उनकी नयी किताब का नाम है ‘हम’. इस किताब में वह एक ऐसी मां-बेटी की कहानी सुनाती हैं जिनकी नौकरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से चली गयी है. फिलिप्स कहती हैं, “मैं एआई से डरी हुई हूं और मंत्रमुग्ध भी हूं. (ब्रह्मांड के) पूरे ज्ञान को जमा करने के लिए एक उम्मीद है लेकिन साथ ही यह डर भी है कि एक ऐसी इंटेलिजेंस हमारी जगह ले सकती है, जो इंसानी नहीं है.”