सेहत

खांसी के बिना भी टीबी के मामले, टीबी रोगियों में नहीं देखा जा रहा ये प्रमुख लक्षण : रिपोर्ट

ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) दुनियाभर में रिपोर्ट की जाने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण ये संक्रमण होता है। बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर अटैक करते हैं, इसके अलावा इसका दुष्प्रभाव किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क पर भी देखा जा सकता है। टीबी, मुख्यरूप से फेफड़ों की बीमारी मानी जाती है, इसके लक्षण सांस की समस्याओं और फेफड़ों की अन्य दिक्कतों से संबंधित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, टीबी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, इसलिए इसके जोखिमों के बारे में जानना और इससे बचाव के उपाय करना आवश्यक है।

दुनियाभर में टीबी रोग को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इससे बचाव को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल मार्च माह की 24 तारीख को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है। टीबी की स्थिति में मुख्य रूप से खांसी (खांसी के साथ खून आना), वजन घटने, रात को पसीना आने, बुखार, सीने में दर्द और थकान की दिक्कत होती है। हालांकि हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि टीबी के लक्षणों में बड़े बदलाव को लेकर अलर्ट किया है।

अध्ययन से पता चलता है कि 80% से अधिक टीबी रोगियों में अब लगातार खांसी की दिक्कत ही नहीं देखी जा रही है।

टीबी रोगियों में नहीं देखा जा रहा ये प्रमुख लक्षण

द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एशिया और अफ्रीका में जिन लोगों में टीबी की दिक्कत देखी जा रही है, उनमें से करीब 80 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें लगातार खांसी आने की शिकायत नहीं थी। रोगियों में अब तक टीबी का सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा ये लक्षण नहीं देखा गया है।

सबक्लिनिकल पल्मोनरी टीबी की व्यापकता का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने किए गए इस अध्ययन में पाया कि एशिया और अफ्रीका के हाई बर्डन वाले देशों में अधिकतर टीबी रोगियों को लगातार खांसी नहीं थी, जबकि 60% से अधिक लोगों में बिल्कुल खांसी नहीं थी। इतना ही नहीं एक चौथाई से अधिक लोगों में बीमारी से जुड़ा कोई अन्य लक्षण नहीं था।

खांसी के बिना भी टीबी के मामले

वैज्ञानिक कहते हैं, टीबी रोगियों में लगातार खांसी न होने समस्या पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन प्राथमिक लक्षणों में से एक है जो रोगियों में टीबी के निदान प्रक्रिया को शुरू करता है। इसका मतलब है कि अब रोगियों में इस रोग का पता लगाना कठिन हो सकता है। लक्षण स्पष्ट न होने पर निदान और उपचार में देरी की आशंका होती है जिससे शरीर में अंदर ही अंदर बीमारी बढ़ सकती है और इसके गंभीर रूप लेने का खतरा भी बढ़ जाता है।

टीबी से मौत का जोखिम

साल 2022 में वैश्विक स्तर पर 1.3 मिलियन (13 लाख) लोगों की टीबी के कारण मौत हो गई। कोविड-19 के बाद, टीबी किसी संक्रामक एजेंट से होने वाली मौत का दूसरा प्रमुख कारण रहा है। शोधकर्ता कहते हैं, अध्ययन के निष्कर्ष यह समझाने में मदद करते हैं कि वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट किए गए नए टीबी मामलों की संख्या (2022 में 7.5 मिलियन) और बीमारी विकसित करने वाले लोगों की अनुमानित संख्या (2022 में 10.6 मिलियन) के बीच हर साल इतना महत्वपूर्ण अंतर क्यों है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक फ्रैंक कोबेलेंस कहते हैं, टीबी के मरीजों में अब मुख्य लक्षण ही गायब होता देखा जा रहा है, इससे भविष्य में रोगियों में इस समस्या का निदान होने में और भी समय लग सकता है। महिलाओं, युवाओं और शहरी निवासियों में लगातार खांसी या बिल्कुल भी खांसी न होने वाली टीबी का औसत अनुपात अधिक पाया गया। ऐसे में जरूरी हो गया है कि टीबी के अन्य संकेतों पर ध्यान दिया जाए जिससे बीमारी का समय रहते निदान हो सके।

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स्रोत और संदर्भ
Prevalence of subclinical pulmonary tuberculosis in adults in community settings: an individual participant data meta-analysis

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