अनूप नारायण सिंह
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अगर आपका कनेक्शन गांव से रहा होगा तो बचपन में इस चीज को खाने के लिए जबरदस्त पिटाई लगी होगी दूर-दूर तक इसकी तलाश में बच्चे घूमते रहते थे इसे ग्रामीण इलाकों में झड़ बेर कहते हैं। बचपन में बड़ी कहानी सुना था दादी डरती थी इस पर चुड़ैल का वास होता है शायद बच्चों को कटीले झाड़ियां से बचने के लिए ऐसी कहानी गाड़ी गई होगी पर टेस्ट ऐसा था कि भले हथेली पर डंडे की चोट सहने पर दो-चार झड़ बेर तो जरूर खाएंगे। जानकार बताते हैं कि यह बेर का ही जंगली संस्करण है।