देश

जो बाइडन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूबरू हुए : शी ने बाइडन से क्या कहा, बाइडन क्या बोले, जानिये!

14 नवंबर 2022 की तारीख़ विश्व राजनीति के लिए ऐतिहासिक रही. इसका गवाह बना इंडोनेशिया का शहर बाली जब अमेरिका और चीन के राष्ट्र प्रमुखों ने दोनों देशों के झंडों की पृष्ठभूमि के बीच हाथ मिलाए.

मुलिया होटल में हुई इस मुलाक़ात पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकी हुई थीं. इसकी अहमियत इसलिए भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई साल बाद रूबरू हुए.

पिछले कुछ साल में अमेरिका और चीन के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. अमेरिका कभी ताइवान तो कभी रूस को लेकर चीन पर निशाना साधता रहा है तो चीन का कहना है कि अमेरिका उसके अंदरूनी मामलों में दखलअंदाज़ी कर रहा है.

ख़ैर रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जिनपिंग और बाइडन ने एक-दूसरे से बात की, भले ही बहाना बना जी20 सम्मेलन.

ANI_HindiNews
@AHindinews
इंडोनेशिया: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बाली में G20 शिखर सम्मेलन से पहले मुलाकात की।

शी ने बाइडन से क्या कहा
“मिस्टर प्रेसिडेंट आपसे मिलकर अच्छा लगा. पिछली बार हम दावोस में मिले थे, पाँच साल पहले. आपके राष्ट्रपति (अमेरिका का) बनने के बाद हमने ऑनलाइन कॉल से संपर्क बनाए रखा. लेकिन आमने-सामने की मुलाक़ात अलग ही होती है. और आज हमारी और आपकी ये मुलाक़ात हो ही गई.”

“हमारा अनुभव बढ़ा है, लेकिन हमने कई सबक भी सीखे हैं. सीखने के लिए इतिहास सबसे अच्छी किताब है और हमें इतिहास को आईने की तरह लेना चाहिए. अभी चीन और अमेरिका के रिश्ते जिस मोड़ पर हैं, हमें उन पर बहुत ध्यान दिया है… दो प्रमुख देशों के नेताओं के रूप में हमें सही रास्ता चुनने की ज़रूरत है. द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने और आगे ले जाने के लिए सही दिशा पाने की ज़रूरत है.”

शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया की नज़र चीन और अमेरिका पर है. उन्होंने कहा, “दुनिया उम्मीद कर रही है कि अमेरिका और चीन अपने संबंधों को ठीक तरह से संभालें. हमारी मुलाक़ात पर लोगों की नज़रें टिकी हुई हैं. दुनिया में शांति कायम करने के लिए हमें दूसरे सभी देशों के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है.”

JK24x7 News
@JK247News

चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग G20शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित बैठक के लिए 14 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली पहुंचेंगे।दोनों नेता ताइवान,यूक्रेन पर रूस का आक्रमण और उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है:रॉयटर्स

बाइडन क्या बोले
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच टकराव टालने की अहमियत पर ज़ोर दिया. उन्होंने माना कि आमने-सामने की मुलाक़ात की बात ही अलग है और इसका कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा, “दोनों के बीच बातचीत जारी रहनी चाहिए और मैं इसके लिए प्रतिबद्ध हूँ. ये इसलिए ज़रूरी है ताकि आकस्मिक वैश्विक मुद्दों पर तत्काल और एक साथ बात हो सके. फिर चाहे वो मुद्दा जलवायु परिवर्तन का हो या फिर सुरक्षा का.”

बाइडन ने कहा कि दुनिया भी चाहती है कि दोनों देश पार्टनरशिप के रूप में काम करें.

बीबीसी संवाददाता स्टीफन मैकडॉनल के मुताबिक़ चीन इस मुलाक़ात से चाहता क्या है और हक़ीक़त में उसे मिलेगा क्या, ये दोनों अलग बातें हैं.

चीन और अमेरिका दोनों इस मुग़ालते में नहीं हैं कि उनके बीच तनाव किस क़दर है और उनके बीच रिश्तों की उस गर्माहट का लौटना किसी जादू से कम नहीं होगा, जो एक दशक पहले हुआ करते थे.

फिर शिकवा-शिकायत तो है ही. अमेरिका को शिकायत है कि चीन व्यापार के निर्धारित मानदंडों का लगातार उल्लंघन कर रहा है, जबकि जिनपिंग प्रशासन चाहेगा कि वह इस मुलाक़ात में तकनीकी क्षेत्र में अमेरिकी पाबंदियों के बारे में बात करे.

हालाँकि इस मुलाक़ात पर नज़र रखने वाला कोई भी पर्यवेक्षक दावे के साथ ये बोलने को तैयार नहीं कि दोनों देश बाधाओं को दूर कर भी पाएंगे या नहीं? लेकिन अच्छी बात ये है कि ये मुलाक़ात ऐसे वक़्त हो रही है जब दोनों देशों के रिश्ते शायद सबसे निचले स्तर पर हैं.

अगर दोनों राष्ट्रप्रमुख भविष्य में टकराव को टालने के कुछ उपायों पर भी सहमति बनाते दिखें तो इसे एक क़दम आगे बढ़ना माना जा सकता है.

आर्थिक ताक़त के रूप में चुनौती दे रहा चीन?
चीन आर्थिक रूप से उनके लिए काफ़ी अहम है और सैन्य रूप से भी इतना ताक़तवर है कि कोई उसे खुलेआम चुनौती नहीं दे सकता.

43 साल पहले चीन और विएतनाम में युद्ध हुआ था. वहाँ चीन विरोधी भावनाएं बड़ी प्रबल रही हैं. लेकिन विएतनाम की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी भी अपने ताक़तवर पड़ोसी से रिश्तों में सावधानी बरतती है.

दोनों देशों के बीच एक लंबी सरहद है. चीन विएतनाम का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.

साथ ही वो चीन की सप्लाई चेन का एक अहम हिस्सा है.