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जी हां वही तो रविश कुमार है!

Anwar Khan
From Sahaswan
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काफी समय बाद कुछ लिखने का मन किया है
नहीं तो जिम्मेदारियां कमबख्त ये दिया बुझाने पर ही तुली हुई हैं। आपकी पेशे ख़िदमत
नमस्कार में रविश कुमार
क्या आपको पता है कि वो क्यों रविश कुमार है।
जिस दौर में हर और संवाददाताओं और चैनलों की भरमार है।
हर कोई बाज़ार में खड़ा होकर चंद टुकड़ों में बिकने को तैयार है।।
ऐसे में कोई तो था जिसने वहाब के विरुद्ध चलना नहीं तैरना सिखाया।
और जिसको देखकर सबने एक स्वर में कहा कि यही तो पत्रकार है।।
जी हां वही तो रविश कुमार है!
जब हर न्यूज़ रूम में लगा नफरतों और झूठ का बाज़ार है।
हर एंकर बैठकर कर रहा मज़हब और घृणा का व्यापार है।।
चंद लिफ़ाफ़ों के लिए जहां कपड़े फाड़े जाते हैं।
वहीं कोई है जिसकी ख़बरों में शिक्षा है, इलाज है, समस्या है रोज़गार है।।

हाँ वही तो रविश कुमार है!
जब पत्रकार ही सत्ता का सबसे बड़ा हितेषी और चाटुकार है।
जिसने गरिमामयी शब्द का रूप बदलकर उसको किया पत्तलकार है।।
वहीं कोई था जिसने सत्ता की आंखों में आंखें डालकर सवाल किया।
जिसने सत्ता के हर ज़ुल्म और हर सितम पर किया प्रहार है।।
जी हां वही तो रविश कुमार है!
जब फल फूल रहा मुर्दों और रीढ़विहीन लोगों का व्यापार है।
कुनबे का सबसे बड़ा अपराधी ही आज कुनबे का सरदार है।।
उसने बताया था कि तू सरदार तो होगा लेकिन ईश्वर नहीं है।
मुझे अपने जैसा बनाने की तेरी हर कोशिश तेरा हर प्रयत्न बेकार है।।
जी हां वही तो रविश कुमार है!
वो तेरा व्यापारी दोस्त भले ही कितना भी होशियार है।
लेकिन मेरे भी हाथों मेरे सच की (कलम) तलवार है।।
वो खरीदेगा तो ज़रूर क्योंकि उसे सब खरीदना आता है।
आएगा मेरे पास तो देखेगा की मेरा तो इस्तीफा तैयार है।।
जी हां वही तो रविश कुमार है!