साहित्य

जिनमें उनका अधूरा यौन आचरण कुलांचें मारता है…

Arvind Verma
एक साधारण स्त्री को बचकर रहना चाहिए छद्म बौद्धिक फेमिनिस्ट से,
क्योंकि उनके दिमागों में भरी होती है विष्ठा,
यौन कुंठा,
रात्रि में विकृत भावों से पी गयी मदिरा की
गंदी हंसी!
एक साधारण स्त्री को बचकर रहना चाहिए, उन औरतों से,
जिनकी सुबह और शाम अमीर बॉयफ्रेंड या अमीर पतियों की गालियों से होती हैं,
वह उनके थप्पड़ों और मुक्कों के निशान को छिपाती है,
उन्ही के दिए पैसे के महंगे मेकअप से!
वह परजीवी औरतें
नहीं छोड़ती हैं पति या ब्वायफ़्रेंडों को, सुविधाओं और नाम के लालच में,
पर वह आ जाती हैं, उन साधारण स्त्रियों का घर तोड़ने,
जिनकी दुनिया उनके बच्चे की निश्छल मुस्कान है!
जिनकी दुनिया में मित्रता का भाव पवित्र हैं!
एक साधारण स्त्री को बचकर रहना चाहिए उन झूठी औरतों की झूठी कविताओं से,
जिनमें उनका अधूरा यौन आचरण कुलांचें मारता है और
बार बार काम को विकृत करता है!
वह अपने अधूरे और विकृत यौन आचरण से उपजी परिभाषाओं का प्रैक्टिकल करती हैं,
आम लोक की स्त्रियों पर
सच, साधारण स्त्रियों को हर उस मक्कार औरत से बचकर रहना चाहिए,
जिसका जीवन वासना की गुफा में भटक रहा है, और
देह के ऊपरी आचरण और आवरण पर ही ठिठकी हैं जो,
जो अधूरी हैं, और करना चाहती हैं सभी को अधूरा,
जिनमें हैं राक्षसी अट्टाहास और इस राक्षसी अट्टाहास से वह
भयाक्रांत करना चाहती हैं, समस्त निश्छल साधारण स्त्रियों को,
पर भूलती हैं अधूरा “वाद” कभी सफल नहीं होता,
और न ही सफल होती है देह की खोखली गुफाएं,
जिनमें वह भटक रही हैं
हर साधारण स्वतंत्र स्त्री को यौनिक कनीजों से बचना चाहिए,
क्योंकि बदलना चाहती हैं, समस्त स्वतंत्र सोच को सेक्स स्लेव में, जो वह खुद हैं!

गिरिराज राधिका तनिष्का मेधांश
मद्यसेवन के दोषों का वर्णन-अब मदिरा पीने के दोष बताता हूँ- शराब पीने वाले उसे पीकर नशे में अट्टहास करते हैं अंट-संट बातें बकते हैं कितने ही प्रसन्न होकर नाचते हैं भले-बुरे गीत गाते हैं वे आपस में इच्छानुसार कलह करते 1 दूसरे को मारते-पीटते हैं कभी सहसा दौड़ पड़ते हैं कभी लड़खड़ाते गिरते हैं वे जहाँ कहीं भी अनुचित बातें बकने लगते हैं कभी नंग-धड़ंग हो हाथ-पैर पटकते हुए अचेत से हो जाते हैं इस प्रकार भ्रान्तचित्त होकर वे नाना प्रकार के भाव प्रकट करते हैं जो महामोहर में डालने वाली दारु पीते हैं, वे मनुष्य पापी होते हैं
पी हुई मदिरा मनुष्य के धैर्य लज्जा बुद्धि को नष्ट कर देती है इससे मनुष्य निर्लज्ज बेहया हो जाते हैं
शराब पीने वाला मनुष्य उसे पीकर बुद्धि का नाश हो जाने से कर्तव्य अकर्तव्य का ज्ञान न रह जाने से, इच्छानुसार कार्य करने से विद्वानों की आज्ञा के अधीन न रहने से पाप को ही प्राप्त होता है
मदिरा पीने वाला पुरुष जगत में अपमानित होता है मित्रों में फूट डालता है सब कुछ खाता हर समय अशुद्ध रहता है वह स्वयं हर प्रकार से नष्ट होकर विद्वान विवेकी पुरुषों से झगड़ा किया करता है सर्वथा रूखा कड़वा भयंकर वचन बोलता रहता है वह मतवाला होकर गुरुजनों से बहकी-बहकी बातें करता है परायी स्त्रियों से बलात्कार करता है धूर्तों जुआरियों के साथ बैठकर सलाह करता है कभी किसी की कही हुई हितकर बात भी नहीं सुनता है
इस प्रकार मदिरा पीने वाले में बहुत से दोष हैं वे केवल नरक में जाते हैं इस विषय में कोई विचार करने की बात नहीं है इसलिये अपना हित चाहने वाले सत्पुरुषों ने मदिरा पान का सर्वथा त्याग किया है
यदि सदाचार की रक्षा के लिये सत्पुरुष मदिरा पीना न छोड़े तो यह सारा जगत मर्यादारहित अकर्मण्य हो जाय यह शरीर सम्बन्धी महापाप है अतः श्रेष्ठ पुरुषों ने बुद्धि की रक्षा के लिये मद्यपान को त्याग दिया है-महाभारत अनुशासन पर्व दानधर्म पर्व अध्याय 145
मद्य के त्याग की महिमा-जो पुरुष नियमपूर्वक व्रत का पालन करता हुआ प्रति मास अश्वमेध यज्ञ का अनुष्‍ठान कारता है-जो केवल मद्य का परित्‍याग करता है उन दोनों को 1-सा ही फल मिलता है
बृहस्‍पति जी का कथन है-जो मद्य त्‍याग देता है वह दान देता यज्ञ करता तप करता है उसे दान यज्ञ तपस्‍या का फल प्राप्‍त होता है
मद्य का परित्‍याग करने से मनुष्‍य सदा यज्ञ करने वाला सदा दान देने वाला सदा तप करेन वाला होता है
विशेषत: शरदतऋतु, शुक्‍ल पक्ष में मद्य का सर्वथा त्‍याग कर दे क्‍योंकि ऐसा करने में धर्म होता है
जो धर्मात्‍मा पुरुष जन्म से ही इस जगत में मद्य का सदा के लिये परित्‍याग कर देते हैं वे सब–के-सब मुनि माने गये हैं
-महाभारत अनुशासन पर्व दानधर्म पर्व अध्याय 115
और किसी क्रांति के पहले एक वैचारिक क्रांति होती है और मैं अभी उसी वैचारिक क्रांति के लिए ही आपको प्रेरित कर रहा हूँ । वैचारिक क्रांति कैसे होगी ? वैचारिक क्रांति तब होगी जब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ऐसी बातें पहुंचाई जाये और मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे । कृपया सच्चाई प्रचारित करने में सहयोग करें । इसे और भाइयों के साथ साझा करें। मित्रों और संपर्कों के बीच इस संबंध में जागरूकता पैदा करें। किसी अन्य व्यक्ति को सच्चाई के करीब लाने से बड़ी सेवा मानवता के लिए कोई नहीं है, और आपके पास अभी आपके हाथों में वह शक्ति है। ज्ञान की उपहार के साथ उदार रहो! इस शब्द को फैलाएं ताकि बहुत से लोग लाभान्वित हो सकें। खासकर मुंह के शब्द से उन लोगों को जो facebook या internet का उपयोग नहीं करेंगे।