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जिद्दा शिखर सम्मेलन से जो बाइडन ख़ाली हाथ अमरीका लौटे लेकिन सऊदी अरब को तीरान और सनाफ़ीर द्वीप मिल गए : रिपोर्ट

पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प जब रियाज़ का दौरा करके अमरीका लौटे थे उनकी झोली में 460 अरब डालर के सौदे थे मगर जिद्दा शिखर सम्मेलन से अब जो बाइडन ख़ाली हाथ अमरीका लौटे हैं।

बस कुछ आरंभिक वादे और सहमति पत्र हैं जिनसे अमरीका कोई मदद मिलने वाली नहीं है। हां उन्होंने इस्रालई का थोड़ा फ़ायदा ज़रूर करवा दिया है कि सऊदी अरब की वायु सीमा इस्राईली विमानों के लिए खोल दी गई है जबकि इसके बदले में सऊदी अरब को तीरान और सनाफ़ीर द्वीप मिल गए हैं।

बाइडन ने इस यात्रा में अमली तौर पर साबित कर दिया कि इस्राईल की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बात की।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने जो बाइडन को बेइज़्ज़त किया। उन्होंने बाइडन के स्वागत के लिए जिद्दा एयरपोर्ट पर मक्का के गवर्नर प्रिंस ख़ालिद फ़ैसल को भेजा जबकि बिन सलमान बैठक में आने वाले अरब देशों के प्रतिनिधिमंडलों का ख़ुद स्वागत कर रहे थे।

बाइडन ने साबित किया है कि वह माहिर झूठे इंसान हैं। उन्होंने कहा था कि बिन सलमान से द्विपक्षीय रूप से मुलाक़ात नहीं करेंगे, उनसे हाथ नहीं मिलाएंगे मगर उन्होंने हाथ भी मिलाया और द्विपक्षीय रूप से मुलाक़ात भी की।

बेशक बाइडन ने बिन सलमान से मुलाक़ात में जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या का मुद्दा उठाया मगर इसके जवाब में बिन सलमान ने फ़िलिस्तीनी मूल की अमरीकी पत्रकार शीरीन अबू आक़ेला का मुद्दा उठा दिया यानी अमरीका के दोग़लेपन की निशानदेही कर दी।

बाइडन मजबूरी में कुछ मक़सद पूरा करने के लिए सऊदी अरब की यात्रा पर गए। एक तो वह अरब देशों को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए मनाना चाहते थे, दूसरे ईरान का मुक़ाबला करने के लिए अरब नैटो का गठन करना चाहते थे, तीसरे इस्राईल को क्षेत्र के देशों में पूरी तरह स्थापित करना चाहते थे, मगर लगता है कि एक भी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। मिस्र के मीडिया ने जो बाइडन पर हमला कर दिया और इस अरब नैटो से दूर ही रहने की बात कही। जार्डन के विदेश मंत्री ने बयान दे दिया कि ईरान हमारा दुश्मन नहीं है, इमारात ने अपना राजदूत तेहरान भेज दिया जबकि ओमान, कुवैत और क़तर के ईरान से पहले ही अच्छे संबंध हैं।

बिन सलमान ने अपने उदघाटन भाषण में कह दिया कि सऊदी अरब पहले ही 13 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन कर रहा है जो सऊदी अरब की अधिकतम क्षमता है। यानी अब इसमें इज़ाफ़े का कोई चांस नहीं है।

जो बाइडन ने बयान दिया कि अमरीका और इस्राईल की तरह सऊदी अरब भी यही कोशिश करेगा कि ईरान परमाणु हथियार न बना सके। हमें जो बाइडन के इस बयान पर शक है। शिखर बैठक के बाद जारी होने वाले बयान में परमाणु अप्रसार की बात तो कही गई है लेकिन कहीं ईरान का नाम नहीं लिया गया है।

शिखर बैठक में जो बाइडन के भाषण में एक बात यह भी थी कि अमरीका हरगिज़ रूस, चीन और ईरान को यह मौक़ा नहीं देगा कि अमरीका के बाहर निकलने से उत्पन्न होने वाले शून्य को यह देश भरें। सवाल यह है कि जो बाइडन कर भी क्या सकते हैं। अमरीका के घटकों को अमरीका पर भरोसा रहा नहीं है, अमरीका अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में बुरी तरह नाकाम हुआ है। यूक्रेन में भी शिकस्त का सामना कर रहा है।

ईरान ने बाइडन का दो तमाचों से स्वागत किया। एक तो फ़ार्स खाड़ी के आसमान में दरजनों ड्रोन भेजे दूसरे रूस के राष्ट्रपति पुतीन के तेहरान दौरे का एलान कर दिया। इस बैठक में हो सकता है कि तुर्क राष्ट्रपति अर्दोग़ान भी भाग लें।

मध्यपूर्व में समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं। ईरान, रूस और चीन का पलड़ा भारी होता जा रहा है जबकि यूक्रेन में ताज़ा शिकस्त के बाद अमरीका पहले वाला अमरीका नहीं रह गया है।