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अगर आप ये समझना चाहते हैं कि रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध एशिया में कैसे गूंज रहा है तो आप जापान और चीन के नेताओं के दौरे का वक़्त देख सकते हैं.
दोनों ही नेता कूटनीतिक विदेशी दौरे पर हैं और युद्ध के विपक्षी केंद्रों में हैं.
जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे हैं जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को में हैं.
किशिदा ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात के दौरान उन्हें बेहिचक समर्थन का भरोसा दिया है और पुनर्निर्माण में और मानवीय राहत कार्यों में मदद का भरोसा दिया है.

वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने शी जिनपिंग को अपना क़रीबी दोस्त और सहयोगी कहा है. चीन भले ही ये दावा कर रहा है कि वो तटस्थ है लेकिन अभी वो रूस की तरफ़ अधिक झुका हुआ नज़र आ रहा है.
मंगलवार को शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन रूस के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकताएं देगा. उन्होंने दोनों देशों को ‘महान पड़ोसी शक्तियां’ भी कहा है.
मॉस्को के घटनाक्रम को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि किशिदा की सामांतर यात्रा का समय अपने आप में महत्वपूर्ण है. ऐसे में इससे क्या समझा जा सकता है?
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किसी जापानी प्रधानमंत्री का अघोषित विदेशी दौरे पर जाना दुर्लभ बात है और ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार है जब जापान को कई नेता किसी युद्धग्रस्त देश पहुंचा हो.
मंगलवार को किशिदा के यूक्रेन पहुंचने से पहले तक उनके दौरे को गुप्त रखा गया था. अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा किया गया है.
जापान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री किशिदा यूक्रेन के लोगों के सब्र और साहस के प्रति सम्मान प्रकट करेंगे और अपने देश की सुरक्षा के लिए खड़े हुए इन लोगों के प्रति बेहिचक समर्थन ज़ाहिर करेंगे.
बयान में कहा गया है कि किशिदा ये भी स्पष्ट करेंगे कि जापान रूस के आक्रमण करने से मौजूदा स्थिति में एकतरफ़ा बदलाव की कोशिश की जापान आलोचना करता है.
प्रधानमंत्री किशिदा पर उनकी अपनी सत्ताधारी लेबर डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ़ से युद्धग्रस्त यूक्रेन की यात्रा करने का दबाव बढ़ रहा था.
यूक्रेन पहुंचने से पहले तक वो जी-7 देशों के इकलौते ऐसे नेता थे जो यूक्रेन नहीं गए थे. मई में हिरोशीमा में जी-7 का सम्मेलन होने से पहले उन पर यूक्रेन जाने का दबाव भी बन रहा था.
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