दुनिया

जापान, अमरीका के वर्चस्व से बाहर क्यों नहीं निकल पाया?

जापान अपने दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर 6 और 9 अगस्त 1945 को अमरीका द्वारा किए गए परमाणु हमलों की बरसी मना रहा है। जापान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने परमाणु हमले का दंश झेला है। इसी वजह से उसकी भरपूर कोशिश रहती है कि दुनिया को परमाणु हथियारों से पाक कर दिया जाए और अब किसी अन्य राष्ट्र को यह दंश नहीं झेलना पड़े।

जापानी प्रधान मंत्री के इस बयान से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हिरोशिमा पर अमरीकी हमले की वर्षगांठ पर रूस द्वारा परमाणु हमले की धमकी के संदर्भ में कहा थाः विश्व समुदाय को इस तरह की धमकियों का एकमत होकर विरोध करना चाहिए।

जापान के प्रधान मंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने यूक्रेन युद्ध में रूस की ओर से परमाणु हमले की संभावना की ऐसी स्थिति में कड़ी निंदा की है, जब वे अमरीका द्वारा यूक्रेन को क्लस्टर बम दिए जाने पर पूर्ण रूप से ख़ामोश रहे।

6 अगस्त, 1945 को सुबह 7 बजे जापानी रडारों ने दक्षिण की ओर से आते हुए अमरीकी बम वर्षकों को ट्रेस कर लिया था, लेकिन चाहते हुए भी वह कुछ ही देर में क़यामत बनकर छा जाने वाले विमानों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कर सके।

8 बज कर 15 मिनट पर अमरीकी वायु सेना के बी-29 विमान एनोला गे ने 3.5 मीटर लंबा, 4 टन वज़न का नीला-सफ़ेद एटम बम लिटिल बॉय हिरोशिमा के ऊपर गिरा दिया। लिटिल बॉय को एनोला गे से नीचे आने में पूरे 43 सेकेंड लगे। तेज़ हवाओं ने उसका रुख़ अपने लक्ष्य अओई ब्रिज से 250 मीटर दूर कर दिया और वो शीमा सर्जिकल क्लीनिक के ऊपर फटा। इसकी शक्ति 12500 टन टीएनटी के बराबर थी और जब ये फटा तो तापमान अचानक दस लाख सेंटीग्रेड पहुंच गया।

शहर के मध्य में एक क्षण के अंदर कंक्रीट इमारतों को छोड़ कर धरती के ऊपर मौजूद हर चीज़ ग़ायब हो गई। विस्फ़ोट का असर इतना तेज़ था कि ग्राउंड ज़ीरो से 15 किलोमीटर दूर हर इमारत की खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए।

हिरोशिमा शहर की दो तिहाई इमारतें एक सेकेंड के अंदर ध्वस्त हो गईं। कई किलोमीटर तक आग की एक आंधी सी फैल गई। एक क्षण में 1 लाख से भी ज़्यादा लोग मौत की गर्त में समा गए।

9 अगस्त, 1945 को जापान के एक और नगर नागासाकी पर जब बी-29 बमवर्षक ने दूसरा एटम बम गिराया तो कई किलोमीटर के दायरे में मौजूद हर चीज़ ध्वस्त हो गई।

मानव इतिहास की इस अभूतपूर्व त्रासदी के बावजूद, आज भी अमरीका अपनी वर्चस्ववादी नीतियों को आगे बढ़ाने पर अड़ा हुआ है, तो वहीं जापानी अधिकारी इस सच्चाई को नज़र अंदाज़ कर देते हैं कि इस त्रासदी के 78 साल बाद भी वह अमरीका के वर्चस्व से आज़ाद नहीं हो सके हैं। हालांकि इस प्रक्रिया ने जापान को घरेलू और क्षेत्रीय स्तर पर विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त कर रखा है, जो कभी भी उसके और पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर संकट का रूप ले सकती हैं।