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‘कब तक पुकारूं’…..’मुझे चांद चाहिए’…’राग दरबारी’…
Dinesh Shrinet ============ अस्सी के दशक तक आते-आते मुख्यधारा और समांतर सिनेमा दोनों की हिंदी साहित्य से दूरी बनने लगी. यह जोखिम भरा निष्कर्ष है मगर ऐसा लगता है कि सिनेमा अपने आसपास के जिस बदलते हुए यथार्थ को दर्ज करना चाहता था, हिंदी में वैसी कहानियां या उपन्यास अस्सी और नब्बे के दशक में […]
ससुराल में वो पहली सुबह – आज भी याद है!!
जुनैद अहसन सिद्दीक़ी ============== ससुराल में वो पहली सुबह – आज भी याद है.!! कितना हड़बड़ा के उठी थी, ये सोचते हुए कि देर हो गयी है और सब ना जाने क्या सोचेंगे ? एक रात ही तो नए घर में काटी है और इतना बदलाव, जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया को, किसी ने सोने […]
समकालीन कविता के सशक्त कवि केदारनाथ सिंह…इनकी एक कविता…”वसीयत”
जयचंद प्रजापति ========= समकालीन कविता के सशक्त कवि केदारनाथ सिंह …………. समकालीन कविता के सशक्त कवि केदारनाथ का जन्म बलिया के चकिया गांव में 07 जुलाई 1934 में हुआ था। क्षत्रिय परिवार से ताल्लुक था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1956 में हिंदी से एमए किया और 1964 में पीएचडी भी कर लिए।दिल्ली में इनका निधन […]