साहित्य

जाने दे सब मतलबी लोगों को मैं हूँ ना तेरे साथ…..

Dr.vijayasingh
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दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे ना कोय जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय..बिल्कुल सत्य लिखा है संत कबीर दास जी ने…जीवन में जब दुख आते हैं उस वक्त हमे अपने और पराए का अहसास हो जाता है जिन लोगों के लिए हम दिन रात काम करते हैं वह भी आपके पास नहीं होते..कभी बिस्तर पर गिरकर देखना कितने लोग आपको पूछते हैं कितने लोगों को आपकी जरूरत महसूस होती है..99% वो लोग होते हैं जिनको आपके काम की आवश्यकता होती है मात्र कोई 1% लोग होते हैं जो केवल प्रेमवश आपके साथ खड़े होते हैं..और अंत में यह 1% भी साथ छोड़ जाते हैं तब हम एकांकी होकर ईश्वर की ओर देखने लगते हैं..कई बार सबके जाने के बाद ह्रदय से आवाज़ आती है की जाने दे सब मतलबी लोगों को मैं हूँ ना तेरे साथ आपने कई बार महसूस किया होगा कोई है जो हमेशा हमारी तन्हाई में हमसे बातें करता है हमे प्रेम करता है जब हम टूट रहे होते हैं यही आवाज़ हमे फिर से खड़ा होने की प्रेरणा देती है…बस इसी आवाज़ का ध्यान करना है इसी को सुनना है..यही ईश्वर है जिसे हम इधर-उधर खोजते रहते हैं..यह हमे तब तक नहीं मिलता जब तक हम इसको सुनना शुरू नहीं कर देते..बाह्य दुनिया हमे कभी भी यह आवाज़ नहीं सुनने देती कभी मोबाइल कभी टीवी कभी बच्चे यार दोस्त रिश्तेदार पति पत्नि हर कोई बाधा पहुंचाता है ..हम सबकी बाते बड़े ग़ौर से सुनते हैं केवल अपने ही ह्रदय की बात को अनसुना करते हैं..यह पग पग पर हमे सही गलत का फ़र्क समझाता है लेकिन हम स्वयं अनसुना करते हैं 84 लाख जीवों में सिर्फ मानव ही इस आवाज़ को सुनकर स्वयं में परिवर्तन कर सकता है अन्य कोई नहीं..मानव जो चाहता है वह करने के लिए स्वतंत्र है..हमे मानव जीवन मिला ही इसलिये है कि हम अपने इस लोक और परलोक को सुधार सके..लेकिन हम ताउम्र उन रिश्तों को सुधारने का प्रयास करते हैं जो हमारे है ही नहीं उस घर उस काया को संवारते है जो यही छूट जाती है..तभी कहते हैं कि नेकी कर दरिया में डाल क्यूंकि नेकी का फल इस लोक और परलोक दोनों जगह पर हमारे साथ जाता है…अतः हमेशा ईश्वर को स्मरण कीजिए बुरी आदतों का त्याग कीजिए मत भूलिए आज आप स्वतंत्र है अपने कर्मों के लिए कल ईश्वर स्वतंत्र होगे आपके कर्मों का फल देने के लिए…..

सादर राधे राधे जय श्री कृष्णा ❤️ 🙏
डॉक्टर विजया सिंह
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