नई दिल्ली: भारत के इतिहास में आज समलैंगिक सम्बन्ध में आज फैसला सुनाया है,जिसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुनाया है कि भारत में दो वयस्कों का आपसी रज़ामंदी के साथ सम्बंध बनाना अपराध नही है,पश्चिमी दुनिया के लोगों की तरह अब भारत मे भी ‘गे’ कल्चर को हरी झंडी मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही आज हर जगह कुछ लोगों के हाथ में एक इंद्रधनुषी झंडा नज़र आरहा है,जिसको देखकर मन में उसके बारे में सवाल उठता है कि आखिर इसका मतलब क्या है?
आइये जानते हैं इस इंद्रधनुषी 6 रँगों वाले झंडे के पीछे क्या कहा है ?
6 रंग का दिखने वाला ये झंडा न चाहते हुए भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. समलैंगिकता को लेकर प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों का मानना है किइंद्रधनुष सा दिखने वाला यह झंडा उनके समलैंगिक गर्व की पहचान काे दर्शाता है.
इस झंडे में लाल, ऑरेंज, पीला, नीला और बैंगनी रंग शामिल है. जो देखने से इंद्रधनुष जैसा दिखता है. इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक है.
जब भी एलजीबीटी समुदाय के लोग और कई प्रदर्शनकारी समलैंगिकता का समर्थन करना चाहते हैं तो वह इन झंडों को घरों के सामने लगाकर समलैंगिकता के लिए अपना समर्थन जाहिर करते हैं. वहीं सड़कों पर विरोध करने के दौरान भी आपको उनके हाथों में ये इंद्रधनुषी झंडा देखने को मिल जाएगा।
समलैंगिकों का ये झंडा सबसे पहले सेन फ्रांसिस्को के कलाकार गिल्बर्ट बेकर ने एक स्थानीय कार्यकर्ता के कहने पर समलैंगिक समाज को एक पहचान देने के लिए बनाया था।
सबसे पहले उन्होंने 5 पट्टे वाले “फ्लैग ऑफ द रेस” से प्रभावित होकर इस आठ पट्टे वाले झंडे को बनाया था. बता दें, उनका निधन साल 2017 में 65 साल की उम्र में हो गया था।
इस झंडे में आठ रंग होते थे, जिसमें (ऊपर से नीचे) गुलाबी रंग सेक्स को, लाल रंग जीवन को, नारंगी रंग चिकित्सा, पीला रंग सूर्य को, हरा रंग शांति को, फिरोजा रंग कला को, नीला रंग सामंजस्य को और बैंगनी आत्मा को दर्शाता था।
वहीं अब इस झंडे में 6 रंग है. साल इसके बाद 1979 के समलैंगिक परेड लिए जब झंडा बनने वाला था तो गुलाबी और फिरोजा रंग को हटा दिया गया. बाद में नीले रंग को भी शाही नीले रंग से बदल दिया गया. बाद में इन छह रंगों को छह पट्टियों में बदल दिया गया. जिसके बाद ये इंद्रधनुषी झंडा समलैंगिकों सम्मान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।