सेहत

जानिए भारत में वेश्यावृत्ति की हक़ीक़त…देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया!

पूर्णिया। सदर थाना की पुलिस ने बुधवार की देर शाम कटिहार मोड़ के रेड लाइट एरिया में छापेमारी कर एक युवक के साथ एक नाबालिग लड़की को पकड़ा था। इस मामले में प्रभारी थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि रेड लाइट एरिया से गिरफ्तार अभियुक्त कसबा के सत्यप्रिय को जेल भेज दिया गया है। वहीं देह व्यापार के धंधे से मुक्त कराए गए एक नाबालिग लड़की से पूछताछ के बाद उसे तत्काल नारी केंद्र भेज दिया गया है। थानाध्यक्ष ने बताया कि लड़की का मेडिकल जांच के बाद उसका कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि रेड लाइट एरिया के जिस घर से देह व्यापार का धंधा चलाया जा रहा था, उसके गृह स्वामी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में पीड़ित लड़की के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

व्यक्ति का दुर्व्यापार (इममौरल ट्रैफिकिंग)

अनैतिक कामों के लिए स्त्री, पुरूष या बच्चों की खरीद व बिक्री करना अवैध दुर्व्यापार (इममौरल ट्रैफिकिंग) की श्रेणी में आता है। ऐसा करना अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अनुसार दण्डनीय अपराध है।

अनैतिक देह व्यापार से पीड़ित (स्त्री, पुरूष व बच्चे)। ‘संरक्षण’, ‘सुधार तथा ‘पुनर्वास के अधिकारी हैं।

तहसील, जिला, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से निःशुल्क परामर्श/विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार होगा।

अधिनियम के अन्तर्गत दण्डात्मक प्रावधान

ऐसा व्यक्ति जो वेश्यालय का संचालन या प्रबन्धन करता है, अथवा ऐसा व्यक्ति जो अपने परिसर को वेश्यावृत्ति हेतु इस्तेमाल होने देता है।
प्रथम दोष सिद्धि पर 02 वर्ष तक की सजा और रू. 2000 तक का जुर्माना।
द्वितीय दोष सिद्धि पर 05 वर्ष तक की सजा और जुर्माना।
18 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति जो ज्ञात रूप से किसी वेश्यावृत्ति की आय पर निर्वाह करता है।
उपर्युक्त कृत्य में वेश्यावृति करने वाली नाबालिग है तो
02 वर्ष तक की सजा या रू. 10000/- तक का जुर्माना अथवा दोनों
07-10 वर्ष तक की सजा

ऐसा कोई व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से किसी मनुष्य को खरीदता/प्रलोभन देता/ले जाता अथवा इस प्रकार की कोशिश करता है।
यदि उपर्युक्त कृत्य पीड़ित व्यक्ति की इच्छा के विरूद्ध किया जाता है।
03-07 वर्ष तक कारावास तथा रू. 2000/- तक का जुर्माना
07-14 वर्ष तक का कारावास।

ऐसा कोई व्यक्ति जो दूसरे व्यक्ति को अपने परिसर में जहां वेश्यावृत्ति किया जाता हो रोककर रखता है।

जुर्माना सहित 07 वर्ष से 10 वर्ष तक का कारावास।

ऐसा कोई व्यक्ति जो सार्वजनिक स्थलों के परिसर में वेश्यावृत्ति का धन्धा चलाता हो।

03 माह तक का कारावास

अभिरक्षक प्रलोभन/बलात्कार

जुर्माना सहित 07 वर्ष तक की सजा

शिकायत किससे और कहाँ करें

विशेष पुलिस अधिकारी से;
अपने नजदीकी थाने पर;
न्यायालय में संपर्क कर सकती हैं;
राज्य व राष्ट्रीय महिला आयोग से कर सकती हैं।
तहसील, जिला, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से निःशुल्क परामर्श/विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

उपरोक्त में किसी से भी, स्वयं, माता-पिता या अन्य रिश्तेदार या सरकार द्वारा मान्य कोई समाज सेवी संस्था के माध्यम से शिकायत दर्ज करायी जा सकती है या फिर टोल फ्री नं. पर कॉल कर सकते हैं।

टोल फ्री/हेल्पलाइन

नम्बर

समाधान शिकायत निवारण प्रकोष्ठ

18001805220

वूमेन्स पावर लाइन

1090

पुलिस

100

निःशुल्क विधिक सहायता

18004190234, 15100

देह व्यापार है कमाई का जरिया

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स के संबंध में एक निर्णय दिया। जिसके मुताबिक ‘देह व्यापार’ करना कानूनी अपराध नहीं है। इस फैसले के बाद ‘देह व्यापार’ भी दूसरे किसी आम पेशे की तरह हो गया। अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘पुलिस सेक्स वर्कर्स को बेवजह परेशान न करे।’

मगर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के काफी पहले बेड़िया समुदाय देह व्यापार को सामान्य पेशा मानता आ रहा है। इस समुदाय की कमोबेश सभी महिलाएं देह व्यापार के पेशे में हैं। ग्राहक लाने और उनसे मोल-भाव करने का काम समुदाय के पुरुष करते हैं।

‘मैं तो बेड़िया हूं’

दिल्ली की रेड लाइट एरिया जीबी रोड में रहने वाली सुनीता (बदला हुआ नाम) को बचपन में ही इस पेशे में झोंक दिया गया था। यह पूछने पर कि इसकी शुरुआत कहां से हुई, वो मुस्कुरा कर कहती हैं- ‘मैं तो बेड़िया हूं’।

सुनीता यह भी बताती हैं कि केवल वे ही नहीं बल्कि उनके घर की बाकी महिलाएं भी यही करती हैं। उनकी मां और बहनें भी मध्यप्रदेश में सेक्स वर्कर का काम करती हैं। सुनीता के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था।

यह है बेड़िया समुदाय का इतिहास

मध्यप्रदेश के कुछ गांवों में रहने वाला बेड़िया समुदाय सैकड़ों सालों से देह व्यापार को अपनी कमाई का ज़रिया मानता आ रहा है। बताया जाता है कि यह समुदाय मुगल काल में नाचने गाने का काम करता था। लेकिन बाद में जब रजवाड़े खत्म हुए तो समुदाय के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में समुदाय की महिलाएं देह व्यापार करने लगीं।

2011 की जनगणना के मुताबिक इस समुदाय की आबादी 50 हजार के करीब है। मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों, विशेषकर मालवा क्षेत्र में 60 से ज्यादा बेड़िया गांव हैं। जहां देह व्यापार का काम होता है। मुरैना के एक स्थानीय पत्रकार नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताते हैं कि ‘इन 60 गांवों के अलावा भी भोपाल सहित पूरे राज्य में इनका नेटवर्क फैला है। हाल के दिनों में यहां की लड़कियां दिल्ली और बनारस के रेड लाइट एरिया भी जाने लगी हैं।’

बेड़िया दंत कथाओं में ऐसा माना जाता है कि वे बेद्दी राजाओं के वंशज हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी उत्पत्ति देवताओं के कलाकार गंधर्व से हुई है। मशहूर लोक नृत्य ‘राई’ भी बेड़िया जनजाति से ही शुरू हुई थी। कई इतिहासकारों का मानना है कि ताजमहल के निर्माण के दौरान मुगल बादशाह शाहजहाँ ने बेड़िया समुदाय के लोगों को आगरा के आसपास बसाया था। ताकि ताजमहल बना रहे कारीगरों का मनोरंजन हो सके। लेकिन ताजमहल बनने के बाद इन बेड़िया लोगों का रोजगार खत्म हो गया। ऐसे में इन्होंने देह व्यापार की ओर रुख किया।

जिनके लिए जीबी रोड आना उपलब्धि है

बेड़िया समुदाय की पूरी सामाजिक व्यवस्था देह व्यापार के इर्द-गिर्द घूमती है। वह बेड़िया परिवार ज्यादा संपन्न समझा जाता है, जिसमें ज्यादा लड़कियां हों। ऐसे में किसी बेड़िया लड़की का अपने गांव से निकल कर राजधानी दिल्ली के रेड लाइट एरिया में आना उपलब्धि की तरह है। जिस पर वो लड़की और उसके घरवाले गर्व कर सकते हैं।

 

कमतर समझती हैं दूसरी सेक्स वर्कर्स

जीबी रोड में काम करने वाली दूसरी महिलाएं ‘बेड़िया लड़कियों’ को अपने से कमतर समझती हैं। सुनीता के बारे में बताते हुए उनके साथ काम करने वाली एक सेक्स वर्कर का कहना था ‘इनके यहां सभी यही करते हैं’ यह बताते हुए उसके चेहरे पर अभिमान साफ देखा जा सकता था।

दिल्ली के इस रेड लाइट एरिया में कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो यहां पहचान छिपा कर सेक्स वर्कर का काम करती हैं। अपने गांव जाने के बाद वो बिल्कुल घरेलू महिला हो जाती हैं। उनके घर वालों या पड़ोसी को उनके काम के बारे में कुछ पता नहीं होता। लेकिन बेड़िया लड़कियों को कहना अलग है। उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं होता।

देह व्यापार : ये है इन बदनाम गलियों की हक़ीकत

Anusha Mishra

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देश के लगभग हर राज्य के किसी न किसी इलाके में देह व्यापार का धंधा अपने पैर पसारे हुए है, जहां लाखों महिलाएँ दुनिया से कटकर बेबस ज़िंदगी जी रही हैं। ऐसी बहुत ही कम महिलाएं होती हैं जो अपनी मर्जी से देह व्यापार के धंधे में आती हैं। ज़्यादातर महिलाएं ऐसी ही होती हैं जिनके सामने या तो कोई मज़बूरी होती है या अनजाने ही इन्हें इन बदनाम बाज़ारों में बेच दिया जाता है। भारत में वेश्‍यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन भारत में ‘नगरवधू’ हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्‍कृत की कहानी मृच्छकटिकम में वैशाली की नगरवधू इसी काम के लिये जानी जाती है।


दुनिया के तमाम दूसरे रिश्तों से दूर ये महिलाएं न किसी की मां होती हैं, न बहन, न बेटी और न पत्नी, इन्हें सिर्फ वेश्याओं के नाम से जाना जाता है। अपनी इज़्ज़त को दांव पर लगाकर समाज के जाने कितने रसूखदार लोगों का सम्मान बचाए रखने का काम करती हैं ये। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तंग गलियों और स्टोररूम नुमा ऐसे कमरों में रहने वाली ये वेश्याएं, जहां सूरज भी अपनी किरणों को भेजने से गुरेज़ करता है का भारत में बहुत बुरा हाल है।


जानिए भारत में वेश्यावृत्ति की हक़ीकत…

ये हैं भारत के आंकड‍़े महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 30 लाख से ज़्यादा महिलाएं देह व्यापार में लिप्त हैं। जिसमें लगभग 36 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो 18 साल की उम्र के पहले ही इस व्यापार में शामिल हो गईं। जबिक ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 2 करोड़ सेक्स वर्कर हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस धंधे में शामिल हैं।

देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया

देश के पूर्वी भाग के सबसे बड़े महानगर सोनागाछी (कोलकाता) को एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया माना जाता है। यहां लगभग 3 लाख महिलाएं देह व्यापार से जुड़ी हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां 2 लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। फिर दिल्‍ली की जीबी रोड, आगरा का कश्‍मीरी मार्केट, ग्‍वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेठ हैं। छोटे शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्‍थान( आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, सहारनपुर का नक्‍कासा बाजार इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाज़ार भी इसी बात के लिए प्रसिद्ध है।

देह व्यापार से होती है करोड़ों की कमाई

आंकड़ों के मुताबिक, देश में रोजाना लगभग 2000 लाख रुपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है जबकि 17 प्रतिशत लड़कियों को शादी का वादा करके इस धंधे में ढकेल दिया जाता है। मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में उज्बेकिस्तान की युवतियां सबसे ज्यादा हैं।

क्या है वेश्यावृत्ति को रोकने का क़ानून

भारत में वेश्यावृत्ति या देहव्यापार अभी भी अनैतिक देहव्यापार कानून के तहत आते हैं। हालांकि देश में समय-समय पर इस बात को लेकर उच्चस्तरीय बहसें चलती रहीं हैं कि क्यों न वेश्यावृत्ति को कानूनन वैध बना दिया जाए। यानी यह कानून व्यर्थ रहा, यह स्वीकार करने के बाद उसकी व्यर्थता के कारणों को जांचने के बजाय इस पूरे धंधे से दंड व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी ही समेट ले? राज्य व्यवस्था स्त्रियों के हिंसक उत्पीड़न, शोषण और खरीदे बेचे जाने की पाशविक परंपरा को अपनी मूक असहाय सहमति दे दे?

‘भारतीय दंडविधान’ 1860 से ‘वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक’ 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं। इस कानून के अनुसार, वेश्याएं अपने व्यापार का निजी तौर पर यह काम कर सकती हैं लेकिन कानूनी तौर पर जनता में ग्राहकों की मांग नहीं कर सकती हैं। इस कानून का उद्देश्य भारत में यौन कार्यों के विभिन्न कारणों को रोकना और धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति को खत्म करना है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भी भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है। अगर कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करते पाया जाता है तो भी उसके खिलाफ सज़ा का प्रावधान है। अनैतिक आवागमन (रोकथाम) अधिनियम – आईटीपीए 1986 वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए बनाया गया है। इस कानून के अनुसार, सेक्स वर्कर के लिए – जो महिला किसी व्यक्ति को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाएगी उसको दंड दिया जाएगा। इसके अलावा कॉल गर्ल्स अपने फोन नंबर को सार्वजनिक रूप से पब्लिश नहीं कर सकतीं, ऐसा करने पर उनको 6 महीने के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है। किसी सार्वजनिक स्थान के पास देह व्यापार करने पर सेक्स वर्कर को 3 महीने की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।


ग्राहक के लिए – एक ग्राहक अगर किसी वेश्या के साथ सार्वजनिक स्थान के 200 गज के दायरे में संबंध बनाते पाया जाता है या उस पर यौन संबंधों में सलंग्न होने का आरोप लगता है तो उसे तीन महीने के कारावास के साथ जुर्माना देना होगा। अगर सेक्स वर्कर 18 साल से कम उम्र की है तो ग्राहक को कम उम्र के हैं तो ग्राहक को 7 से 10 साल की सज़ा का प्रावधान है। वेश्यालय चलाने पर – कोई व्यक्ति अगर वेश्यालय चलाता है या किसी से चलवाता है या वेश्यालय चलाने में मदद करता है तो उसे 3 साल का सश्रम कारावास व 2000 रुपये का जुर्माना होगा। यदि वह व्यक्ति दोबारा इस अपराध का दोषी पाया गया तो उसको कम से कम 2 साल व अधिक से अधिक 5 साल का कठोर कारावास व 2000 रुपये जुर्माना देना होगा।

स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या

वेश्याओं की स्वास्थ्य दशा को लेकर हमेशा से ही बहस होती रही है। भारत में एचआईवी संक्रमण के बढ़ने का कारण इन्हें ही माना जाता है। हालांकि पिछले दशक में एचआईवी संक्रमित वेश्याओं की संख्या में गिरावट आई है। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाची में इनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 5,000 वेश्याओं को जागरूक किया गया है।

दो लोगों की टीम यहां की वेश्याओं को उनको बीमारियों के बारे में, कंडोम के इस्तेमाल के सही तरीके और इसके फायदे के बारे में बता रही है। इस कार्यक्रम को 1992 में शुरू किया गया था तब सिर्फ 27 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करती थीं लेकिन 2001 तक 86 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करने लगीं। मुंबई व पुणे सहित देश के बाकी हिस्सों में चल रहे रेड लाइट एरिया में भी इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

 

वेश्याओं को नहीं मिले हैं विशेष अधिकार

भारत में वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है इसलिए इन्हें किसी भी तरह के विशेष अधिकार भी नहीं दिए गए हैं। वेश्याओं के भी सिर्फ वही अधिकार हैं जो आम नागिरकों को मिलते हैं। हालांकि अगर यहां वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता प्रदान कर दी गई तो वेश्याएं भी श्रमिक क़ानून के अंदर आ जाएंगी और उन्हें भी बाकी मज़दूरों को मिलने वाले विशेषाधिकार मिल जाएंगे। समय-समय पर यहां वेश्यालयों को क़ानूनी मान्यता देने की मांग उठती रहती है।


10 मार्च 2014 को ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स ने एक संगठन बनाकर देश के 16 राज्यों में एक कैंपेन चलाई थी, इस कैंपेन में 90 सेक्स वर्कर्स शामिल थीं। वह इस बात की ओर सरकार और देश का ध्यान आकर्षित करना चाहती थीं कि उन्हें समाज में सुरक्षा प्राप्त नहीं है। उनका कहना था कि समाज के बाकी लोग जिस तरह से कोई त्योहार या अवसर में शामिल होते हैं हमें उस तरह से भी शामिल नहीं किया जाता। हम बाकी दूसरों कामों की ही तरह देह व्यापार करते हैं इसलिए हमें भी दूसरे कर्मचारियों की तरह पेंशन मिलनी चाहिए और यौन कार्य को भी सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत लाया जाना चाहिए। हालांकि इनकी किसी भी मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

Shani girapo
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जब ढलती उम्र का #गदराया_शबाब बाहों में होता है तो सबसे बड़ी #खुशी ये होती है कि उस #प्यासे_शबाब से #मदहोश होने में मज़ा आता है
खुली बड़ी #छाती जब मर्द के सीने से #चिपकती है पूरा ज़िस्म जोश में भर आता है
वैसे असली #चरमसुख तो ढलती उम्र की औरत ही दे सकती है और #मर्द का भी #फ़र्ज़ बनता है कि उस गदराये ज़िस्म को ऐसा #निचोडकर रस निकालें की उसकी #सिसकियों से कानों में रस घुलने लगे


जब तक गदराई उम्र की औरत की चीखें नही निकलती तब तक #चरमसुख अधूरा होता है
बस उस गदराये ज़िस्म को गरम करते रहिए वो अपने अनुभव और उम्र के #तज़ुर्बे से #मंज़िल तक सात देगी
जब वो गदराया ज़िस्म पराये मर्द की बाहों में आया तो उसे भी उस मर्द से बहुत उम्मीद होती है उसकी भी कुछ ख्वाहिशें होती है जो पति अधूरी छोड़ गया वो पराया मर्द पूरी करे🔥😘 ❤️.

all pics source Fb//Shani girapo group