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ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी में एक हज़ार से अधिक चिकित्सकों, नर्सों और चिकित्सा स्टाफ़ के कर्मचारियों को शहीद कर चुकी है : रिपोर्ट

पार्सटुडे- फ़िलिस्तीनी सरकार के मीडिया विभाग ने ग़ज़ा पट्टी में एलान किया है कि ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी में एक हज़ार से अधिक चिकित्सकों, नर्सों और चिकित्सा स्टा᳴फ़ के कर्मचारियों को शहीद कर चुकी है।

फ़िलिस्तीनी सरकार के मीडिया विभाग ने इस बात की जानकारी देते हुए एलान किया है कि ज़ायोनी सरकार ने फ़िलिस्तीन के चिकित्सा स्टा᳴फ़ के 310 से अधिक कर्मचारियों को गिरफ़्तार भी कर लिया और अब उन्हें इस्राईली जेलों में प्रताड़ित किया जा रहा है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार फ़िलिस्तीनी सरकार के मीडिया विभाग ने बताया है कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार चिकित्सा सेवाओं को ग़ज़ा पट्टी में आने की अनुमति नहीं दे रही है।

फ़िलिस्तीनी सरकार के मीडिया विभाग की ओर से ग़ज़ा पट्टी में शहीद और प्रताड़ित किये जाने वाले चिकित्सा स्टा᳴फ़ के कर्मचारियों की संख्या के बारे में जानकारी ऐसी स्थिति में दी जा रही है जब ज़ायोनी सरकार के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने रविवार को इस सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में ग़ज़ा पट्टी में रहने वालों को एक बार फ़िर धमकी दी है।

नेतनयाहू ने एक बार फ़िर विवश व मजबूर होकर कहा है कि जो भी ग़ज़्ज़ा पट्टी से एक बंधक को ज़िन्दा निकालेगा उसे 50 लाख डा᳴लर इनाम दिया जायेगा और ग़ज़ावासियों को चाहिये कि मौत और ज़िन्दगी में से किसी एक का चयन करें।

जबसे ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा युद्ध आरंभ किया है तबसे मानवाधिकार के संबंध में काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बारमबार ग़ज़ा की स्थिति और ज़ायोनी सरकार की जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की विषम स्थिति पर चिंता जताई है।

ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर रखा है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।

इसके मुक़ाबले में ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया के प्रतिरोधकों गुटों ने एलान कर रखा है कि वे अतिग्रहणकारी इस्राईल के अपराधों का बदला लेकर रहेंगे।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 44 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और एक लाख 7 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें