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ज़ायोनी शासन लेबनान, जॉर्डन और फ़िलिस्तीन और अन्य अरब देशों के सामने पानी का संकट पैदा कर रहा है : रिपोर्ट

स्वीट्ज़लैंड के शहर बेसल में अगस्त 1897 में आयोजित होने वाली ज़ायोनियों की पहली कांफ्रेंस में कहा गया था कि पानी के बिना, ज़ायोनी सरकार की स्थापना संभव नहीं हो सकेगी।

आज ज़ायोनी शासन आतंकवाद और असुरक्षा जैसी सीधी चुनौतियों के अलावा, लेबनान, जॉर्डन और फ़िलिस्तीन जैसे अरब देशों के सामने पानी का संकट उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा है।

पिछले साल इस्राईल ने हवाई हमला करके दक्षिणी लेबनान स्थित सबसे बड़े जल पंपिंग स्टेशन वाज़ानी को नष्ट कर दिया।

इस संदर्भ में स्थानीय अधिकारी अहमद अल-मोहम्मद का कहना हैः “इस्राईली हमलों में जल परियोजना के विद्युत उपकरणों, पंप और वितरण नेटवर्क को नुक़सान पहुंचा है, जिसके बाद कई गांवों और क़स्बों में पानी की आपूर्ति बंद हो गई है।”

लेबनान की सीमा पर ज़ायोनी शासन की निरंतर बमबारी के कारण, वहां रहने वालों के लिए पानी का संकट पैदा हो गया है और लोग बारिश का पानी स्टोर करके अपनी ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं।

अन्य क्षेत्रों में भी लेबनानी ग्रामीण कुएं खोदकर पानी की अपनी ज़रूरतें पूरी कर रहे हैं, जिससे न केवल उनके स्वास्थ्य को ख़तरा है, बल्कि जलवायु संतुलन भी बिगड़ सकता है।


लेबनान की तरह जॉर्डन ने भी पिछले साल ऐसी ही स्थिति का अनुभव किया था।

1994 में जॉर्डन और इस्राईल के बीच शांति समझौते के बाद इस शासन ने जॉर्डन को सालाना 25 से 50 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था, लेकिन बार-बार वह अपने इस को तोड़ता रहता है।

जॉर्डन के विदेश मंत्री एमन सफ़दी ने कहा है कि इस्राईल, ग़ज़ा में लोगों का क़त्लेआम कर रहा है, ऐसी स्थिति में वह एक ज़ायोनी मंत्री के साथ बैठकर पानी और बिजली के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते।

क्षेत्रीय देशों में पानी का संकट पैदा करने के इस्राईल के प्रयासों के कारण, लेबनान, सीरिया, फ़िलिस्तीन और जॉर्डन को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

फ़िलिस्तीन ऑथार्टि जॉर्डन नदी के पश्चिमी किनारे की पहाड़ी से थोड़ा सा पानी हासिल कर पाती है और पानी को लेकर गंभीर समस्या से ग्रस्त है।


दूसरी ओर, गोलान हाइट्स पर इस्राईल के क़ब्ज़े के बाद से सीरिया जलीला झील के पानी से वंचित हो गया है।

इस्राईल नदी के किनारे भूमिगत जल और पर्वतीय भूमिगत जल पर निर्भर है, और यह दोनों ग़ज़ा और वेस्ट बैंक के नीचे स्थित हैं। इस्राईल सतह पर मौजूद पानी के लिए उत्तर और पूरब पर निर्भर है और जॉर्डन नदी का पानी चुराने की वजह से जॉर्डन और सीरिया के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं।

तेल-अवीव ने राष्ट्रीय जल परियोजना की शुरूआत की है, जिसके तहत पाइप लाइन और पंपों से जलीला नदी के पानी को उत्तर, मध्य और दक्षिणी इलाक़ों तक पानी पहुंचाया जा रहा है।

क़ुनैतरा के उत्तर में मसअदा झील और गोलान और फ़िलिस्तीन के बीच में जलील नदी और गोलान के पश्चिम में जॉर्डन नदी और उत्तर में रुक़्क़ाद के स्थित होने के कारण ज़ायोनी शासन इस क्षेत्र पर अपना क़ब्ज़ा जारी रखना चाहता है।

इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस्राईल ने आधी सदी पहले ही जल आतंकवाद शुरू कर दिया था और आज जब पश्चिमी एशिया में जल युद्ध की संभावना की चर्चा है, तो तेल-अवीव इस तरह के संकट उत्पन्न करने वाले आतकंवाद का सहारा लेना बंद नहीं करेगा।