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ज़ायोनी शासन के व्यवधानों और उल्लंघनों के जवाब में हमास ने युद्ध विराम वार्ता का बहिष्कार कर दिया : रिपोर्ट

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने ज़ायोनी शासन के व्यवधानों और उल्लंघनों के जवाब में काहिरा में युद्धविराम वार्ता छोड़ दी है।

हमास आंदोलन के बयान में कहा गया है कि हमास का प्रतिनिधिमंडल अपने नेताओं से परामर्श करने के लिए मिस्र की राजधानी क़ाहिरा से रवाना हो गया है जबकि ग़ज़्ज़ा के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के हमलों को रोकने, विस्थापितों को लौटाने और ग़ज़्ज़ा के निवासियों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए बातचीत और प्रयास जारी रहेंगे।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ग़ाजी हमद ने यह भी कहा कि ज़ायोनी शासन, ग़ज्ज़ा में युद्धविराम और क़ैदियों के आदान-प्रदान के लिए बातचीत में गंभीर नहीं रहा है और किसी भी युद्धविराम की स्थापना, पूर्णरूप से और व्यापक होनी चाहिए तथा फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के इस सदस्य ने कहा कि हम एक सम्मानजनक समझौते तक पहुंचने के लिए अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं जो युद्ध की समाप्ति, अतिग्रहणकारी सेनाओं की वापसी, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और शरणार्थियों की वापसी की गैरेंटी देता है।

3 मार्च से काहिरा में मिस्र, अमेरिका, कतर और हमास की मौजूदगी में ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम की समीक्षा के लिए बातचीत शुरू हो गई है।

हालांकि हमास और फ़िलिस्तीनी गुटों ने पहले युद्धविराम स्थापित करने के लिए अपनी मुख्य शर्तों की घोषणा की थी लेकिन अमेरिका और ज़ायोनी शासन वार्ता में बाधा डालना जारी रखे हुए है।

हमास के नेताओं ने कहा कि ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी शासन की अतिग्रहणकारी सेनाओं की पूर्ण वापसी युद्धविराम को स्वीकार करने के लिए उनकी मुख्य शर्त थी।

ज़ायोनी शासन के हमलों के परिणामस्वरूप अपने घरों से विस्थापित हुए ग़ज़्ज़ा के निवासियों की वापसी भी युद्धविराम स्वीकार करने के लिए हमास की शर्तों में से एक थी।

एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण के लिए शर्तों का प्रावधान है जो युद्ध जारी रहने और अस्पतालों, शैक्षिक केंद्रों और आर्थिक बुनियादी ढांचे पर ज़ायोनी शासन के हमलों से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।

ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा में जारी युद्ध के परिणामस्वरूप आंतरिक संकट और आंतरिक विरोध में वृद्धि के बावजूद, युद्धविराम वार्ता को बाधित कर रहा है।

7 अक्टूबर, 2023 को तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही फिलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ता गुटों ने ज़ायोनी शासन पर अपूरणीय प्रहार किया और इस शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की कैबिनेट ने अमरीका के चौतरफा समर्थन के बावजूद फिलिस्तीनी गुटों के खिलाफ हार स्वीकार कर ली है।

ग़ज़्ज़ा में राजनीतिक घटनाक्रम में हमास और अन्य फिलिस्तीनी गुट युद्धविराम को तभी स्वीकार करने को तैयार हैं जब युद्धविराम उनकी शर्तों पर लागू हो।