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जर्मनी सोच समझकर सहयोग या टकराव का रास्ता चुने : तेहरान

ईरान में हिंसा और अशांति का समर्थन करते हुए जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन ने इस देश में ईरान के एक काफ़ी पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र को बंद करने पर बल दिया है।

सत्ताधारी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों ने हैम्बर्ग स्थित इस्लामी सेंटर को बंद करने के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में ईरान में विरोधियों की आवाज़ को दबाने का निराधार आरोप लगाते हुए इस केंद्र को बंद करने की मांग की गई है।

हैम्बर्ग इस्लामी सेंटर यूरोप के सबसे पुराने इस्लामी केन्द्रों में से एक है, जिसकी स्थापना 69 साल पहले शिया धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा बोरुजर्दी के समर्थन से जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में की गई थी। इस केन्द्र की मुख्य गतिविधियों में जर्मन भाषा और फ़ार्सी भाषा में पत्रिकाओं और पुस्तकों का प्रकाशन है। इस केन्द्र में एक लाइब्रेरी भी है, जिसमें क़रीब 6,000 किताबे हैं। जर्मनी में इस्लाम के प्रचार और प्रसार में इस केन्द्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

जर्मनी में सक्रिय ज़ायोनी और ईरान विरोधी शक्तियों ने इससे पहले भी कई बार इस इस्लामी केन्द्र पर तरह-तरह के आरोप लगाए थे और इसे बंद कराने के प्रयास किए थे। लेकिन पिछले दो महीनों के दौरान, ईरान में दंगे और अशांति भड़कने के बाद हैम्बर्ग इस्लामी केन्द्र के ख़िलाफ़ मीडिया और सोशल मीडिया पर एक सुनियोजित अभियान चलाया गया। विशेष रूप से अमरीका और यूरोपीय संघ द्वारा ईरान में दंगाईयों के समर्थन के बाद, जर्मन सरकार ने भी ईरान विरोधी पक्ष अपनाया है।

जर्मन सरकार का दावा है कि यह इस्लामी केन्द्र ईरानी सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाने का काम करता है और अगर इसे बंद कर दिया जाए तो इस देश में ईरान के प्रभाव का मार्ग बंद हो जाएगा। इसके लिए जर्मन संसद में जो प्रस्ताव पेश किया गया है, उसे मानवाधिकारों की रक्षा और जर्मनी में ईरानी विपक्ष के समर्थन का नाम दिया गया है। ईरान में दंगों की शुरुआत के बाद से, जर्मनी समेत पश्चिमी देशों ने ईरानी अधिकारियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाए हैं और दंगाइयों को उकसाने का प्रयास किया है।

यहां महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि जर्मनी समेत यूरोपीय देशों ने हमेशा अभिव्क्ति की आज़ादी और मानवाधिकारों की रक्षा का दावा किया है। लेकिन सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण गतिविधियां अजांम देने वाले हैम्बर्ग इस्लामी केन्द्र को बंद करना, स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटना और मानवाधिकारों का हनन करना है। इसके साथ ही जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल ईरान के आतंकरिक मामलों में दख़ल देते हुए आतंकवादी गुटों और दंगाईयों का समर्थन कर रहे हैं।

जर्मनी की ईरान विरोधी गतिविधियों के ख़िलाफ़ तेहरान ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। ईरानी विदेश मंत्री ने एक ट्वीट करके अपनी जर्मन समकक्ष को संबोधित करते हुए लिखा हैः भड़काई और हस्तक्षेपपूर्ण क़दम, राजनयिक परिपक्वता को नहीं दर्शाते हैं। पुराने संबंधों को ख़राब करने के दीर्घकालिक परिणाम निकलेंगे। जर्मनी संयुक्त चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिए सहयोग या टकराव का रास्ता चुन सकता है। लेकिन हमारा जवाब भी उसी के अनुरूप और निर्णायक होगा।