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जर्मनी ने ईरान से ख़रीदा तेल : यूरोप ने कहा-अमरीका की बहुत सी पाबंदियां ग़ैर क़ानूनी हैं!

यूरोप के स्टैटिस्टिक्स विभाग योरोस्टैट की रिपोर्ट में बताया गया है कि जर्मनी ने पिछले पांच साल में पहली बार ईरान से बड़ी आयल और पेट्रोलियम खेप हासिल की है। जर्मनी ने मर्च महीने में ईरान से 69 हज़ार 737 टन कच्चा तेल या पेट्रोलियम पदार्थ ख़रीदा।

बुल्गारिया ने भी जारी वर्ष की पहली तिमाही में 147 टन कच्चा तेल ईरान से ख़रीदा जो कोई बड़ी मात्रा तो नहीं है लेकिन यह पता चलता है कि यूरोपीय देशों ने ईरान से व्यापार में आगे बढ़ना शुरू किया है वरना 2018 में अमरीका के परमाणु समझौते से निकल जाने के बाद यूरोप ने ईरान से व्यापार नहीं किया था।

इस बीच यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रभारी जोज़ेप बोरेल ने कहा कि अमरीका दूसरे देशों पर जो प्रतिबंध लगाता है उनमें बहुत से प्रतिबंध ग़ैर क़ानूनी हैं और जिन्हें अमरीका सिर्फ़ अपनी नीतियों को लागू करवाने के लिए दूसरे देशों पर थोप देता है।

जर्मनी ने इससे पहले 2018 में 10 हज़ार टन की एक पेट्रोलियम खेप ईरान से ख़रीदी थी। एक यूरोपीय देश का ईरान से जारी वर्ष में इस मात्रा में सामान ख़रीदने का मतलब यह है कि अमरीका के प्रतिबंधों को नाकाम बनाने में ईरान कामयाब रहा है। वर्ष 2022 में भी बुलग़ारिया, रोमानिया और पोलैंड ने कुल मिलाकर 4181 टन कच्चा तेल या पेट्रोलियम पदार्थ ईरान से ख़रीदे थे।

जर्मनी सहित यूरोपीय देशों के ईरान से तेल आयात दोबारा शुरू करने से पता चलता है कि ट्रम्प प्रशासन के दौर में अमरीका ने ईरान पर अधिकतम दबाव की जो नीति अपनाई उससे यूरोपीय देश भी पूरी तरह सहमत नहीं हैं जो अमरीका के घटक माने जाते हैं। यूरोपीय देशों में एक विचार यह भी पाया जाता है कि ईरान के मामले में पाबंदियां लगाने का जो रास्ता अमरीका ने चुना है वो प्रभावी नहीं रहा है।

इस समय अमरीका और यूरोपीय देशों ने रूस पर भी प्रतिबंध लगा रखे हैं मगर यूरोपीय देशों को इस मसले में भी काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय यूरोपीय देशों की रिफ़ाइनरियों का ध्यान ईरान के तेल की तरफ़ केन्द्रित है। ईरान से तेल इम्पोर्ट का डेटा यूरोप के सरकारी पोर्टल में दर्ज किए जाने से भी पता चलता है कि यूरोप औपचारिक रूप सक अब अमरीका की पाबंदियों से ख़ुद को दूर कर रहा है और साथ ही अमरीका की इन पाबंदियों पर अपना विरोध जताना चाहता है।

जर्मनी के वित्त मंत्री राबर्ट हैबक ने एक बयान दिया है जिससे यह पता चलता है कि जर्मनी के अधिकारियों ने रूस की गैस को पूरी तरह बायकाट करने के बारे में बड़े बयान दिए थे लेकिन ज़मीनी हालात कुछ इस तरह के हैं कि इस देश के लिए रूस की गैस की ज़रूरत से पूरी तरह मुक्त हो पाना बहुत कठिन काम है। बर्लिन सरकार ने दावा किया था कि 2023 में वह रूस से गैस का इम्पोर्ट पूरी तरह रोक देगी। मगर आज भी जर्मनी सहित यूरोपीय देशों को रूस की गैस की ज़रूरत है।

जर्मनी के वित्त मंत्री का कहना है कि अगर हम रूस की गैस लेना बंद कर दें तो हमें अपने औद्योगिक क्षमताओं को सीमित करना पड़ेगा क्योंकि इस स्थिति में हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि जर्मनी की सरकार को इस ग़लतफ़हमी से निकल आना चाहिए कि ऊर्जा के आयात को कम करने के बाद भी उद्योग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस ग़लती को दोहराने से बचना चाहिए।