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जर्मनी को मंहगी पड़ रही है रूस से दुश्मनी : यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचना चाहता है अमरीका : रिपोर्ट

यरूोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को इस समय गंभीर आर्थिक संकट का सामना है।

विश्व की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का निर्यात अब ख़तरे में दिखाई दे रहा है।

प्राकृतिक गैस की कमी के कारण जर्मनी के उद्योगों में लगातार संकट बढ़ रहा है। निर्यात को उत्पन्न ख़तरे के कारण इस वहां के उद्योग जगत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। जानकार कहते हैं कि जर्मन उद्योग की सबसे बड़ी समस्या, ऊर्जा की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी है। वहां पर गैस की क़ीमत लगभग दस गुना बढ चुकी है। सर्वेक्षण बताते हैं कि 2023 में जर्मनी की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो सकती है।

रूस की प्राकृतिक गैस पर जर्मनी बहुत अधिक निर्भर रहा है। यूक्रेन के युद्ध के बाद रूस पर जिन देशों में कड़े प्रतिबंध लगाए उनमे जर्मनी एसा देश था जिसका रुख बहुत सख़्त था। उसने रूस के विरुद्ध कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए।

अपने विरुद्ध लगे प्रतिबंधों की जवाबी कार्यवाही में रूस ने जर्मनी के लिए अपनी गैस आपूर्ति घटा दी। रूस की ओर से जर्मनी की गैस सप्लाई को कम कर दिये जाने से वहां पर कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होन लगीं।

बताया जाता है कि जर्मनी में गैस की कमी और ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों को लेकर इस देश के भीतर रूस के विरुद्ध जर्मन सरकार के कड़े रवैये की आलोचना की जा रही है। इस समय जर्मनी की छोटी कंपनियों के सामने बड़े संकट खड़े हो गए हैं।

यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचना चाहता है अमरीका

रूस का यह कहना है कि अमरीका, इस बात के प्रयास कर रहा है कि यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचा जाए।

रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कहते हैं कि अपने एजेन्टों के माध्यम से अमरीका, पूरी शक्ति के साथ यूक्रेन युद्ध को बढ़ा रहा है।

निकोला पेत्रोशेफ के अनुसार यूक्रेन से संबन्धित घटनाक्रम दर्शाता है कि अमरीका और उसके चेले-चपाटे, अपनी पूरी क्षमता के साथ यूक्रेन युद्ध को लंबा खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत व्यापक पैमाने पर यूक्रेन के लिए हथियारों का भिजवाना इसी बात की पुष्टि करता है।

पेत्रोशेफ ने कहा कि यूक्रेन के संवेदनशील परमाणु बिजलीघर के निकट गोलीबारी ने हालात को और अधिक गंभीर बना दिया है। उन्होंने कहा कि अगर एसी स्थति रहती है और उसपा कोई रोकटोक नहीं होती तो फिर यहां पर चेरनोबिल जैसी घटना की भी संभावना पाई जाती है।

मार्च के महीने में रूस ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु बिजलीघर पर नियंत्रण कर लिया था। यूक्रेन में होने वाली झड़पों के स्थान से इस परमाणु बिजलीघर की दूरी अधिक नहीं है। इसको कई बार हमले का निशाना बनाया गया है। इन हालात को देखते हुए किसी भी समय परमाणु दुर्घटना की संभावना बहुत बढ़ गई है।

दूसरी ओर अमरीका सहित पश्चिमी देश रूस के विरुद्ध कड़े प्रतिबंधों के साथ ही साथ बहुत बड़ी संख्या में हथियार, यूक्रेन भिजवा रहे हैं। इस काम से युद्ध की ज्वाला भड़केन की संभावना अधिक है। पश्चिम और अमरीका की ओर से यूक्रेन की सैन्य एवं आर्थिक सहायता के बावजूद यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र में रूस की बढ़त जारी है।