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हर शाख़ पे उल्लू बैठा है…..By – डॉ अंजना गर्ग
हर शाख पे उल्लू बैठा है…..डॉ अंजना गर्ग ========= समय का दान “मीना इतवार को तो तेरी छुट्टी होती है फिर कहां से आ रही है। पिछले रविवार भी मैंने देखा था सुबह सुबह भाग रही थी ।”सरोज ने अपनी पड़ोसन मीना से पूछा । “बस कुछ खास नहीं । मैं हर इतवार को महिला […]
#कौन_हूँ_मैं #एक_खोज…By-#kavitaprabhaa
Kavita Prabha =========== #कविता_प्रभा #kavitaprabhaa #मुस्कानज़िंदगीकी #आजकाख़्याल #कौन_हूँ_मैं #एक_खोज #भाग१६ 🍁 कई दिन याद न की कई दिन बात न की शायद रूठ गई है मुझसे मेरी कविता कभी जज़्बात न आए कभी ख़्यालात न आए कभी मुँह फेरकर जाती रही मेरी कविता कभी दिल में छिपी कभी ज़हन में रुकी कभी नज़रें न मिलाईं […]
छड़ी की मार…..बस मुझे छूना नहीं कभी भी….कभी भी नहीं….।
संजय नायक ‘शिल्प’ ============= चन्द्ररूपायनम (छड़ी की मार…..) चन्द्र जैसे ही घर से साइकिल निकाल कर बाहर आया , वैसे ही मुहल्ले का आधा पागल लड़का गुल्लू वहाँ आ गया, वो चन्द्र से बहुत लगाव रखता था। गुल्लू का पिता ज्यादा शराब के सेवन से मर चुका था और उसकी माँ घरों में झाड़ू पोंछे […]