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जब यहूदीपुत्र Henry Kissenger ने इस्लामिक आतंकवाद का प्लान बनाया

Kranti Kumar
@KraantiKumar
■ 24 दिसंबर 1979 को सोवियत रूस ने अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट सरकार की रक्षा के लिए अफगानिस्तान में लाव-लश्कर के साथ दाखिल हो गए.

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सोवियत रूस और कम्युनिस्ट चीन की मदद से वियतनाम में कम्युनिस्ट सरकार बनी. अमेरिका नही चाहता था वियतनाम में कम्युनिज्म आए. दक्षिण ईस्ट एशिया में अमेरिका के वियतनाम बेहद महत्वपूर्ण देश था.

वियतनाम से कम्युनिज्म उखाड़ने के लिए अमेरिका ने 1 नवंबर 1955 से लेकर 30 अप्रैल 1975 तक जंग लड़ी. और हार गए

इस युद्ध में अमेरिका ने अपने 58,281 सैनिक खोए.

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अमेरिका वियतनाम हार से दुखी था. वो सोवियत रूस से बदला लेना चाहता था. यहूदीपुत्र, डिप्लोमेसी के महारथी, राजनीतिक वैज्ञानिक और भू-राजनीतिक सलाहकार Henry Kissenger ने इस्लामिक आतंकवाद का प्लान बनाया. प्लान था घर बैठे-बैठे रूस को युद्ध के दल दल झोंक देना.

अमेरिका ने अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट सरकार से लड़ने के लिए वहां के कट्टरपंथी मुल्लाओं को हथियार मुहैया कराया. अफगानी कम्युनिस्ट सरकार खतरे में पड़ गयी.

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कम्युनिज्म की रक्षा के लिए 25 दिसंबर 1979 की रात, रूस लाव लश्कर के साथ अफगानिस्तान में दाखिल हो गया.

कट्टरपंथी मुल्लाओं ने अमेरिकी हथियारों से सोवियत रूस का मुकाबला किया.

यह भयंकर और काफी लंबा युद्ध था जो 1989 तक चला, जब तक सोवियत यूनियन कमजोर नही पड़ा.

इस युद्ध में 20 लाख आम अफगानी मारे गए. और 30 लाख घयाल हुए. 50 लाख रिफ्यूजी बनने को मजबूर हुए.

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अफगानिस्तान से सोवियत रूस के हटते ही देश गृह युद्ध में चला गया. अमेरिका के बनाए गए कट्टरपंथी मुल्ला तालिबान बन गए. और बाद में येही तालिबान अमेरिका के गले की हड्डी बन गए.

Henry Kissinger इस्लामिक देशों में आतंकवाद का बीज बोने में कामयाब रहा. इस्लामिक आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया.

Photo : Soviet Helicopter flying past one of the Buddhas of Bamiyan during Soviet war in Afghanistan.