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जब अमरीश पुरी ने अपना आपा खो दिया और गोविंदा को थप्पड़ जड़ दिया था

फिल्मी दुनिया में हिट का कोई एक सटीक फॉर्मूला नहीं है. कभी-कभी सालों तक संघर्ष करने के बाद भी सक्सेस नहीं मिलती और कभी एक ही किरदार एक्टर को रातोंरात सुपरस्टार बना देता है. फिल्म दुनिया में एक्टर बनने का सपना लेकर आए एक खूंखार विलेन की किस्मत ने भी कुछ ऐसे करवट ली वह खुद भी यकीन नहीं कर पाए थे. इस विलेन का स्टारडम ऐसा था कि गोविंदा जैसे स्टार को भी थप्पड़ जड़ दिया था.

दाने-दाने पर लिखा है खाने वाला का नाम. ठीक इसी कहावत की तरह फिल्मों में किरदारों को लेकर भी ऐसा कहा जाता है. कितनी बार ऐसा होता है कि कोई किरदार लिखा किसी और लिए जाता है, लेकिन उससे किस्मत किसी और ही एक्टर की चमक उठती है. ठीक ऐसा कुछ फिल्मी दुनिया में हीरो बनने आए इस एक्टर के साथ भी हुआ. एक किरदार से इन्हें घर-घर बड़ी पहचान मिली थी.

इंडस्ट्री पर सालों तक राज करने वाले वो एक्टर हैं अमरीश पूरी. वो एक्टर जिन्होंने अपनी खलनायकी से ना सिर्फ दर्शकों का बल्कि मेकर्स का भी दिल जीत रखा था. उन्होंने विलेन बनकर जो नाम कमाया उनके दौर में और अब तक शायद ही उनका कोई सानी रहा हो. बहुत कम लोग इस बारे में जानते होंगे कि वह तो इंडस्ट्री में हीरो बनने आए थे. लेकिन बन गए खूंखार विलेन.

22 साल की उम्र में जब अमरीश पुरी ने हीरो बनने के लिए ऑडिशन दिया था. तो 1954 में एक प्रोड्यूसर ने उनको ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया था कि वह हीरो बनने लायक नहीं हैं. हालांकि जब किस्मत ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने हार नहीं मानी और फिल्मों में विलेन बनकर काम करना शुरू कर दिया. विलेन के रोल निभाकर उन्होंने अपने टैलेंट का परिचय दिया.

एक्टिंग की दुनिया में करियर बनाने के लिए अमरीश पुरी अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ आए थे. एक्टिंग की दुनिया से जुड़ने से पहले वह बतौर कर्मचारी राज्य बीमा निगम में नौकरी कर रहे थे और थियेटर में भी काफी एक्टिव रहने लगे. लैजेंडरी रंगकर्मी सत्यदेव दुबे के सहायक बनकर उन्होंने नाटकों में भी काम किया और बाद में अमरीश पुरी दुबे को अपना गुरु मानने लगे थे. साल 1971 में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में अमरीश पुरी ने साबित किया था कि उनसे बेहतर एक्टर कोई नहीं हो सकता. यहीं से उन्हें पहचान मिली.

यूं तो अमरीश पुरी ने अपने करियर में कई हिट फिल्मों में काम किया है. लेकिन साल 1987 में उन्होंने एक ऐसा रोल निभाया जिसे पहले अनुपम खेर निभाने वाले थे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और वो रोल अमरीश पुरी को मिल गया. वो फिल्म थी अनिल कपूर और श्रीदेवी स्टारर ‘मिस्टर इंडिया’. इस फिल्म में अमरीश पुरी खुंखार विलेन मोगैंबो के किरदार में नजर आए थे. इस फिल्म से उन्हें वो स्टारडम मिला जो इंडस्ट्री में बहुत कम एक्टर्स को नसीब होता है.

यूं तो अमरीश पुरी ने अपने करियर में ‘दामिनी’, ‘गर्दिश’, ‘गदर’, ‘घातक’, ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’, ‘घायल’, ‘हीरो’, ‘करण अर्जुन’, ‘कोयला’, ‘मेरी जंग’ और ‘मि. इंडिया’ जैसी कई ऐसी फिल्मों में शानदार किरदार निभाए हैं. करियर में उन्होंने तकरीबन 400 फिल्मों में काम किया लेकिन उनका जो पॉपुलैरिटी उन्हें मोगैंबो का किरदार निभाकर मिली वैसी और किसी फिल्म से नहीं मिली थी. फिल्म उस साल की बड़ी हिट साबित हुई थी. लोग असल जिंदगी में भी अमरीश पुरी से डरने लगे थे.

अपने दौर के दिग्गज अभिनेता अमरीश पुरी ने एक फिल्म में गोविंदा के साथ भी काम किया था. उस दौरान गोविंदा इंडस्ट्री के सुपरस्टार बन चुके थे और वह अक्सर सेट पर देर से ही आते थे. एक दिन गोविंदा सुबह 9 बजे के बजाय शूटिंग सेट पर शाम छह बजे पहुंचे. अमरीश पुरी का पारा हाई हो गया और उनकी इसी बात पर नौ घंटे देरी से आने को लेकर खूब बहस हो गई. सेट पर अमरीश पुरी ने अपना आपा खो दिया और गोविंदा को एक थप्पड़ जड़ दिया था. सेट पर मौजूद सभी लोगों के लिए ये हैरानी वाली बात थी खुद गोविंदा भी ये देखकर हैरान हो गए थे कि ये क्या हो गया है.