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जंग को और भड़काने के मक़सद से जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वॉल्टर श्टाइनमायर अचानक कीव पहुंचे

जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वॉल्टर श्टाइनमायर मंगलवार को अचानक कीव पहुंच गये. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वह पहली बार कीव गये हैं.

जर्मन राष्ट्रपति के कीव दौरे को लेकर पहले बहुत चर्चा होती रही है. यूक्रेन लंबे समय तक इस आधार पर उनकी आलोचना करता रहा है कि उन्होंने रूस के प्रति नरम रुख दिखाया है. पिछले हफ्ते आखिरी समय में सुरक्षा कारणों का हवाला देकर श्टाइनमायर का कीव दौरा रद्द किया गया था. जर्मनी के विपक्षी दलों ने इसके लिए राष्ट्रपति श्टाइनमायर की आलोचना की थी.

जर्मन राष्ट्रपति की प्रवक्ता ने उनके दौरे की पुष्टि की है. श्टाइनमायर ने यूक्रेन पहुंचने के बाद कहा, “ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और रॉकेट हमलों के दौर में मेरे लिए यह जरूरी था कि यूक्रेनी लोगों के साथ भाईचारे का संकेत दिया जाये.”

जेलेंस्की से मुलाकात के पहले
कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के पहले श्टाइनमायर देश के उत्तर में बेलारूस की सीमा के पास मौजूद एक कस्बे में जायेंगे. यूक्रेन का कहना है कि उसने यह कस्बा रूसी सैनिकों से आजाद करा लिया है, लेकिन वहां बुनियादी ढांचा तहस-नहस हो चुका है. राष्ट्रपति वहां की नगर पालिका को ऊर्जा संसाधन के लिए मदद मुहैया कराएंगे. श्टाइनमायर ने कहा है, “यूक्रेनी लोगों को मेरा संदेश हैः आप जर्मनी पर भरोसा कर सकते हैं.”

श्टाइनमायर जर्मनी के विदेश मंत्री रह चुके हैं. रूसी हमले के बाद शुरुआती महीनों में श्टाइनमायर की काफी आलोचना हुई, क्योंकि वह लंबे समय तक रूस से सुलह करने का रुख रखते आये थे. बाद में श्टाइनमायर ने माना कि वह उनकी गलती थी.

श्टाइनमायर ने अप्रैल में यूक्रेन का दौरा करने की इच्छा जताई थी, लेकिन तब यूक्रेन ने इसका स्वागत नहीं किया. इससे दोनों देशों में तनाव भी बढ़ा. इसके बाद चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा था कि यूक्रेन में श्टाइनमायर का स्वागत ना करना उनके (चांसलर) दौरे के लिए बाधा है. आखिरकारशॉल्त्स जून में इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के साथ कीव गये.

व्यापार के जरिये बदलाव
सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता श्टाइनमायर राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. इससे पहले वह चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार में दो बार विदेश मंत्री रह चुके हैं. वह वांडेल डुर्ष हांडेल नीति (व्यापार के जरिये बदलाव) के प्रबल पैरोकार रहे हैं. इस अभियान की दलील है कि करीबी कारोबारी संबंध के जरिये दूसरे देशों में लोकतांत्रिक बदलाव लाये जा सकते हैं. हालांकि, यह अभियान चलाने वालों के लिए रूस और चीन इस मामले में अब तक बड़ी नाकामी साबित हुए हैं.

श्टाइनमायर रूस और जर्मनी के बीच नॉर्ड स्ट्रीम 2 परियोजना के भी बड़े हिमायती रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है. इसके बाद से श्टाइनमायर ने माना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति नरमी का रुख दिग्भ्रमित था और “पुतिन के रूस के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते.”

एनआर/वीके (एएफपी, डीपीए)