साहित्य

छोटा मुंह बड़ी बात….

छोटा मुंह बड़ी बात
भाभी जी एक बात कहूँ बुरा ना माने तो…..??
सविता रागिनी के घर उनकी नयी नवेली बहू काजल की मुंह दिखायी करने आयी थी …..
हां हां बोल सविता क्या कह रही…. आज तक तेरी किसी बात का बुरा माना है मैने…..
रागिनी जी चाय की चुस्की लेते हुए बोली…..
वो ना भाभी जी…. छोटा मुंह बड़ी बात कर रही हूँ…..सामने जो कमला भाभी की बहू आयी है वो तो बहुत बड़े घर की है … दहेज में वो 13-14 लाख वाली गाड़ी , सारे घर गृहस्थी के सामान फ्रीज़ , वाशिंग मशीन , एसी , डबल बेड, स्लीप वेल के रजाई , गद्दे , बड़ी वाली वो चार बर्नर वाली गैस , सारे फुल बरतन , अलमारी और भी ना जाने क्या क्या … सास का बक्सा अलग….. शादी भी ऐसी हुई कि सब देखते ही रह गये…..कैस भी बहुत मिला हैँ उनके बेटे पिंटू को….. आजकल बक्से की ही साड़ी पहन रही है कमला भाभी….. पिंटू तो कोई ढंग की नौकरी भी नहीं करता… भाई साहब के इतना काहने पर मोबाईल की दुकान पर काम करने लगा है …. और कैसी बढ़िया शादी हो गयी उसकी…. और एक आपका सूरज सरकारी नौकरी करता है …. बाबू है …. फिर भी दहेज में कुछ ना मिला आप लोगों को… ना कोई सामान …. ना गाड़ी ….. किस्मत बड़ी खराब निकली सूरज की…. कहीं लव मेरिज तो नहीं खी अपने सूरज की तभी कुछ ना मिला भाभी जी…. मैं खरी बोलूँ हूँ… बुरी लगे तो माफ करना…..
सविताजी ने अपनी बात पूरी की….
हा हा….. एक बात बता सविता क्या अभी तक कमला भाभी के यहां खाना नहीं बनता था य़ा ये लोग बिना गाड़ी के कहीं ज़ाते नहीं थे … य़ा कपड़े नहीं धोते थे …. बेड पर सोते नहीं थे …. कूलर की हवा नहीं खाते थे … य़ा बिना कपड़ों के घूमती थी कमला… बता…. क्या दहेज का ही इंतजार कर रही थी वो …. एक लड़की को खिला नहीं सकती वो…. जो उसके बेटे की अर्धांगिनी बनकर आयी है ….. क्या अपने बच्चों से भी ये दहेज लिया था उसने उन्हे पालने के लिये जो एक बहू के आने पर इतना कुछ ले लिया…..
मैने अपने सूरज की शादी एक बिन माँ बाप की प्यारी सी लड़की से की है …… जो मेरे घर में दो चार दिन में ही ऐसे घुल मिल गयी है कि लगता ही नहीं कि ये किसी और घर से आयी है … उसे माँ बाप का प्यार नहीं मिला तो ऐसे प्यार लुटाती है हम पर कि बता नहीं सकती तुझे…. तो क्या बहू का इस तरह से अपनाना इस घर को किसी दहेज से कम है ……. मैँ क्या अपनी बहू को खिलाने के लिए उसका सौदा करूँ…. फिर तो मुझसे गिरा हुआ कोई नहीं ….. सूरज की तो जान है वो…..
बात तो सही कहीं भाभी जी आपने…..
तभी रागिनी जी की बहू हाथ में दवाई और ग्लास में पानी लेकर उनके पास आयी….
मम्मी जी…. भूल गयी आप एक बज गये अभी तक दोपहर की दवा नहीं ली आपने…. पहले दवाई ले लीजिये …. फिर खाना लाती हूँ…..
सुन काजल बेटा …. आ यहां बैठ…… ये सविता है … सामने रहती है … तुझे देखने आयी है…..
बहू काजल ने सविता जी के पैर छुये … उनको नमस्ते बोला….
सविता जी ने बहू का घूंघट थोड़ा ऊपर कर उसके चेहरे को देखा…. वो देखती ही रह गयी… इतनी मासूम, प्यार भरी नजरें सविता जी उसे देख बलायें लेने गयी….
फिर रागिनी जी के कहने पर काजल उन्ही के पास बैठ गयी….
मन ही मन सविता जी सोची…. एक कमला भाभी की बहू है कैसे गाउन पहनकर बिना सर पर दुपट्टा डाले घमंड से आयी थी …. ना ही पैर छुये…. उपर से कमला भाभी के कहने पर भी बैठी नहीं…. सर दर्द का बहाना कर सीधा अन्दर की ओर चली गयी…..
तो हुए ना संस्कार दहेज से बड़े …..
ठीक है भाभी जी चलती हूँ…. फिर आऊंगी….
असली दहेज तो आप लेकर आयी हैँ …..
रुकिये ना आंटी जी… खाना खाकर जाईयेगा ….
बहू काजल बोली….
नहीं बहू तूने पूछ लिया… इसी से मन खुश हो गया… इंसान चाहता ही क्या …. दो प्यार के मीठे बोल और थोड़ा सा आदर…..
सविता जी काजल के सर पर हाथ फेरते हुए अपने घर की ओर चली गयी…..
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा