साहित्य

छोटा पाकिस्तान…”बिटिया, मेरा बेटा बंबई में मजूरी करता है”

Kavita Krishnapallavi
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रोशनाबाद कविता श्रृंखला
छोटा पाकिस्तान
गफूर मियाँ की साइकिल मरम्मत की गुमटी है
रोशनाबाद में I
रहते हैं पठानपुरा में जिसे अब पठानपुरा कोई नहीं कहता,
सभी छोटा पाकिस्तान कहते हैं I
गफूर मियाँ रोज़ाना छोटा पाकिस्तान से
आज के हिन्दुस्तान आते हैं
और हिन्दू-मुसलमान, सभी मज़दूरों की
साइकिलों की मरम्मत करते हैं,
पंक्चर साटते हैं I
पठानपुरा पहले शायद पठानों का कोई गाँव रहा होगा
जो अब शहर का हिस्सा है,
एक मज़दूर बस्ती बस गयी है वहाँ I
वहाँ के अमीर मुसलमानों के बेड़ों में
कुछ सस्ते में और आसानी से गाँवों से आये
उन ग़रीब मुसलमानों को जगह मिल जाती है
जो सिडकुल के कारख़ानों में काम करते हैं I
हालाँकि कुछ हिन्दू मज़दूर भी रहते हैं
पठानपुरा में और कुछ मुसलमान मज़दूर
रोशनाबाद में भी I
रोशनाबाद में शाखा भी लगती है
और ख़ास मौक़ों पर भगवा झंडे के साथ
जुलूस भी निकलते हैं
जिनसे हालाँकि दलितों के खित्तों के
रहवासी दूर ही रहते हैं
लेकिन ठेकेदारों, दुकानदारों, बेड़ों के मालिकों
और कुछ बाबुओं के बेटों के साथ ही
कुछ नौजवान हिन्दू मज़दूर भी हिस्सा लेते हैं I
कुछ मनबढ़ लड़के कहते हैं गफूर मियाँ से,”चचा,
अपनी गुमटी तुम लगाओ अब छोटे पाकिस्तान में
या फिर सीधे पाकिस्तान ही चले जाओ!”
गफूर मियाँ हँसते हैं टूटे दाँत दिखाते हुए,
दाढ़ी खुजाते हुए, फिर कहते हैं,”बेटा, हमरे
अब्बा को तो पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं हुआ,
और हम तो एहीं की पैदाइस हैं, बिजनौर के I
अब तो पाकिस्तान वाले भी हमें न लेंगे,
पिछवाड़े लात मार भगा देंगे I
ई तो तुम सबकी किरपा है कि हमरी खातिर
कै-कै ठो छोटा पाकिस्तान बनाय दियेन I”
लड़कों के जाने के बाद थोड़ी देर
चुप रहे गफूर मियाँ,
फिर मेरी ओर मुड़कर बोले,
“बिटिया, मेरा बेटा बंबई में मजूरी करता है I
नालासोपारा की जिस झुग्गी बस्ती में रहता है
उसे भी अब लोग छोटा पाकिस्तान कहते हैं I
ओरिजिनल नाम लक्ष्मीनगर था, फिर
पुलिस वालों ने यह नाम दे दिया
और अब यही चलता है I”
एक लम्बी साँस लेते हैं गफूर मियाँ,
फिर कहते हैं,”पाकिस्तान तो हम गये नहीं,
मगर अब लगता है पाकिस्तान से आये रिफूजी हैं,
रिफूजी कैम्प में रहते हैं I”
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#कविता_रोशनाबाद