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सारा दिन न जाने किस उधेड़बुन में लगे रहते हैं
अरूणिमा सिंह ======== एक बेटी का पिता! एक दिन शाम को सभी बैठकर बात कर रहे थे! बातों बातों में बाबू जी बोले कि…… ए मालकिन एक बात बताओ! बेटी के विवाह में व्रत रखते हैं का?(क्या बेटी के विवाह में व्रत रखा जाता है) मां तनिक गुस्से में झिड़कती हुई बोली… तो का खाकर […]
‘‘क्या कह रही हैं आप, समधिनजी?’’
दो लफ्ज =========== समधिन की बात सुन कर दिवाकर सकते में आ गए. नागिन की तरह फुफकार कर निर्मला बोली, ‘‘आप लोग मेरी बेटी को तरहतरह से तंग करते हैं. मैं ने बेटी का ब्याह किया है, उसे आप के हाथों बेचा नहीं है. मेरी बेटी अब आप के घर नहीं जाएगी.’’ दिवाकर ने पिछले […]
निराशा से बचने के लिए जीवन में विविधता का होना भी आवश्यक : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़िये!
Laxmi Sinha =================== निराशा की एक बड़ी कारण होती है दूसरों से बड़ी-बड़ी अपेक्षाएं करना और जीवन के यथार्थ को स्वीकार नहीं कर पाना । जैसा हम सोचते हैं वैसे ही सारा संसार सोचने लगे, ऐसा सोच हमारी निराशा का कारण बनती है। वर्तमान को छोड़कर भूत एवं भविष्य में अत्याधिक विचारण करना भी निराशा […]