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छत्तीसगढ़ी व्यंजन : मेरी छोटी बहन का विवाह

Ambrish Kumar
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छत्तीसगढ़ी व्यंजन
कल दावत का दिन था . दावत दी थी सिमरन और अशोक जी ने मुक्तेश्वर में अपने ठिकाने पर. साथ थे राय साहब और पद्मा जी. ठंढ ठीक ठाक थी इसलिए आग का इंतजाम भी था. दावत हमारे विवाह के 34 साल पूरे होने के अवसर पर दी गई थी .बैठकी शाम से रात तक चली. कई व्यंजन छत्तीसगढ़ के थे बहुत समय बाद उनका स्वाद मिला. और बहुत स्वादिष्ट भी था इसलिए ज्यादा ही हो गया.अशोक जी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं इसलिए दावत में वहां के भी व्यंजन थे.
सफेद व्यंजन चावल का स्वादिष्ट फरा है जो चावल से बनता है और टिकिया साबूदाना की बनाई गई है


अरूणिमा सिंह
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जैसा कि आप सबको पता है कि इस हफ्ते मेरी छोटी बहन का विवाह है!
इसलिए एक हफ्ते से ही वैवाहिक कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है।
पहले के समय में एक महीना पहले से ही दुल्हन को बुकवा (उबटन) लगना शुरू हो जाता था ताकि उसकी रंगत और रुप में निखार आए।
पंद्रह दिन पहले जब तिलक चढ़ती थी तब से दुल्हन का बाहर आना जाना बंद हो जाता था। कहते थे कि तिलक चढ़ गई है अब बाहर निकलने पर लगहर (प्रेतबाधा) लग सकती है।
जब उबटन लगते थे तब से ही विवाह गीत भी प्रारंभ हो जाते थे।
अब जीवन कुछ ज्यादा ही तेज भागने लगा है लोगों के पास समय कम होने के नाते कार्यक्रम के दिन सिमट गए हैं। तिलक के दिन कम होते होते विवाह के दिन ही होने लगे।
उबटन की जगह महीने पहले से ही पार्लर बुक हो जाते हैं सो वहीं पर ब्राइडल प्री ब्राइडल होता है फेशियल, मसाज से निखार आ जाता है इसलिए उबटन कौन लगाता है।
हां चूल्हा पड़ने के दिन से ही गीत जरूर प्रारंभ हो जाते हैं और मेरे घर पर भी उसी दिन से गीत गाए जा रहे हैं।
मेरी पुरी कोशिश है कि मैं अपने घर के रीति रिवाज और अपने क्षेत्र की संस्कृति, लोक परंपरा से विडियो और पोस्ट के माध्यम से अवगत कराती रहू।
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अरूणिमा सिंह