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चुनाव के दौरान हर सेंकेंड 1 करोड़ रूपये खर्च होंगे, मोदी ने 50 योजनाओं के प्रचार पर 97 अरब 93 करोड़ 20 लाख रूपये खर्च किया : रिपोर्ट

Rofl Akhilesh 2.0 🏹
@RoflAkhileshy_
प्रधानमंत्री से जुड़ी आरटीआई से प्राप्त कुछ जानकारियां ।

यहाँ मोदी से जुड़े पिछले 5 साल के कुछ आंकड़े दे रहा हूँ, जिसे भारत का संविधान हर भारतीय को जानने का मौलिक अधिकार देता है।

* मोदी 60 महीने प्रधानमंत्री रहे ।
जिसमें 565 दिन यानि 18 महीने 25 दिन विदेश यात्रा पर रहे.
101 दिन यानि 3 महीने 11 दिन पॉलिटिकल यात्राओं पर थे.
यानि 565 दिन में कुल 226 दिन वो केवल यात्रा करते रहे.

* 15 जून 2014 से 3 दिसम्बर 2018 तक मोदी ने 92 देशों की यात्रा की.
एक देश की यात्रा पर औसतन 22 करोड़ रूपये खर्च हुआ.
92 देशों की यात्रा पर कुल खर्च 20 अरब 12 करोड़ रूपये हुए.

* देश में चुनावी रैलियों में मोदी वायुसेना का विमान उपयोग करते हैं. जबकि ये सरकारी यात्रा नहीं होती. इसमें वे वायुसेना के विमान का कमर्शियल रेट (1999 के बाद से रेट रिवाइज नहीं हुए) के हिसाब से मात्र 31000 रूपये भुगतान करते हैं. बताइए देश में इनके आलावा किसे इतने रूपये में चार्टेड प्लेन किराये पर मिलता है??

* सत्ता में रहते हुए मोदी सरकार ने 15 मई 2018 तक अलग-अलग योजनाओं के मिडिया में प्रचार-प्रसार पर 43 अरब 43 करोड़ 26 लाख रुपये खर्च किये.

* 2014-2015
प्रिंट मिडिया —— 4,24,8500000 (4अरब 24करोड़ 85लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —- 4,48,9700000 (4अरब 48करोड़ 97लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —- 79,7200000 (79करोड़ 72लाख रूपये)

* 2015-2016
प्रिंट मिडिया —– 5,10,6900000 (5अरब 10करोड़ 69लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —– 5,41,9900000 (5अरब 41करोड़ 99लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —– 1,18,4300000 (1अरब 18करोड़ 43लाख रूपये)

* 2016-2017
प्रिंट मिडिया —– 4,63,3800000 (4अरब 63करोड़ 38लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —– 6,13,7800000 (6अरब 13करोड़ 78लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —– 1,85,9900000 (1अरब 85करोड़ 99लाख रूपये)

* अभी सरकारी चैनलों के अलावा नमो टीवी और कंटेंट चैनल आ गया है. इसमें सिर्फ मोदी के विज्ञापन चल रहे हैं. बाकि आपके पास सरकारी चैनलों में DD न्यूज, किसान, मेट्रो, DD इंडिया, DD नेशनल, DD भारती, लोकसभा, राज्यसभा और अरुणप्रभा जैसे चैनल तो हैं ही. देश के हर प्रान्त में हर भाषा के साथ DD का चैनल चलता है. इनके जरिये सरकार अपने काम बताकर खुद की ब्रांडिंग करती है. इसका बजट 44 अरब 9 करोड़ रूपये सरकार ने तय किया है. इसके आलावा खासतौर पर दूरदर्शन और आल इण्डिया रेडियो के लिए अलग से 28 अरब 20 करोड़ 56 लाख रूपये का बजट रखा गया.

* दूरदर्शन और आल इण्डिया रेडियो में DAVP (डॉयरक्ट्रेट ऑफ एडवर्टीजमेंट एंड विजुअल पब्लिसिटी) और DFP (डॉयरक्ट्रेट ऑफ फिल्म पब्लिसिटी) नामक सरकारी एजेंसियां विज्ञापन बाँटने का कम करती हैं. इन्हें ये विज्ञापन देने के लिए 140 करोड़ रूपये का अलग बजट रखा गया.

* मोदी इन 60 महीने में 22 महीने सफ़र करते रहे.
यानि वे इन 60 महीने के हर 10वें दिन एक चुनावी रैली करते बरामद हुए.
यानि हर 9वें दिन एक सरकारी योजना का ऐलान करते पाए गए.

* जबकि 10 साल की सरकार में मनमोहन सिंह 614 दिन विदेश यात्रा पर रहे और 75 दिन रैलियां की. वहीं मोदी 5 साल में 565 दिन विदेश यात्रा पर रहे और 101 दिन रैलियां करते रहे.

* मोदी सरकार ने इन 60 महीनों के दौरान कुल 161 योजनाओं का ऐलान किया. पूरी योजना का जितना बजट नहीं था उससे कई गुना ज्यादा इन योजनाओं के प्रचार पर खर्च कर दिया गया. मोदी ने 50 योजनाओं के प्रचार पर 97 अरब 93 करोड़ 20 लाख रूपये खर्च कर दिया.

* जबकि इस देश में रजिस्टर्ड डिग्रीधारी बेरोजगार की संख्या 12 करोड़ है. ये आंकड़े खुद सरकार के हैं.

* इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट रूप से बताया है कि चुनाव के समय जो पॉलिटिकल फंडिंग हो रही है, उसमें 46% फंडिंग के बारे में हमें पता ही नहीं है कि ये कहाँ से आ रही है और कौन कर रहा है? इस फंडिंग का 90% पैसा BJP के पास आ रहा है. ये सीधे तौर पर ब्लैकमनी है.

* देश में 15 वीं लोकसभा सीटों के लिए 7 चरणों में चुनाव खर्च के ब्योरे कुछ इस प्रकार हैं-

1- 91 सीट (50 हजार करोड़ रूपये खर्च)
2- 97 सीट (80 हजार करोड़ रूपये खर्च)
3- 115 सीट (82 हजार करोड़ रूपये खर्च)
4- 71 सीट (90 हजार करोड़ रूपये खर्च)
5- 51 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)
6- 59 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)
7- 59 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)

यानि चुनाव के दौरान हर सेंकेंड 1 करोड़ रूपये खर्च होंगे.

* यानि 5 साल से एक मदारी हमें आंकड़ों के इस मकड़जाल में फंसाकर सत्ता के मजे लूटता रहा. जब भी किसी ने सवाल पूछने की कोशिश की उसे सत्ता की पावर से धराशायी कर दिया गया. हम पिछले 5 साल से एक लोकतंत्र नहीं बल्कि मदारियों के बनाये ‘लोकतंत्र’ में जी रहे हैं. अब अगले 5 साल का फैसला आपके हाथ में है ।

डिस्क्लेमर : ट्वीट्स में लोगों के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है